2015-09-26 16:10:00

येसु हमें गुमनाम, खोखलापन तथा स्वार्थ की भावना से मुक्त करते हैं


न्यूयॉक, शनिवार, 26 सितम्बर 2015 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने न्यूयॉक के मैडीसन स्क्वयर गार्डेन में ख्रीस्तयाग अर्पित किया। उन्होंने प्रवचन में निर्वासन के दौरान नबी इसायस की भविष्यवाणी पर चिंतन किया जहां वे कहते हैं, ″अंधकार में भटकने वाले लोगों ने एक महती ज्योति देखी है।″(इसा.9:1)

उन्होंने कहा, वे लोग जो अपने कार्यों एवं दिनचर्या में व्यस्त थे अपनी सफलता तथा असफलता, अपनी चिंताओं एवं अपेक्षाओं से घिरे थे उन्होंने एक महान ज्योति देखी। आनन्द तथा आशा, निराशा एवं पछतावा के बीच लोगों ने एक बड़े प्रकाश को देखा। संत पापा ने कहा कि सभी पीढ़ियों की ईश प्रजा, इस ज्योति पर चिंतन करने हेतु आमंत्रित है। वे राष्ट्रों के प्रकाश हैं जैसा कि वृद्ध सिमयोन ने कहा था। एक प्रकाश जिसे इस शहर के हर कोने में, हर नागरिक पर तथा उनके जीवन के हर पहलूओं पर चमकना है। 

संत पापा ने ईश प्रजा की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वह देख सकती है। ख्रीस्त के प्रकाश पर चिंतन कर सकती है, जीवन की अंधकारमय परिस्थितियों में भी वह उस पर नजर डाल सकती है। ईश्वर की निष्ठावान प्रजा उसे देख, परख तथा जीवन में उनकी जीवित उपस्थिति पर चिंतन कर सकती है।

उन्होंने कहा कि महानगरों में जीवन यापन करना सदा आसान नहीं है क्योंकि यह कई कारणों से चुनौतीपूर्ण होता है किन्तु अपनी विविध संस्कृति, परम्परा एवं ऐतिहासिक अनुभवों द्वारा वे हमें दुनिया की छिपित सम्पन्नता को प्रकट करते हैं। बड़े शहर उन सभी उपायों को एक साथ प्रस्तुत करते हैं जिन्हें जीवन को अर्थपूर्ण बनाने के लिए विभिन्न लोगों ने खोज निकाला है। शहरों में बहुधा कई अंजान चेहरे गुजर जाते हैं जिनकी कोई पहचान नहीं होती क्योंकि वहाँ रहने का उनका कोई अधिकार नहीं होता है। वे परदेशी हैं, उनके बच्चे स्कूल नहीं जा सकते, दवा की सुविधाओं से वे वंचित होते हैं वे आवास रहित तथा उनके वृद्ध भूला दिए जाते हैं। वे हमारे चौड़े मार्गों पर अपने गुमनामों की रक्षा करने हेतु खड़े रहते हैं।

संत पापा ने स्मरण दिलाया कि येसु अब भी हमारे रास्तों पर चलते हैं हमारे जीवन में सहभागी बनते हैं तथा हमें आशा प्रदान करते हैं। वह आशा हमें एकाकी पन की ओर बढ़ने तथा लोगों के प्रति संवेदनहीन बनने के बंधन से मुक्त करती है। वह हमें व्यर्थ की आदतों से बचाती है। आशा सहभागी होने से नहीं डरती तथा जहाँ हम जीते और कार्य करते हैं एक ख़मीर की तरह कार्य करती है। आशा हमें कोहरे के बीच भी ईश्वर की उपस्थिति को देख पाने में मदद करती है।

संत पापा ने कहा कि हमारे बीच निवास करने वाले ईश्वर से हम किस प्रकार मुलाकात कर सकते हैं? नबी इसायस के शब्दों में, हम देखना सीखें। उन्होंने येसु को एक अद्भुत परामर्शदाता, सर्वशक्तिमान ईश्वर, अनन्त पिता तथा शांति के राजकुमार के रूप में प्रस्तुत किया। वे हमें येसु के जीवन को प्रस्तुत करते हैं ताकि उनका जीवन हमारा जीवन बन सके।

सुसमाचार हमें बतलाता है कि लोग येसु से यह पूछने आये कि गुरु हमें क्या करना चाहिए। उन्हें परामर्श देते हुए येसु ने कहा कि बाहर जाकर लोगों से मुलाकात करें। लोगों के पास जाकर उस आनन्द का प्रचार करें जो सभी के लिए है। वे सर्वशक्तिमान ईश्वर हैं क्योंकि येसु में ही ईश्वर ने मानव रूप धारण कर हमारे बीच निवास किया। जो हमारे जीवन तथा परिवारों में हमारे साथ सहभागी होते हैं। वे अनन्त पिता है क्योंकि संसार की कोई भी वस्तु हमें उनके प्रेम से अलग नहीं कर सकती है। दुनिया में जाकर सुसमाचार का प्रचार करने का अर्थ है ईश्वर दयालु हैं वे अपने लोगों की चिंता करते हैं। वे शांति के राजकुमार हैं क्योंकि वे दूसरों के पास जाकर ईश्वर के सुसमाचार का प्रचार करते हैं। वे हमें गुनाम, खोखलापन तथा स्वार्थ की भावना से मुक्त करते हैं तथा मुलाकात के समाज में प्रवेश कराते हैं। वे हमारे सामने शांति का मार्ग खोल देते हैं वह शांति जो स्वीकृति से उत्पन्न होती है तथा जब हम अपने भाई बहनों को जरूरत में पड़े देखते हैं तो वह हमारे हृदयों को उदारता की भावना से भर देती है।

संत पापा ने कहा कि ईश्वर हमारे शहर में निवास करते हैं। कलीसिया शहर में जीवित है तथा वह ख़मीर के समान काम करना चाहती है। वह सभी के साथ मिल-जुलकर रहना चाहती है सभी का साथ देना तथा ईश्वर के अद्भुत परामर्श, महानता, अनन्त पिता तथा शांति के राज कुमार होने की घोषणा करना चाहती है।








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