2015-10-12 15:15:00

लेने की अपेक्षा देना अधिक सुखद


वाटिकन सिटी, सोमवार, 12 अक्टूबर 2015 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में संत पापा फ्राँसिस ने रविवार 11 अक्टूबर को भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, ″अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,

संत मारकुस रचित सुसमाचार के 10 वें अध्याय से लिया गया आज का पाठ तीन दृश्यों में विभक्त है जो येसु के दृष्टि डालने से और अधिक महत्वपूर्ण बन गया।

पहला दृश्य, गुरु एवं युवक की मुलाकात को प्रस्तुत करता है। येसु की भेंट एक व्यक्ति से होती है। ″वह व्यक्ति दौड़ कर येसु के सामने घुटने टेकता तथा पूछता है, भले गुरु, अनन्त जीवन प्राप्त करने के लिए मुझे क्या करना चाहिए?″ (मार.10:17)

संत पापा ने कहा कि अनन्त जीवन न केवल हमारे जीवन के समाप्त हो जाने पर प्राप्त होता है किन्तु इसकी कोई सीमा नहीं है। हमें इसे प्राप्त करने के लिए क्या करना चाहिए? येसु ने जो उत्तर दिया उसमें अपने पड़ोसी को अपने समान प्यार करो की आज्ञा समाहित है। यद्यपि उस युवक में अपने को धिक्कारने जैसी कोई बात नहीं थी तथापि मात्र नियमों का पालन पर्याप्त नहीं था जिसके कारण अनन्त जीवन प्राप्ति की उसकी चाह को संतुष्ट नहीं कर सकी। उस युवक के हृदय में इस चाह को येसु ने समझ लिया। उन्होंने ध्यानपूर्वक उसे देखा और उनके हृदय में प्रेम उमड़ पड़ा। (पद.21) उन्होंने पहचान लिया कि वह एक अच्छा व्यक्ति था किन्तु उन्होंने यह भी देख लिया कि उसमें किस बात की कमी रह गयी थी अतः उन्होंने एक ठोस प्रस्ताव रखा कि वह अपना सब कुछ बेच कर ग़रीबों को दान कर दे तथा उनका अनुसरण करे। इस पर युवक का हृदय ईश्वर एवं धन रूपी दो स्वामियों के बीच बंट गया तथा वह उदास होकर वापस चला गया।

संत पापा ने कहा कि यह दिखलाता है कि विश्वास तथा धन के प्रति आसक्ति को एक साथ जीना सम्भव नहीं है।

दूसरे दृश्य में, सुसमाचार लेखक येसु की नज़रों पर विशेष ध्यान देता है। इस बार येसु की नजर भावपूर्ण थी। ईसा ने चारों ओर दृष्टि दौड़ायी और अपने शिष्यों से कहा, ″धनियों के लिए ईश्वर के राज्य में प्रवेश पाना कितना कठिन है।″(पद.32) शिष्य सुनकर चकित रह गये और बोले, तो फिर कौन बच सकता है? येसु ने प्रोत्साहन की नजर से देखते हुए उत्तर दिया, ″मनुष्यों के लिए तो यह असम्भव है किन्तु ईश्वर के लिए नहीं क्योंकि ईश्वर के लिए सब कुछ सम्भव है। (पद.27) यदि हम प्रभु पर भरोसा रखते हैं तो हम हर प्रकार की समस्याओं से बाहर आ सकते हैं जो विश्वास के रास्ते पर आगे बढ़ने में बाधक हैं। हम प्रभु पर भरोसा रखें वे हमें शक्ति प्रदान करेंगे। वे हमें मुक्ति देंगे तथा जीवन यात्रा में हमारा साथ देंगे।

तीसरे दृश्य में, हम येसु की उद्घोषणा को पाते हैं उन्होंने कहा, ″मैं तुमसे कहता हूँ- ऐसा कोई नहीं जिसने मेरे और सुसमाचार के लिए घर, भाई बहनों, माता-पिता तथा बाल-बच्चों अथवा खेतों को छोड़ दिया हो और अब इस लोक मैं सौ गुणा न पाये।″ (पद.29-30) संत पापा ने कहा कि अपनी चीजों का परित्याग करने से उसमें गुणात्मक वृद्धि होती है। उन्होंने कहा कि ऐसी कोई भी वस्तु नहीं है जिसके द्वारा सच्चे आनन्द की अदली बदली की जा सके। चीजों की गुलामी से मुक्त होकर प्रेम से सेवा करने का अवसर प्राप्त होता है। अधिकार के परित्याग द्वारा हम देने का सुख प्राप्त करते हैं। जैसा कि येसु कहते हैं, ″लेने की अपेक्षा देना अधिक सुखद है।″(प्रे.च. 20:35)

वह युवक येसु की प्रेमी नज़रों से उनकी ओर आकर्षित हो चुका था किन्तु वह बदल नहीं सका। संत पापा ने कहा कि येसु के प्रेम को विनम्रता एवं कृतज्ञता के साथ स्वीकार करने के द्वारा ही हम अपने लालच और भ्रम के अंधेपन से स्वतंत्र किये जाते हैं। धन, सांसारिक सुख तथा सफलता चकाचौंध होता है किन्तु अंत में निराश कर देता है। वह जीवन की प्रतिज्ञा करता है किन्तु मृत्यु दिलाता है। प्रभु हमें झूठे धन की आसक्ति से मुक्त करते हैं ताकि हम अनन्त जीवन में प्रवेश कर सकें। वे हमें पूर्ण, सच्चा तथा उज्ज्वल जीवन प्रदान करना चाहते हैं।

संत पापा ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में एकत्र युवाओं को सम्बोधित कर कहा, ″क्या आपने येसु को अपने ऊपर नजर डालने का अनुभव किया है। क्या आप इस प्रांगण को उस आनन्द के साथ छोड़ना चाहते हैं जिसे येसु प्रदान करते हैं अथवा दुनिया से प्राप्त उदासी को अपने हृदय में लेकर जाना चाहते है?  

माता मरियम येसु के प्रेम को स्वीकार करने हेतु हमारा हृदय द्वार खोलने में सहायता प्रदान करे क्योंकि वही हमारी प्यास बुझा सकता है।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना के उपरांत उन्होंने तुर्की की राजधानी अंकारा में हुए बम विस्फोट में मारे गये लोगों के प्रति गहन शोक व्यक्त किया। उन्होंने उनके आत्मा की अनन्त शांति हेतु प्रार्थना की तथा दुखित परिवारों को अपना आध्यात्मिक सामीप्य प्रदान किया।

तत्पश्चात् संत पापा ने देश-विदेश से एकत्र तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया। उन्होंने 13 अकटूबर को विश्व प्राकृतिक आपदा न्यूनीकरण का स्मरण दिलाते हुए कहा कि हमें यह जान लेना चाहिए कि प्राकृतिक आपदा बहुधा मनुष्यों द्वारा पर्यावरण की देखभाल में लापरवाही करने का परिणाम है। उन्होंने पर्यावरण की रक्षा में संलग्न लोगों का समर्थन देते हुए उन्हें प्रोत्साहन दिया।

अंत में उन्होंने प्रार्थना का आग्रह करते हुए सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।








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