2015-11-13 18:04:00

आलौकिक सुन्दरता की ओर देखें


वाटिकन सिटी, शुक्रवार 13 नवम्बर 2015 (वीआर सेदोक): ″दो प्रकार के खतरे हैं जो विश्वासियों को भयभीत कराते हैं, सांसारिक वस्तुओं की पूजा एवं आदतों की पूजा, मानो कि वे हमेशा बने  रहेंगें किन्तु एकमात्र सुन्दर चीज है ईश्वर को निहारना जो अनन्त काल तक टिका रहेगा।″ यह बात संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में 13 नवम्बर को पावन ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कही।

उन्होंने कहा, ″ईश्वर अति सुन्दर हैं, स्तोत्र ग्रंथ कहता है स्वर्ग ईश्वर की महिमा बखानता है।″ उन्होंने कहा कि समस्या यह है कि मनुष्य सृष्ट वस्तु में ईश्वर का वैभव देखने के बदले उसका दण्डवत करने लगता है जो कि एक दिन समाप्त हो जाएगा।″

संत पापा ने स्तोत्र ग्रंथ के 19 वें अध्याय पर चिंतन किया जहाँ स्तोत्रकार सृष्टि की सुन्दरता द्वारा ईश्वर की महिमा बखानता है।

उन्होंने कहा कि दो तरह की मूर्ति पूजा हैं जो विश्वासियों को भी पतन की ओर अग्रसर कर सकती हैं, उनमें पहली है ‘सृष्टि की सुन्दरता’, वे लोग जो सृष्ट वस्तु के परे की सुन्दरता को नहीं देख पाते हैं। संत पापा ने इसे ‘स्थिरता की पूजा’ कहा जिसमें हम उस सुन्दरता से मोहित होकर रूक जाते हैं। हम उससे आसक्त हो जाते हैं तथा उसके मालिक को देख नहीं पाते। हमें ऐसा लगता है जैसा कि वह कभी नष्ट होने वाला नहीं।

दूसरी, मूर्ति पूजा है ‘आदत’ जो हमारे हृदय को सुस्त बना देता है। नोवा के दिनों में जब पृथ्वी पर जल प्रलय हुआ तो लोग आदत के अनुसार आनन्द मना रहे थे किन्तु बाढ़ ने उन्हें बहा कर नष्ट कर दिया।

संत पापा ने कहा कि अपनी आदत में आसक्त रहना भी एक प्रकार की मूर्तिपूजा है। कलीसिया हमें स्मरण दिलाती है कि दुनिया की सभी सुन्दर चीजों का अन्त हो जाएगा।

संत पापा ने उस आलौकिक सुन्दरता की ओर देखने की सलाह दी जो अनश्वर है। ईश्वर जो सभी सृष्ट वस्तुओं के परे अमर हैं। संत पापा ने कहा कि ये छोटी सुन्दर चीजें हमें महान सुन्दरता, ईश्वर की महिमा पर मनन चिंतन करने हेतु प्रेरित करे।








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