2015-10-23 13:47:00

समय के चिन्ह को पहचानने के लिए प्रार्थना की आवश्यकता


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 23 अक्तूबर 2015 (वीआर सेदोक): ″समय बदलता है, स्वतंत्रता तथा विश्वास की सच्चाई के साथ हम ख्रीस्तीयों में भी निरन्तर बदलाव आना चाहिए।″ यह बात संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित प्रेरितक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में यूखरिस्त बलिदान अर्पित करते हुए प्रवचन में कही।

संत पापा ने प्रवचन में कलीसिया को ‘समय के चिन्ह’  को देखते हुए आत्म-परीक्षण करने तथा अपनी सुविधा अनुसार नहीं किन्तु प्रार्थना द्वारा प्रेरणा प्राप्त करने की सलाह दी।

उन्होंने कहा, ″ख्रीस्तीयों को समय का मूल्यांकन करते समय वही करना चाहिए जो ख्रीस्त चाहते हैं तथा सुसमाचार की सच्चाई में दृढ़ रहकर परिवर्तन को स्वीकार करना चाहिए।″

संत पापा ने संत लूकस रचित सुसमाचार पाठ पर चिंतन किया जहाँ येसु फरीसियों के लिए कड़े शब्दों का प्रयोग करते हैं क्योंकि वे ईश्वर की योजना को नहीं पहचानते हैं।

उन्होंने विश्वासियों से कहा कि हमें पवित्र आत्मा के प्रति उदार रहकर यह परख कर सकना चाहिए कि हम में तथा हमारे आस पास क्या गुजर रहा है, अर्थात् आत्म परीक्षण करना चाहिए।

संत पापा ने कहा कि हमारे आस-पास क्या हो रहा है उसका न्याय करने की हमें स्वतंत्रता जरूर है किन्तु उसके लिए हमें आत्म परीक्षण करने की आवश्यकता है। हम उसे किस तरह कर सकते हैं। कलीसिया हमें समय के चिन्ह को पहचानने की सलाह देती है।

वह सिखलाती है कि ख्रीस्तीय प्रज्ञा द्वारा ही हम परिवर्तन को देख सकते हैं तथा समय के चिन्ह को पहचान कर बिना भय के स्वतंत्र होकर उनकी मदद कर सकते हैं।

समय के चिन्ह को पहचानने का उपाय बतलाते हुए संत पापा ने कहा कि सर्वप्रथम, हमें मौन होकर देखने की आवश्यकता है। मौन चिंतन तथा प्रार्थना द्वारा ही हम समय के चिन्ह को पहचान सकते हैं कि येसु हमें क्या बतलाना चाहते हैं।

संत पापा ने कहा कि समय के चिन्ह को पहचानने का काम मात्र कुछ चुने हुए लोगों का नहीं है किन्तु यह सभी ख्रीस्तीयों का कार्य है। उन्होंने कहा कि हमारे मनोभाव को समय के चिन्ह के अनुसार निरंतर बदलना चाहिए। हमें अपने अनुभवों, विचारों तथा हमारे आस-पास घटने वाली बातों से सचेत रहना चाहिए। संत पापा ने इसके लिए प्रार्थना में मौन रखने तथा चिंतन करने की सलाह दी।








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