2015-10-12 13:16:00

आचार्यों ने विवाह की तैयारी पर जोर दिया की


वाटिकन सिटी, सोमवार 12 अक्तूबर 2015 (न्युज.वा. सेदोक) वाटिकन में परिवार विषय पर चल रहे विश्व धर्माध्यक्षीय धर्मसभा के 6वें दिन शनिवार 10 अक्तूबर को, वाटिकन प्रवक्ता येसु समाजी फादर फेदरिको लोम्बरदी ने प्रेस के समक्ष धर्मसभा के पाँचवें दिन के विचार मंथन का सारांश प्रस्तुत किया।

फादर लोम्बरदी ने कहा कि सम्पूर्ण बैठक के दौरान 75 व्याख्यान हुए जिसमें अधिकतर यूरोप, अफ्रीका, मध्य पूर्वी क्षेत्र, लातीनी अमरीका और कुछेक व्याख्यान उत्तरी अमरीका के द्वारा किये गये।

इस विचार मंथन और व्याख्यान के फलस्वरूप परिवार की आध्यात्मिकता के अलावे अन्य बहुत सी चीज़ें सामने आयीं, जैसे अच्छे वैवाहिक जीवन की देखभाल हेतु परिवारों का प्रेरितिक उतरदायित्व, कलीसिया को चलाने में परिवार की जिम्मेदारी और कलीसिया को उन परिवारों के निकट रहकर उन्हें अपनी सहृदयता दिखाना जो कठिन दौर से गुजर रहें हैं।

संतुलन, न्याय और करुणा पर भी चर्चा हुई। इन मुद्दों पर धर्माचार्यों की आपसी भिन्नता को संचार माध्यमों को बतलाया गया। एक धर्माचार्या ने कहा कि करुणा का यह अर्थ नहीं की कलीसिया के नियमों को दरकिनार किया जाये।

महाधर्माध्यक्ष बसिलेओस कलीमिस थोटुंकल, भारतीय धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के सभापति और सिरो-मलाकंरा के प्रधान संक्षेपण सभा में अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने संचार माध्यमों को बतलाया कि करुणा का अर्थ मन फिराव है जो की आपसी आदान-प्रदान है।

सैनिकों के परिवारों के बारे में चिंता व्यक्त की गई क्योंकि बहुत सारे सैनिक अपने परिवारों से लम्बें समय तक दूर रहते हैं। इन परिवारों को कलीसिया की विशेष देख रेख करने की जरूरत है। आचार्यों ने कहा कि विभिन्न परिस्थितियों और संदर्भ के कारण हर परिवार की समस्या भिन्न नहीं है। बहुतों ने ख्रीस्तीय विवाह की चिरस्थायित्व के बारे में अपना मंतव्य दिया।

बहुतों से आचार्यों ने विवाह की तैयारी पर जोर दिया और बहुतों के अनुसार वैवाहिक जीवन के पूर्व की तैयारी में गम्भीरता की कमी की बात कही। धर्माध्यक्षों में से एक ने इस बात को स्वीकार किया कि वे इस विषय पर लोक धार्मियों को शिक्षा देने में असफल रहें हैं। एक सुझाव में कहा गया कि दम्पति, जो विवाह के सूत्र में बंधने वाले हैं उन्हें पुरोहितों और धर्मसमाजियों कि तरह नवशिष्यालय के प्रशिक्षण से गुजरने की आवश्यकता है। यह विचार आया कि धर्मसमाजियों और पुरोहितों में संकट की स्थिति का सीधा संबंध उनके पारिवारिक जीवन से जुड़ा है। 

फा. फेदरिको लोम्बदी ने अपने व्याख्यान में कहा कि इन्सटुमेन्टुम लबोरिस परिवर्तित किया जा सकता है यदि यह छोटे समुदायों में बहुमत के आधार पर पारित हो। यह सुझाव तदुपरांत धर्मसभा समिति में पेश किया जायेगा। उन्होंने संचार माध्यमों को बतलाया कि धर्मसभा में सम्पन्न विचारों का आदान-प्रदान सुझाव नहीं वरन् वार्ता के अंग थे।

विश्व धर्मसभा के पहले सप्ताह में विस्थापन का मुद्दा बार-बार उभर कर आ रहा है। महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल थोटुंकल ने कहा कि वे संत पापा के अनुग्रह रूपी विचारों से सहमत हैं कि लोगों को शरणार्थियों का उदारतापूर्वक स्वागत करना चाहिए। वे विश्वस्त हैं कि विश्व समुदाय के नेतागण लोगों के लिए इसे संभव बनायेंगे और अपने देशों में जगह देंगे। हमें इन लोगों को अपने देश में रखने के लिए एक साथ काम करना है।








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