2015-10-17 17:41:00

सिनॉड की स्वर्ण जयन्ती, प्रभु को धन्यवाद देने का अवसर


वाटिकन सिटी, शनिवार, 17 अक्तूबर 2015 (वीआर सेदोक): विश्व धर्माध्यक्षीय धर्मसभा की स्वर्ण जयन्ती समारोह पर, शनिवार 17 अक्तूबर को वाटिकन स्थित पौल षष्ठम सभागार में संत पापा फ्राँसिस ने सिनॉड के सभी प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए इस अवसर को आनन्द का स्रोत तथा प्रभु के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करने का बड़ा अवसर कहा तथा इन 50 सालों में सिनॉड को सहयोग देने वाले सभी लोगों की याद की।

उन्होंने कहा, ″इस शुभ अवसर पर हम उन सभी लोगों की याद करते हैं जिन्होंने 50 वर्षों तक सिनॉड की सेवा की है। जीवित अथवा जो इस लोक से गुजर चुके हैं मैं उन सभी के प्रति अपनी हार्दिक कृतज्ञता अर्पित करता हूँ। सिनॉड के निष्पादन में उन्होंने उदार समर्पण तथा उत्तरदायित्व पूर्ण योगदान द्वारा बड़ा सहयोग दिया है।″

संत पापा ने कहा कि सिनॉड की शुरूआत करने वाले संत पापा पौल षष्ठम का उद्देश्य ख्रीस्तीय एकता वर्धक समिति को पुनःजागृत करना तथा उसके भावों एवं प्रणाली पर चिंतन करना। दो दशक बाद संत पापा जॉन पौल द्वितीय ने सिनॉड के विकास की बात कही तथा संत पापा बेनेडिक्ट सोलहवें ने ऑरदो सिनोदी एपिसकोपोरूम को अनुमोदित दिया।

संत पापा ने कहा कि हमें इस रास्ते को जारी रखना चाहिए। इस दुनिया में हम प्यार एवं सेवा करने के लिए बुलाये गये हैं जबकि कलीसिया को मिशन के हर क्षेत्र में दृढ़ता प्रदान किये जाने की आवश्यकता है।

संत पापा ने कहा कि धर्माध्यक्षों द्वारा संचालित कलीसिया एक सुनने वाली कलीसिया है वह सुनने से अधिक अनुभव करना जानती है। यह आपस को सुनना है जिसमें प्रत्येक को सीख लेने की आवश्यकता है।

लोकधर्मी, धर्माध्यक्ष मंडली तथा संत पापा एक-दूसरे को सुनते तथा पवित्र आत्मा द्वारा संचालित होते हैं जो सत्य का आत्मा है।

येसु ने कलीसिया की स्थापना की तथा इसके शीर्ष पर प्रेरितों को रखा जिसमें पेत्रुस को अपने भाइयों की देखभाल करने की जिम्मेदारी दी। अतः कलीसिया में अधिकार का प्रयोग ईश प्रजा की देखभाल के लिए है।

संत पापा ने सभी धर्माध्यक्षों को स्मरण दिलाया कि उनका अधिकार सेवा के लिए है जो मात्र क्रूस तथा येसु के समान विनम्रता द्वारा आता है। 








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