2015-10-06 12:21:00

काठमाण्डूः नेपाली ख्रीस्तीयों में समाया भविष्य का भय


काठमाण्डू, मंगलवार, 6 अक्तूबर 2015 (सेदोक): नेपाल के ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों में भविष्य की आशंका समा गई है इसलिये कि रूढ़िवादी हिन्दुओं ने उन्हें देश छोड़कर जाने का निमंत्रण दिया है।

जर्मनी की "हेल्प टू द चर्च इन नीड" काथलिक लोकोपकारी संस्था के सूत्रों ने बताया कि नेपाल के अल्पसंख्यक ख्रीस्तीय लोगों में भविष्य के प्रति असुरक्षा और आशंकाएँ समा गई हैं। 14 और 15 सितम्बर को तीन प्रॉटेस्टेण्ट गिरजाघरों पर विस्फोट किये गये थे जिसके बाद से ख्रीस्तीय समुदाय के नेताओं को धमकियाँ मिलती रही हैं।

सितम्बर माह में संविधान में संशोधन को लेकर हुए मतदान के बाद ही आक्रमण किये गये थे जिससे नेपाली ख्रीस्तीय समुदाय स्तब्ध और भयभीत है। हालांकि इन हमलों में कोई घायल नहीं हुआ तथापि, गिरजाघरों को क्षति पहुँची है तथा विस्फोट के बाद अतिवादी हिन्दू संगठन हिन्दू मोर्चा नेपाल की कई पर्चियाँ मिली हैं जिनमें ख्रीस्तीयों से देश छोड़ कर जाने का आग्रह किया गया है।

इन पर्चियों में लिखे सन्देशों में अतिवादी हिन्दुओं ने नेपाल की सरकार पर विदेशी सरकारों के दबाव में रहने का आरोप भी लगाया है। ख्रीस्तीयों पर अतिवादियों का यह भी आरोप है कि उन्होंने राष्ट्र को जातिगत एवं धार्मिक संघर्षों की ओर घसीटा है। ख्रीस्तीय नेताओं को अतिवादियों ने धमकियाँ भी दी है। पर्चियों पर लिखा हैः "देश में अब तुम्हारी उपस्थिति को सहा नहीं जा सकता इसलिये शीघ्रातिशीघ्र देश छोड़ कर चले जाओ। उन नेपालियों को भी देश से चले जाना चाहिये जिन्होंने ख्रीस्तीय धर्म का आलिंगन कर लिया है।" 

ग़ौरतलब है कि 20 सितम्बर को नेपाल में नये संविधान की घोषणा के बाद से राष्ट्र में तनाव उत्पन्न हो गये हैं। नया संविधान नेपाल को एक धर्मनिर्पेक्ष राष्ट्र घोषित करता है। नेपाल में ख्रीस्तीय लोग राष्ट्र की आबादी का कुल 0.5 प्रतिशत हैं जिनके साथ कई क्षेत्रों में भेदभाव किया जाता है, जैसे गिरजाघरों एवं कब्रस्तानों के लिये भूमि ख़रीदने का अधिकार ख्रीस्तीयों को नहीं है। 








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