2015-10-20 12:16:00

धन का लोभ फूट और झगड़ों का कारण, सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 20 अक्टूबर 2015 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि धन के प्रति आसक्ति परिवारों में फूट डालती तथा युद्धों को प्रश्रय देती है।

सोमवार को वाटिकन स्थित सन्त मर्था प्रेरितिक आवास के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग के अवसर पर प्रवचन करते हुए सन्त पापा ने कहा कि प्रभु येसु ख्रीस्त धन वैभव का खण्डन नहीं करते किन्तु इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराते हैं कि धन का लालच परिवारों में फूट डालता, जातियों के बीच झगड़े उत्पन्न करता तथा युद्धों को प्रश्रय देता है।

सुसमाचार के उस पाठ पर चिन्तन करते हुए जिसमें कहा गया है कि "हम दो स्वामियों की सेवा नहीं कर सकते, हम ईश्वर की सेवा कर सकते हैं या फिर धन की" सन्त पापा ने कहा, वैसे प्रभु येसु ख्रीस्त धन के विरुद्ध नहीं हैं किन्तु अपनी सुरक्षा और अपना सर्वस्व धन में खोजने के विरुद्ध  अपने अनुयायियों को चेतावनी देते हैं।"

उन्होंने कहा, "धन में अपनी सुरक्षा खोजना धर्म और आस्था को एक बीमा कम्पनी में परिणत करना होगा। इसके अतिरिक्त, धन कमाने की होड़ में अथवा परिवार का दायभाग पाने के लिये कितने परिवारों में फूट पड़ जाती है। कितने ही परिवारों में भाई-भाई में झगड़ा हो जाता है। कितने ऐसे परिवार हैं जहाँ परिवार के प्रेम, बच्चों के प्रेम, माता-पिता के प्रेम से अधिक धन को अधिक महत्व दिया जाता है।"

सन्त पापा ने कहा कि जीने के लिये धन ज़रूरी है किन्तु इसकी हवस से बचना चाहिये। जितना ज़रूरी है उसी को पाने के लिये श्रम किया जाये और जो ज़रूरी नहीं है उसे पाने के लिये झगड़ा न किया जाये। उन्होंने सचेत कराया कि धन की हवस ऐसी है जो कभी भी समाप्त नहीं होती इसलिये इससे दूर ही रहा जाये। उन्होंने कहा, "मुक्ति पाने के लिये सांसारिक धन-सम्पदा की आवश्यकता नहीं बल्कि इसे प्राप्त करने के लिये येसु के आशीर्वचनों का वरण अनिवार्य है जिनमें सर्वप्रथम हैः मन की दीनता जो अपने धन को अन्यों के साथ साझा करना सिखाती है।








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