2015-11-02 13:30:00

हमारे दैनिक जीवन में कई संत हमारे लिए प्रेरणा के स्रोत


वाटिकन सिटी, सोमवार, 2 नवम्बर 2015 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 1 नवम्बर को सब संतों के महापर्व पर संत पापा फ्राँसिस ने हज़ारों विश्वासियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, ″अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात एवं पर्व की शुभकामनाएँ।

सब संतों के पर्व पर, संतों की संगति की वास्तविकता को हम कलीसिया के सभी सदस्यों के साथ, हमारे बृहद परिवार पर चिंतन करते हैं जो इस पृथ्वी के तीर्थयात्रियों एवं अपनी यात्रा समाप्त कर स्वर्ग पहुँचे विश्वासियों का समुदाय है। हम सभी एक समुदाय के सदस्य हैं जो संतों का समुदाय कहलाता है। यह समुदाय बप्तिस्मा प्राप्त सभी विश्वासियों का समुदाय है।″

संत पापा ने धर्मविधिक पाठों पर चिंतन करते हुए कहा, ″धर्मविधि में प्रकाशना ग्रंथ हमें संतों की विशेषताएं बतलाते हुए कहता है कि वे लोग पूर्ण रूप से ईश्वर के हैं। यह चुने हुए लोगों का एक विशाल जन समूह है जो श्वेत वस्त्र धारण किये हुए हैं तथा उनके मस्तक पर ईश्वर की मुहर लगी है।″ (प्रका.7:2-4,9-14) संत पापा ने कहा कि यह विस्तृत विवरण प्रतीकात्मक भाषा द्वारा बतलाता है कि संत पूरी तरह ईश्वर के हैं। मस्तक पर ईश्वर की मुहर लगाने का अर्थ प्रेरित संत योहन हमें यह बतलाते हैं कि येसु ख्रीस्त में हम सभी ईश्वर के पुत्र-पुत्रियाँ बन गये हैं। (1यो.3:1-3) हम इस महान वरदान को जानते हैं। हम सभी ईश्वर की संतान हैं हम याद करते हैं कि बपतिस्मा में हमने स्वर्गिक पिता की मुहर प्राप्त की है तथा उनके पुत्र-पुत्रियाँ बन गये हैं। हम ईश्वरीय परिवार के सदस्य हैं क्योंकि हम उनकी संतान हैं। 

उन्होंने कहा कि पवित्रता के लिए हमारी बुलाहट का मूल यही है तथा संत जिन्हें आज हम याद कर रहे हैं उन्होंने बप्तिस्मा की कृपा को जीया, ईश्वर की संतान के रूप में मुहर को सुरक्षित रखा तथा येसु के समान बनने का प्रयास किया और अब वे अपने गंतव्य तक पहुँच गये हैं क्योंकि अंत में हम उन्हें वैसे ही देखेंगे जैसे वे वास्तव में हैं।

संतों की दूसरी विशेषता पर प्रकाश डालते हुए संत पापा ने कहा कि संत हमारे लिए प्रेरणा के स्रोत हैं। हम न केवल उन घोषित संतों पर ध्यान दे किन्तु उन सभी लोगों के जीवन से प्रेरणा ग्रहण करें जो हमारे आस-पास अपने दैनिक जीवन के साधारण कार्यों में सुसमाचार जो जीते हैं। वे हमारे ही परिवार के सदस्य अथवा हमारे मित्र हो सकते हैं। हमें उनके प्रति कृतज्ञ होना चाहिए बल्कि उनसे भी बढ़कर हमें ईश्वर के प्रति धन्यवादी होना चाहिए जिन्होंने उनको हमें दिया। हम जिनके करीब रहते, जिनके जीवन से प्रेरणा पाते हैं। वे भी येसु तथा सुसमाचार के प्रति निष्ठा के कारण शहीद होते हैं। हमारी मुलाकात कई अच्छे लोगों से होती है जिन्हें हम संत मानते हैं। यद्यपि कलीसिया उन्हें संत घोषित नहीं की है तथापि हम उनके जीवन से प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं।

संत पापा ने सलाह दी कि हम उनके प्रेम तथा करुणा के कार्यों का अनुसरण करें तथा इसके द्वारा उनकी उपस्थिति को दुनिया में बनाये रखें। वास्तव में, सुसमाचार प्रचार का कार्य ही मृत्यु के विनाश से हमें बचा सकता है। कोमलता, उदारता तथा दूसरों के दुःखों को सुनने में बिताया गया समय, उनके साथ मुलाकात, एक प्रेमी शब्द, एक मुस्कान तथा आँखों में स्नेह, ये सभी चिन्ह हमें महत्वहीन लग सकते हैं किन्तु ईश्वर की नजरों में वे अमर हैं क्योंकि प्रेम एवं सहानुभूति मृत्यु से अधिक शक्तिशाली है।

सब संतों की महारानी माता मरिया, ईश्वर की कृपा पर अधिक भरोसा रखने, पवित्रता के मार्ग में आगे बढ़ने तथा स्वर्ग में एक दिन एक साथ जमा होने की महान आशा बनाये रखने में हमारी सहायता करे।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना के उपरांत संत पापा ने विभिन्न दुःखद सूचनाएँ प्रस्तुत करते हुए उनके लिए प्रार्थना करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ″मध्य अफ्रीका में इन दिनों हो रही दुःखद घटनाएँ मेरे मन को चिंता से भर देती हैं। मैं उन दलों से आग्रह करता हूँ कि वे हिंसा के चक्र का अंत करें। संत पापा ने बंगुई में ऑवर लेडी ऑफ फातिमा के कोम्बोनी पुरोहितों के प्रति अपनी आध्यात्मिक सामीप्य व्यक्त की जो भारी संख्या में शरणार्थियों की मदद कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ″मैं इस कलीसिया, धार्मिक समुदायों तथा समस्त मध्य अफ्रीका के साथ अपनी एकात्मता प्रकट करता हूँ। विभाजन को कम करने के लिए प्रयास जारी रखें तथा शांति के मार्ग पर लौट आयें। संत पापा ने पूरी कलीसिया की प्रार्थना का आश्वासन देते हुए मध्य अफ्रीका के सभी लोगों से अपील की कि वे सहानुभूति तथा मेल-मिलाप का साक्ष्य प्रस्तुत करें। उन्होंने जानकारी दी कि 29 नवम्बर को अपनी प्रेरितिक यात्रा के दौरान वे बंगुई महागिरजाघर के पवित्र द्वार खोल देंगे।

दुःखद समाचार सुनाने के पश्चात् संत पापा ने खुशी का समाचार देते हुए कहा, ″कल फ्रास्काती में ओब्लेट सिस्टर्स ऑफ सेक्रेड हार्ट ऑफ जीसस की संस्थापिका माता तेरेसा कसिनी की धन्य घोषणा की गयी। वे एक प्रार्थनामयी एवं मिशनरी महिला थीं जिन्होंने अपना जीवन प्रार्थना तथा ठोस उदार कार्यों द्वारा पुरोहितों की सहायता में समर्पित किया। उनके इस महान साक्ष्य के लिए हम ईश्वर को धन्यवाद देते हैं।  

संत पापा ने सब संतों के उपलक्ष में डॉन बोस्को के तत्वधान में आयोजित मैराथन दौड़ के प्रतिभागियों की सराहना की।

अंत में उन्होंने देश-विदेश से एकत्र सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया तथा सभी को संतों की आध्यात्मिक संगति में शांति एवं पवित्रता की मंगलकामनाएँ अर्पित की।








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