2015-11-03 15:53:00

संत पापा ने मृत कार्डिनलों एवं धर्माध्यक्षों के लिए ख्रीस्तयाग अर्पित किया


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 3 नवम्बर 2015 (वीआर सेदोक): ″हम चमत्कारी विजय की आशा कर सकते हैं किन्तु क्रूस पर उठाये जाकर येसु हमें विनम्र विजय का रास्ता दिखलाते हैं। बुराई एवं मृत्यु के बावजूद वे हमसे प्रेम करते हैं।″ यह बात संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन के संत पेत्रुस महागिरजाघर में 3 नवम्बर को, विगत वर्ष परलोक सिधारे सभी कार्डिनलों एवं धर्माध्यक्षों के लिए ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कही।

उन्होंने कहा, ″आज हम कार्डिनल भाइयों एवं धर्माध्यक्षों की याद कर रहे हैं जिनकी मृत्यु गत वर्ष हो गयी है। इस धरती पर रहते समय उन्होंने कलीसिया से प्रेम किया। हम उनके लिए प्रार्थना करते हैं ताकि वे संतों की संगति में ईश्वर के आनन्द के सहभागी हो सकें।″

संत पापा ने उनकी सेवाओं को कृतज्ञ पूर्वक याद करते हुए कहा कि उन्होंने एक भले तथा ईमानदार सेवक की तरह अपना कार्य पूरा किया है। उनकी याद करते हुए हम कलीसिया में अपनी सेवा के कार्य को नवीकृत करें। पहले ईश्वर ने हमारी सेवा की, येसु सेवा कराने नहीं किन्तु सेवा करने आये। (मती.10:45) जो दूसरों की सेवा करता तथा आत्मत्याग करता वह दुनिया की नजरों में घाटा सहने वाला माना जाता है किन्तु वास्तव में, जो अपने जीवन को खो देता है वह सचमुच अपने को पा लेता है। यही कारण है कि जो अपने को खो देता है वह संसार पर विजय पाने वाले ख्रीस्त का अनुसरण करते हुए अपना जीवन दूसरों के लिए समर्पित कर देता है, इसके विपरीत जो सेवा करने के लिए नहीं जीता, उसके जीवन का कोई मूल्य नहीं।

सुसमाचार हमें स्मरण दिलाता है कि ईश्वर ने संसार को इतना प्रेम किया। संत पापा ने कहा कि सच्चा एवं ठोस प्रेम ने ही उन्हें मृत्यु स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया। ईश्वर के पुत्र की विनम्रता ने ही क्रूस पर लटकाये गये सांप के समान हमारा सब कुछ अपने ऊपर ले लिया तथा जीवन का द्वार खोल दिया।

सुसमाचार में येसु अपनी तुलना सांप से करते हैं जो क्रूस पर उठाया गया और जिसको देखकर लोग मृत्यु से बच गये। मरुभूमि में जब विषैला सांप लोगों को काटने लगा तो लोगों में मृत्यु का आतंक छा गया था किन्तु पीतल के सांप को देखकर वे चंगे हो गये। ईर्ष्या द्वारा बुराई दुनिया में आयी एवं मृत्यु का प्रकोप फैला। येसु इसे दूर नहीं भागे किन्तु उन्होंने इसका सामना किया तथा उस पर विजय पायी।

संत पापा ने कहा कि हम चमत्कारी विजय की आशा कर सकते हैं किन्तु क्रूस पर उठाये जाकर येसु हमें विनम्र विजय का रास्ता दिखलाते हैं। बुराई एवं मृत्यु के बावजूद वे हमसे प्रेम करते हैं। यही कारण है कि इस वास्तविकता को स्वीकार करना कठिन प्रतीत होता है। यह एक रहस्य है  और असाधारण विनम्रता के इस रहस्य का राज है प्रेम की शक्ति। हमारे प्रेम करने का दायरा सीमित है हम उन्हीं चीजों से प्रेम करते हैं जिसकी हमें आवश्यकता है और जिसकी हम कामना करते हैं किन्तु ईश्वर दुनिया के अंत तक हमें प्यार करते हैं। ख्रीस्तयाग बलिदान भी हमारी सेवा के लिए है जो हमें जीवन प्रदान करता और हमें मृत्यु से बचाकर आशा से भर देता है।

संत पापा ने मृत कार्डिनलों तथा धर्माध्यक्षों के लिए प्रार्थना करते हुए सभी विश्वासियों को संत पौलुस के मनोभाव को अपनाने की सलाह दी जिसमें संत पौलुस अपनी आवश्यकताओं की अपेक्षा ईश्वर के प्रेम तथा पड़ोसी के प्रति प्रेम पर अधिक ध्यान देने पर बल देते हैं। हमें केवल उनकी आवश्यकता है क्योंकि उन्हीं में जीवन, मुक्ति, पुनरुत्थान तथा आनन्द निहित है तब हम एक सच्चे सेवक बन सकेंगे जो अपना जीवन दुनिया के लिए समर्पित कर देता है।








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