2015-11-11 18:05:00

मिलनसारिता अर्थात जीवन में चीजों को बाँटना और इससे द्वारा खुशी का अनुभव करना


वाटिकन सिटी, बुधवार 11 नवम्बर 2015, (सेदोक, वी. आर.) संत पापा फ्राँसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर, संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में  जमा हुए हज़ारों तीर्थयात्रियों को इतालवी भाषा में  संबोधित करते हुए कहा-

अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,

आज हम परिवार के एक विशिष्ट गुण के बारे में मनन करेंगे जिसे हम अपने जीवन में शुरू से ही सीखते हैं। मिलनसारिता अर्थात जीवन में चीजों को बाँटना और इससे द्वारा खुशी का अनुभव करना। यह एक कीमती सदगुण है, जो यह प्रदर्शित करता है कि परिवार एक साथ भोजनालय में मिलते हैं। भोजन के वितरण और इसके साथ ही सुख-दुःख, कहानी और घटनाओं का आदान-प्रदान एक महत्वपूर्ण अनुभूति है। जब जन्म दिन, पार्टी और सालगिरह आती हैं तो हम सब एक साथ जमा होते हैं। किसी-किसी संस्कृति में यह एक रिवाज की तरह है की किसी की मृत्यु की यादगारी में पारिवारिक मिलन होता है जहाँ परिवार के सदस्य एक दूसरे के दुःख में सहभागी होते और प्रियजनों की मृत्यु के दुःख को आपस में बाँटते हुए एक दूसरे को दिलासा देते हैं।

मिलनसारिता एक थर्मामीटर के समान है जो हमारे मधुर संबंध का एक मापदण्ड है। यदि आप के परिवार में कोई तकलीफ, कोई आपसी दुःख है तो वह भोजन की मेज में स्पष्ट हो जाता है। एक परिवार जो कभी एक साथ भोजन नहीं करता बल्कि भोजन के समय भी दूरदर्शन और समार्ट फोन पर व्यस्त रहता वह परिवार अपने में सीमित हो जाता है। मिलनसारिता ख्रीस्तीयता की एक विशेष बुलाहट है जिसे हम सब वाकिफ हैं। येसु ख्रीस्त ने इसे हमें सिखाया और वे हमारे मिलन और एक साथ आने को ईश्वरीय प्रीति भोज से तुलना करते हैं। अपने जीवन के बलिदान की ओर इंगित करते हुए येसु ने चाय की दुकान को भी अपने चेलों के लिये आध्यात्मिकता का साक्ष्य बनाया कि कैसे वे अपने शरीर और रक्त को खाने और पीने के रूप में हमारे जीवन के लिये अर्पित कर देते हैं जो हमारे लिये उनके प्रेम की अनंत निशानी है।

इस दृष्टि कोण से हम कह सकते हैं कि परिवार “घर” मिस्सा के समान है क्योंकि मिस्सा बलिदान हमें एक साथ मिलने की सुखद अनुभूति देता और जहाँ हम आपसी मिलन में कृपा के भागीदार बनते और ईश्वरीय प्रेम को दुनिया में प्रसारित करते हैं। मिस्सा बलिदान में सहभागिता द्वारा परिवार अपने आप में संकुचित होने के भय से परिशुद्ध होता, आपसी प्यार और निष्ठा में सबल तथा भातृ-सुलभ प्रेम में एक दूसरे को ईश्वरीय प्रेम की सुखद अनुभूति प्रदान करता है।

वर्तमान समय में हमारे मध्य बहुत सारी मुसीबतें और दीवार हैं लेकिन हमारी पारिवारिक मिलनसारिता जो हमें ख्रीस्त के बलिदान से मजबूती प्रदान करता है हमारे लिए एक महत्वपूर्ण समय है। युखरीस्तीय बलिदान से प्रेरित परिवार आपसी मेल मिलाप और प्यार के मध्यम बनते हैं। जी हाँ, कलीसियाई परिवार युखरीस्तीय बलिदान में सहभागी हो कर समुदाय को आपसी प्रेम और आतिथ्य के सूत्र में पिरो कर रखता है।

हमारे पारिवारिक गुणों की यादें हमें समझ प्रदान करती है और हम स्वयं जानते और हमने इसका अनुभव किया है कि क्या चमत्कार हो सकते हैं जब एक माँ की आँखें खुली और सजग होती हैं जिसके दवारा वह अपने बच्चों के साथ-साथ दूसरों के बच्चों को प्यार एवं सेवा प्रदान करती है। अब तक न केवल मातायें वरन् पिता भी अपने बच्चों की सुरक्षा और देखभाल में अपना जीवन निछावर करते क्योंकि वे उनके प्यार की निशानी हैं।

आज के सामाजिक परिवेश में पारिवारिक मिलनसारिता में बाधा उत्पन्न करने वाली समस्याओं का हमें निदान खोजने की जरूरत है। ऐसा प्रति होता है कि मिलनसारिता को खरीदा और बेचा जा रहा हो। इसका आशय केवल चीजों का आदान प्रदान नहीं वरन् उन लोगों तक पहुँचना है जिनके पास खाने को कुछ नहीं है जो दुःख तकलीफ में अपनी जिन्दगी गुजार रहे हैं।

संत पापा ने कहा कि हम युखरीस्तीय बलिदान के रहस्य की ओर देखें। येसु हम सब के लिये अपने शरीर और रक्त को देते हैं। सचमुच ऐसा कुछ भी नहीं है जो हमें इस समुदायिक मिलन से पृथक करे सिवाय हमारी झूठी मनोभावना और दुष्टता के।

अच्छे ख्रीस्तीय परिवार एक दूसरे की सहायता करते और आतिथ्य के मनोभाव को अपने में संजोये रखते हैं। वे आपस में सुख-दुःख और कठिनाइयों को बाँटते हुए युखरीस्तीय बलिदान को जीते और नये समाज की स्थापना में सहयोग देते हैं। हम प्रार्थना करें कि हमारी पारिवारिक मिलनसारिता करुणा के जयंती  वर्ष में बढ़ती जाये और परिपक्वता को प्राप्त करे।

इतना कहने के बात संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा समाप्त की और सब का अभिवादन करते हुए कहा,

मैं यूनाइटेड किंगडम, डेनमार्क, नीदरलैंड, घाना, जापान, कोरिया और अमरीका से इस आमदर्शन समारोह में भाग लेने आये आप सब तीर्थयात्रियों और अँग्रेज़ी बोलने वाले दर्शकों का अभिवादन करता हूँ। आपको और आपके परिवार को ईश्वर अपनी खुशी और शांति से भर दे। सर्वशक्तिमान ईश्वर आप सब का भला करे।

इतना कहने के बाद संत पापा ने सब को अपना प्रेरितिक आर्शीवाद दिया।








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