2015-10-21 16:28:00

बुधवारीय आमदर्शन समारोह


वाटिकन सिटी, बुधवार 21 अक्टुबर 2015, (सेदोक, वी. आर.) संत पापा फ्राँसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर, संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में  जमा हुए हज़ारों तीर्थयात्रियों को इतालवी भाषा में  संबोधित करते हुए कहा-

अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,

पिछले सप्ताह की धर्मशिक्षामाला में हमने माता-पिता के महत्वपूर्ण प्रतिज्ञाओं पर मनन किया जो वे अपने बच्चों के प्रति करते हैं क्योंकि उनकी उत्पति प्यार में होती हैं।

हम आगे कह सकते हैं कि परिवार की नींव हमारी प्रतिज्ञा और निष्ठा है जो स्त्री पुरुष प्यार में एक दूसरे के प्रति करते हैं। यह बच्चों को दुनिया में लाने, उनकी शिक्षा दीक्षा के प्रति हमारे समर्पण और परिवार में कमजोर, बुजुर्गो एवं एक दूसरे की सेवा में सम्माहित है जो उन्हें गुणों में बढ़ने और त्रुटियों को स्वीकार करने में मददगार सिद्ध होता है।

प्रतिज्ञा का यह दायरा समाज और परिवार में विस्तृत होता है जब हम अपने सुख-दुःख को माता पिता, बच्चों के साथ खुले दिल से साझा करते हैं। परिवार जो अपने में संकुचित हो जाता है वह प्रतिज्ञा के प्रति विरोधाभास, जो परिवार को जन्म देने वाली प्रतिज्ञा का दमन करता है।

आज परिवार के प्रति हमारा समर्पण कमजोर प्रतीत होता है। एक ओर हमारे सामाजिक जीवन के कर्तव्य कामों का निर्वाहन तो दूसरी ओर आपसी नासमझी और किसी भी कीमत पर अपनी आत्म संतुष्टि जो हमारे लिये स्वतंत्रता का अधिकार है, हम समझौता करने को तैयार नहीं होते। लेकिन वास्तव में कोई भी केवल वस्तु या कामों के कारण प्यार किया जाना नहीं चाहता। प्रेम और मित्रता की सुन्दरता और ताकत इस सच्चाई में निहित है कि वे हमारी स्वतंत्रता का हनन किये बिना हमारे संबंध को सुदृढ़ रखे। स्वतंत्रता के बिना कोई मित्रता, प्रेम और विवाह नहीं है इसीलिए स्वतंत्रता और सच्चाई, आपसी संबंध और सामाजिक जीवन  एक दूसरे के विपरीत नहीं हैं बल्कि वास्तव में ये दोनों एक दूसरे का सहयोग करते हैं।

जी हाँ भाईयो और बहनो, निष्ठा हमारे समर्पण की एक प्रतिज्ञा है जो स्वयं में परिपूर्ण है, जो स्वतंत्र वचनों के आज्ञापालन से बढ़ता है। निष्ठा एक विश्वास है जो सही अर्थ में अपने को बाँटने और एक साथ बढ़ने की आशा और तमन्ना रखता है। 

प्रतिज्ञाओं के प्रति हमारी निष्ठा मानवता की श्रेष्ट कृति है। यदि हम अपने साहसिक सुन्दरता पर नजरे डालें तो हमे डर लगता है, लेकिन यदि हम उसके साहसिक तप का तिरस्कार करें तो हम खो जाते हैं। हमारे जीवन में प्रेम का कोई संबंध नहीं रहता, दोस्ती, प्यार, किसी चीज में खुशी नहीं मिलती यदि हम आत्मा के इस चमत्कार को अपने जीवन में नहीं जीते हैं। मैं इसे चमत्कार कहता क्योंकि निष्ठा की ताकत और विश्वास की सारी चीजों के बावजूद हमें मोहित और आश्चर्य करने से नहीं रोकती है। 

परिवार को छोड़कर कोई ऐसा विद्यालय नहीं है जो हमें प्रेम की सच्चाई के पाठ को पढ़ा सके। मानव गरिमा के इस सुन्दर धन को कोई भी नियम हम पर नहीं थोप सकता। प्रेम में निष्ठा सृष्टि के शुरू से ही हमारी अन्तर आत्मा में लिख कर दुनिया को दिया गया है।

यदि संत पौलुस कहते हैं कि पारिवारिक संबंध रहस्यात्मक तरीके से कलीसिया और येसु के संबंध को दिखलाता है तो इसका अर्थ यह हुआ कि कलीसिया एक वरदान है जिसे हमें सुरक्षित रखना है। प्रतिज्ञा के प्रति हमारी निष्ठा हमारे लिये ईश्वर से दया और कृपा के रूप आते हैं। हमारे परिवारों के प्रति हमारा प्रेम अच्छे और बुरे समय में कलीसिया की महिमा है। ईश्वर हमें अपनी प्रतिज्ञाओं को जी सकने की कृपा दे। हम महाधर्माध्यक्षीय सम्मेलन में भाग ले रहे सब धर्माध्यक्षयों के लिए प्रार्थना करें कि ईश्वर उनके कामों में अपनी आशीष प्रदान करे।

इतना कहने बाद संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षामाला समाप्त की और सभी अतिथियों को संबोधित करते हुए कहा,


मैं इंग्लैंड,  स्कॉटलैंड, आयरलैंड,  नार्वे, चीन,  इंडोनेशिया,  जापान,  मलेशिया,  कनाडा और संयुक्त राज्य अमरीका से, आज के आमदर्शन समारोह में भाग लेने आये आप सब तीर्थयात्रियों और अँग्रेज़ी बोलने वाले आगंतुकों का स्वागत और अभिवादन करता हूँ। मैं विशेष रूप से अन्तरराष्ट्रीय उप-याजक सभा में भाग लेने वालों का अभिवादन करता हूँ। ईश्वर आप सब का भला करे!

इतना कहने के बाद संत पापा ने सब को अपना प्रेरितिक आर्शीवाद दिया। 








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