2015-11-12 15:33:00

भारत की राष्ट्रीय यूखरिस्तीय कांग्रेस के प्रतिभागियों को संत पापा का वीडियो संदेश


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 12 नवम्बर 2015 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने भारत की राष्ट्रीय यूखरिस्तीय कांग्रेस के प्रतिभागियों को एक वीडियो संदेश प्रेषित कर कहा कि यूखरिस्तीय कांग्रेस ईश कृपा है न केवल भारत के ख्रीस्तीयों के लिए किन्तु देश की समस्त जनता के लिए, जो सांस्कृतिक रूप से विविधताओं का किन्तु आध्यात्मिक रूप से समृद्ध देश है।

मुम्बई में 12 से 15 नवम्बर तक भारत में आयोजित इस यूखरिस्तीय कांग्रेस की विषयवस्तु है, ″यूखरिस्त एक पोषण, जो हमें संचालित करता तथा दूसरों को भी खिलाने हेतु प्रेरित करता है।″

संत पापा फ्राँसिस ने वीडियो संदेश में कहा, ″राष्ट्रीय यूखरिस्तीय कांग्रेस के सभी प्रतिभागियों का मैं बड़े हर्ष के साथ अभिवादन करता हूँ। इस कांग्रेस का विशेष महत्व है क्योंकि यह सन् 1964 ई. में मुम्बई में मनाये गये अंतरराष्ट्रीय यूखरिस्तीय कांग्रेस की जयन्ती मना रहा है जो संत पापा द्वारा मनाया गया पहला अंतरराष्ट्रीय कांग्रेस था।

राष्ट्रीय यूखरिस्तीय कांग्रेस का दूसरा महत्व है कि यह करूणा की असाधारण जयन्ती वर्ष शुरू होने के ठीक पहले मनाया जा रहा है।″ उन्होंने कहा कि यूखरिस्तीय कांग्रेस ईश्वर की कृपा है न केवल ख्रीस्तीयों के लिए किन्तु भारत के सभी लोगों के लिए, जो सांस्कृतिक विविधताओं के बावजूद आध्यात्मिक रूप से धनी है। हज़ारों सालों से भारत सच्चाई तथा ईश्वर की लालसा करता आया है तथा भलाई एवं दयालुता की खोज कर रहा है।

संत पापा जॉन पौल द्वितीय के सम्बोधन की याद करते हुए संत पापा ने कहा कि यूखरिस्त येसु ख्रीस्त, ईश्वर के प्रति उनकी आज्ञाकारिता तथा सारी मानव जाति के लिए मरण तक उनके प्रेम की यादगारी है। येसु का प्रेम कोई पुरानी बात नहीं है किन्तु यह अभी भी हम सभी मानव जाति के दिलो में उपस्थित है। ख्रीस्त इस देश के लिए प्रिय हैं न केवल ख्रीस्तीयों किन्तु उन लाखों लोगों के लिए जो उन्हें जानते तथा उनके प्रेम आत्मबलिदान से प्रेरित होते हैं।″

संत पापा ने कांग्रेस की विषयवस्तु की सार्थकता बतलाते हुए कहा कि यूखरिस्त अच्छाई का इनाम नहीं किन्तु कमजोर एवं पापी लोगों के लिए ताकत है। यह क्षमा तथा पोषण है जो हमारी यात्रा में मदद करता है।

आज विश्व के सभी लोगों को पोषण की आवश्यकता है और यह पोषण केवल शारीरिक भूख मिटाने के लिए नहीं है। एक अन्य प्रकार की भूख की तृप्ति है जो ऊपर से आने वाली रोटी है तथा जो स्नेह, क्षमा, दया तथा सेवा किये जाने की भूख को मिटाती है। येसु स्वयं जीवन की रोटी हैं जो दुनिया को जीवन प्रदान करती है। मानव जाति के पापों की क्षमा के लिए वे क्रूस पर चढ़ाये गये तथा अपना खून बहाया जो यूखरिस्त के माध्यम से हमें प्राप्त होता है।

संत पापा ने यूखरिस्त में भाग लेने की हमारी जिम्मेदारी की याद दिलाते हुए कहा कि यूखरिस्त द्वारा प्रभु के शरीर और रक्त को ग्रहण करना पर्याप्त नहीं है यह हमें अन्यों के साथ एकात्मकता दर्शाने हेतु प्रेरित करता है । प्रभु के साथ एक होने के लिए हमें अपने भाई बहनों के साथ भी एक होने की आवश्यकता है अतः जो प्रभु शरीर एवं रक्त से पोषित होता है वह अपने भाई-बहन को तकलीफ में देखकर उनकी मदद किये बिना नहीं रह सकता।

संत पापा ने सभी प्रतिभागियों को सम्बोधित कर कहा कि जीवन की रोटी द्वारा पोषित होकर हम अंधकार एवं निराशा में जीने वाले लोगों के लिए आशा लाने हेतु बुलाये गये हैं। यूखरिस्त हमें सेवा, उदारता, हमारे पास जो है उसमें से देने के रास्ते पर आगे बढ़ाती है। यही ईश्वर का सामर्थ्य है तथा प्यार की शक्ति।

संत पापा ने शुभकामनाएं दी कि यूखरिस्त कांग्रेस भारत के लोगों के लिए प्रकाश बने। यह उनके लिए बड़े आनन्द एवं खुशी का संदेश प्रदान करे।








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