2015-10-26 17:10:00

संत पापा ने शरणार्थियों की याद की


वाटिकन सिटी, सोमवार, 26 अक्तूबर 2015 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने रविवार 25 अक्तूबर को वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर प्राँगण में देवदूत प्रार्थना का पाठ किया देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, ″अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, प्रभात,

संत पेत्रुस महागिराजघर में पावन ख्रीस्तयाग के साथ परिवार पर विश्व धर्माध्यक्षीय धर्मसभा का समापन हो गया है। मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ कि इन तीन सप्ताहों के लिए ईश्वर को धन्यवाद दें। यह अवश्य जटिल था किन्तु ईश्वर की कृपा द्वारा निश्चय ही अधिक फल उत्पन्न करेगा।

संत पापा ने कहा कि सिनॉड का अर्थ है ‘एक साथ चलना’ और हमने यात्री कलीसिया होने का अनुभव किया है विशेष कर, विश्व भर के ईश्वर की पवित्र प्रजा के परिवारों के साथ। उन्होंने कहा कि ईश्वर की योजना हमेशा एक प्रजा तैयार करने की होती है। वे उन्हें एक साथ लाना तथा स्वतंत्रता एवं शांति की भूमि की ओर ले जाना चाहते हैं। यह वह प्रजा है जो ग़रीब तथा दुर्बल व्यक्ति का बहिष्कार नहीं करता बल्कि उन्हें स्वीकार करता है। यह परिवारों का परिवार ही है जहाँ किसी को संघर्ष करना नहीं पड़ता है और न ही हाशिये पर जीवन यापन करने हेतु पीछे नहीं छोड़ दिया जाता है किन्तु सभी को एक साथ लेकर चलने का प्रयास करता है। जैसा कि हम प्रभु से सीखते हैं जो ग़रीबों के साथ ग़रीब बने तथा बच्चों के साथ चले। उन्होंने धनियों, बड़े कहलाने वाले लोगों तथा प्रथम स्थान ग्रहण करने वाले लोगों का बहिष्कार नहीं किया क्योंकि उन्हें बचाने का यही एकमात्र रास्ता था। सभी को बचाने के लिए वे छोटों, बहिष्कृत लोगों तथा नीच समझे जाने वाले लोगों के साथ गये। 

संत पापा ने उन लोगों के साथ शरणार्थियों की भी याद की जो यूरोप की सड़कों पर घूमते रहते हैं और जो आज के युग की वास्तविकता है। प्रभु कहते हैं, ″जो रोते हुए आते हैं उन्हें मैं सांत्वना देकर आगे ले चलूँगा।″

परिवार जो अत्यधिक दुःख सह रहे हैं तथा अपनी मातृभूमि से विस्थापित किये गये हैं वे भी प्रार्थना एवं धर्माध्यक्षों के विचारों के आदान प्रदान द्वारा सिनॉड में उपस्थित थे। अपनी प्रतिष्ठा की खोज तथा शांति की तलाश में वे अब भी हमारे साथ हैं कलीसिया उनका परित्याग नहीं करती क्योंकि वे भी ईश प्रजा के सदस्य हैं। ईश्वर उन्हें उनकी दासता से मुक्त करना चाहते है तथा स्वतंत्रता की ओर ले चलना चाहते हैं।

संत पापा ने माता मरियम की मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना की कि हम भी भाईचारा पूर्ण समुदाय के सच्चे साक्षी बन सकें।

इतना कहकर उन्होंने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।








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