2015-10-15 15:26:00

आप मूर्ख न बनाये जाए


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 15 अक्टूबर 2015 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में बृहस्पतिवार 15 अक्टूबर को पावन ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि येसु शास्त्रियों से नाराज़ थे जिसके कारण उन्होंने उनके लिए अत्यन्त कड़े शब्दों का प्रयोग किया।

संत पापा ने प्रवचन में संत लूकस रचित सुसमाचार पाठ पर चिंतन किया जहाँ येसु शास्त्रियों को धिक्कारते हैं, ″शास्त्रियो, धिक्कार तुम लोगों को क्योंकि तुमने ज्ञान की कुंजी ले ली। तुमने स्वयं प्रवेश नहीं किया और जो प्रवेश करना चाहते थे उन्हें रोका।″

उन्होंने कहा, ″शास्त्रियों से सावधान रहें जो ईश्वर के प्रेम की विशालता को कम करते तथा उनके प्रेम को छोटे रूप में प्रस्तुत करते हैं।″

संत पापा ने कहा कि ख्रीस्तीयों के लिए समझने हेतु सबसे कठिन बात है येसु ख्रीस्त में मुक्ति की निर्मूल्यता है। उन्होंने कहा कि हम सुनने के आदी हो गये हैं कि येसु ईश्वर के पुत्र हैं जो हमारे प्रेम के खातिर दुनिया में आये तथा हमें बचाने हेतु अपना प्राण अर्पित किया। उन्होंने कहा कि जब हम ईश्वर के रहस्य में प्रवेश करते हैं तब हम पाते हैं कि इस प्यार की कोई सीमा नहीं है। यह विचित्र है किन्तु शायद हम इसे समझना नहीं चाहते।

संत पापा ने प्रवचन में शास्त्रियों पर येसु के कड़े व्यवहार को प्रस्तुत करते हुए उसका कारण बतलाया कि वे मात्र सोचते थे कि ईश्वर की आज्ञाओं के पालन द्वारा हमें मुक्ति मिल सकती है किन्तु इसके लिए वे अपनी ओर से कुछ नहीं करते थे। इस प्रकार, वे ईश्वर के प्रेम की विशालता को कम करने तथा उनके प्रेम को छोटा करने का प्रयास करते थे। संत पापा ने कहा कि धार्मिक सिद्धांतों की रक्षा हेतु येसु एवं संत पौलुस के संघर्ष का यही मूल कारण था।

संत पापा ने कहा कि संहिता का अस्तित्व है जिसका सार है ईश्वर तथा पड़ोसी के प्रति प्रेम और इसी प्रेम की भावना के बल पर हम मुक्ति प्राप्ति की ऊँचाईयों को छू सकते हैं। संत पापा ने स्वार्थपूर्ण प्यार से बचने की सलाह दी।

प्रवचन के दौरान संत पापा ने अविला की संत तेरेसा का स्मरण किया जिनका 500 वीँ जयन्ती मनायी जा रही है। संत पापा ने कहा कि प्रभु ने उन्हें प्रेम की विशालता को समझने की कृपा प्रदान की थी जिसे कारण आज वे कलीसिया के डॉक्टर माने जाते हैं।

संत पापा ने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा कि हम ईश्वर के प्रेम तथा करुणा के प्रति वफादार रहें ताकि ईश्वर के प्रेम को सीमित करने वाले संहिता के ज्ञाताओं द्वारा मूर्ख न बनाये जाए।








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