2015-11-12 17:00:00

पोप फ्रांसिस का गुवानेलियन परिवार प्रतिनिधियों के नाम संदेश


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार,11 नवम्बर 2015, (सेदोक) संत पापा फ्रांसिस ने तीर्थयात्रा में आये गुवानेलियन परिवार के प्रतिनिधियों को अपना संदेश देते हुए कहा,

प्रिय भाइयो एव बहनो,

सुप्रभात

आप के सुमधुर वचनों के लिए धन्यवाद। आपने न केवल अपने कामों को मेरे समक्ष प्रस्तुत किया है वरन् आपने मुझे अपने परिवार में स्वागत किया है। आप के लिए आज का दिन एक समारोह है जव आप दिव्य माता की याद करते, जो आप की संरक्षिका है, विशेष कर आप जो परिवार की माताएँ हैं जैसा की संत लुईस गुवानेला ने चाहा था।

हमने कुछ समय पहले उनकी प्रथम शताब्दी मनाई है। मैं सोचता हूँ की वे आप को अपने विश्वास, भरोसा और प्रेम में पुष्ट होने को कहते हैं। इस संदर्भ में मैं तीन ठोस क्रियाओं को सोचता हूँ, विश्वास, देखना और जल्दी।

विश्वासः डॉन गुवानेला का जीवन विश्वास पर केन्द्रित था और अपने विश्वास के कारण वह ईश्वर पिता को दयालु और सर्वशक्तिमान दाता के रूप में देखते थे। अपने विश्वास के इस केन्द्र-विन्दु में वे यह मानते थे पुत्र हमेशा प्यार करते, पिता चिंता करते जो हम भाइयो को विश्वास में मजबूत होने का निमंत्रण देता है। पिता जो हमें प्यार करते हैं अपने बच्चों से कभी दूर नहीं रह सकते। यदि हम उनसे दूर चले जाते तो वे हमारी राह देखते, जब हम उनके पास लौट आते तो वे हमें आलिंगन करते और जब हम पश्चाताप करते तो वे हमें क्षमा प्रदान करते हैं क्योंकि वे हमेशा हम से मिलना चाहते हैं। संत लुईस को पिता के व्यवहारिक स्वभाव में कितना विश्वास था अतः वे हम से कहते हैं कि ईश्वर हमारी चिंता करते और वे चाहते हैं कि हम उन पर विश्वास करें। .

 

संत पापा ने कहा कि ईश्वर हम से दुःखी हो जाते जब वे देखते हैं कि हम उनके बच्चे उन पर पुरी तरह विश्वास नहीं करते।

हम में से अधिकतर लोग ईश्वर पिता को मालिक की तरह देखते हैं और इस तरह हम उनसे संबंध स्थापित नहीं करते यही सोचकर की वे हमें चुनौती देंगे या हमारी परीक्षा लेंगे। यह ईश्वर के दूरियाँ बनाने की हमारी परीक्षा है लेकिन हमारे लिए सच तो यह है कि हम अपने को जितना प्यार करते उससे भी अधिक वे हमें प्यार करते हैं।

 

दूसरी क्रिया “देखना” है। सृष्टिकर्ता पिता हमें रचनात्मकता भावना से प्रेरित करते हैं जिससे हम दुनिया को नयी नज़रों से निहार सकें और आशा में इसे प्यार कर सकें। हमारी अन्तदृष्टि दया और प्यार की नज़रों से दुनिया की चोजों को देखने हेतु प्रेरित करती हैं जिससे हम भाई-बहन के रूप में एक दूसरे का स्वागत कर सकें।

दुनिया में हम सदैव मुश्किल और कठिनाइयों से घिरे हुए हैं किन्तु प्यार और दया जो लोगों के दिल में है गरीबों और कमज़ोरों की सेवा हेतु रास्ता खोज निकालता है। हमारी धार्मिक दृष्टि कमजोर हो जाती है क्योंकि हम अपने अहम के परे नहीं देख पाते हैं। हम दूर के लोगों की सेवा करते लेकिन निकट रहने वाले को नहीं देख पाते क्योंकि हमारी नजरें थक जाती हैं। डॉन गुवानेला हमें ईश्वर को अपने हृदय की आँखों से देखने को कहते हैं जो हमारे मन दिल में आशा और खुशी का संचार करते हैं, जो हमें गरीबों को दया और प्रेमभाव से देखने को प्रेरित करता है।
और अंतिम क्रिया है “जल्दी”। संत लुईस ने कहा है कि “गरीब ईश्वर के सबसे चहेते पुत्र हैं”। वे कहते हैं “जो उन्हें देते हैं वे ईश्वर को देते हैं।” जिस तरह पिता अपने कमजोर और छोटे बच्चों की देखभाल करते हैं वैसे ही हमें गरीबों की सेवा हेतु समय की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए। हमें अपना समय उसी तरह देना चाहिए जैसे माता मरियम ने अपना समय अपनी कुटुम्बिनी की सेवा हेतु दिया।(. Lk 1:39).

संत पापा ने कहा, आपके परिवार पिता ईश्वर, येसु और माता मरियम के संरक्षण में हैं। आप जो अच्छे कार्य कर रहे हैं उसके लिये मैं आपका धन्यवाद करता हूँ आप उन कार्यों को जारी रखें। ईश्वरीय प्रेम में मैं आप सब को अपना आर्शीवाद देता हूँ।








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