2015-10-05 12:40:00

धर्माध्यक्षीय धर्मसभा कोई संसद नहीं, सन्त पापा फ्राँसिस


वाटिकन सिटी, सोमवार, 5 अक्टूबर 2015 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने सोमवार, 5 अक्टूबर को वाटिकन के सिनड भवन में विश्व के कार्डिनलों, महाधर्माध्यक्षों, धर्माध्यक्षों तथा लोकधर्मियों के प्रतिनिधियों को सम्बोधित कर 05 से 25 अक्टूबर तक चलनेवाली विश्व धर्माध्यक्षीय धर्मसभा का शुभारम्भ किया। 

अपने सम्बोधन में सन्त पापा ने स्मरण दिलाया कि धर्माध्यक्षीय धर्मसभा का लक्ष्य काथलिक कलीसिया एवं उसके सदस्यों के कल्याण के लिये प्रेरितिक एवं धर्मसैद्धान्तिक साहस के साथ, सहशासन एवं सहभागिता की भावना में पवित्रआत्मा के संग-संग चलना है। 

उन्होंने इस बात के प्रति ध्यान आकर्षित कराया कि धर्मसभा कोई सम्मेलन नहीं हैं, यह कोई संसद अथवा पार्लर नहीं है जहाँ सबकी सहमति के लिये एकत्र हुआ जाये अपितु धर्मसभा एक कलीसियाई अभिव्यक्ति है जिसमें कलीसिया विश्वास की आँखों से वास्तविकताओं को देखते हुए अग्रसर होती है इसलिये कि कलीसिया कोई संग्रहालय नहीं है अपितु वह स्रोत है जिससे इसके सदस्य अपनी आन्तरिक तृष्णा को बुझाते हैं।

सन्त पापा ने धर्माचार्यों से कहा कि यह धर्मसभा तब ही सफल हो सकती है जब इसमें भाग लेनेवाले सभी प्रतिभागी प्रेरितिक साहस, सुसमाचारी विनम्रता तथा विश्वासमय भक्ति से परिपूर्ण रहें तथा पवित्रआत्मा से प्रेरित होकर सत्य के प्रकाश में अपनी बातों को प्रकट करें। उन्होंने कहा कि ईश्वर की वाणी सुनें ब़गैर हमारे सभी शब्द निरर्थक एवं अर्थहीन होंगे।








All the contents on this site are copyrighted ©.