2015-10-10 16:35:00

अविवाहित एवं तलाकशुदा लोगों के लिए गोद लेना वर्जित


मुम्बई, शनिवार, 10 अक्तूबर 2015 (एशियान्यूज़): धन्य मदर तेरेसा द्वारा स्थापित मिशनरीस ऑफ चैरिटी धर्मसमाज ने निश्चय किया है कि वह सरकार के नये दिशा निर्देश का विरोध करते हुए भारत के 15 अनाथालयों में गोद लेने के उस दस्तावेज को रद्द कर दिया है जिसके तहत अविवाहित अथवा तलाकशुदा व्यक्ति भी बच्चे को गोद ले सकता था।

राँची के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल तेलेस्फोर पी. टोप्पो ने एशियान्यूज़ से कहा, ″भारत की काथलिक कलीसिया को अपने मुद्दों के लिए अपने निर्देशों का पालन करना चाहिए। मैं मिशनरीस ऑफ चैरिटी की धर्मबहनों का समर्थन करता हूँ। बच्चे कोई वस्तु नहीं, वे ईश्वर के बहुमूल्य वरदान हैं। मिशनरीस ऑफ चैरिटी की धर्मबहनें अत्यन्त कमजोर लोगों की सेवा कर रही हैं तथा परित्यक्त बच्चे किसी माता-पिता को वापस नहीं दिये जायेंगे।″

उन्होंने कहा कि धर्मसमाज ने हमेशा ग़रीब, बीमार तथा परित्यक्त बच्चों, वेश्याओं एवं विकलांगों के लिए नैतिक एवं शारीरिक मदद की हैं। गोद लेने पर रोक का नियम 1 अगस्त 2015 से लागू हो चुका है।

गोद लेने हेतु केंद्रीय अधिकारी के सचिव विरेंद्र मिश्रा ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि नये सरकारी नियम के तहत अविवाहित अथवा एकल या जिनका तलाक हो गया हो वे भी बच्चे को गोद ले सकते हैं।

सिस्टर ब्रेसिल्ला ने एशियान्यूज़ से कहा, ″हमने गोद लेने पर प्रतिबंध कर दिया है किन्तु हम मदर तेरेसा के मिशन एवं उद्देश्य को बनाये रखेंगे। हम ईश्वर पर भरोसा रखते हैं कि वे ही हमें प्रेरित करेंगे कि क्या करना है। हम बच्चों की देखभाल करना जारी रखेंगे किन्तु नये नियम को स्वीकार नहीं करेंगे।″

महिलाओं एवं बच्चों के विकास मंत्री मेनका गाँधी ने मिशनरीस ऑफ चैरिटी की धर्मबहनों की सेवा को महत्वपूर्ण बतलाया उन्होंने कहा, ″मिशनरी ऑफ चैरिटी की धर्मबहनों का कार्य महत्वपूर्ण है हम इस पर पुनः विचार करने का प्रयास कर रहे हैं।″

कार्डिनल तेलेस्फोर ने कहा कि धर्मबहनों का बच्चों के लिए माता-पिता के सामान जिम्मेदारी हो जाती है वे उनका विकास देखना चाहती हैं।

उन्होंने कहा कि यह भारत की कलीसिया के मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है तथा हम इस नियम के संशोधन हेतु प्रयास कर रहे हैं। भारत की प्रेरिताई एवं परिवारों के लिए इस मुद्दे पर भी सिनॉड में भी विचार किया जाना चाहिए।








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