2015-09-26 15:41:00

बदले की भावना केवल दुःख, पीड़ा, विनाश तथा आँसू लाती है


न्यूयॉक, शनिवार, 26 सितम्बर 2015 (वीआर सेदोक): अमरीका की प्रेरितिक यात्रा पर न्यूयॉक के ग्राऊन्ड ज़ीरो मेमोरियल गये संत पापा फ्राँसिस ने अंतरधार्मिक वार्ता के प्रतिनिधियों से मुलाकात की तथा हिंसा के शिकार लोगों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की।

संत पापा ने अंतरधार्मिक वार्ता के सभी प्रतिनिधियों को सम्बोधित कर कहा, ″ग्राऊन्ड ज़ीरो की भूमि में उपस्थित होकर मैं कई मिश्रित भावनाओं का एहसास कर रहा हूँ जहाँ हज़ारों लोगों की जान विनाश के व्यर्थ कारणों द्वारा ली गयी थी। यहाँ दुःख साफ नजर आती है। खाली गड्ढे की ओर बहता जल हमें उन लोगों की याद ताज़ी कर देता है जो सोचते थे कि विनाश तथा तोड़-फोड़ ही संघर्ष को समाप्त करने का एक मात्र रास्ता था।

 यहाँ उन लोगों की मौन रूदन सुनाई पड़ती है जो हिंसा, घृणा तथा बदले की भावना रखने वालों के कोप भाजन बने। संत पापा ने कहा कि यह एक ऐसी विचारधारा है जो केवल दुःख, पीड़ा, विनाश तथा आँसू लाती है। बहता जल आँसू का प्रतीक है, आँसू जो बहुत अधिक तबाही तथा भूत एवं वर्तमान के विनाश के कारण बही। यह वह स्थान है जहाँ हमने बहुत अधिक आँसू बहाया है, अन्याय, हत्या तथा वार्ता द्वारा संघर्ष का अंत नहीं कर पाने के कारण असहाय होने का अनुभव किया है। हम यहाँ निर्दोष लोगों को खोने के कारण विलाप करते हैं।

संत पापा ने ग्राऊण्ड जीरो मेमोरियल में शहीद लोगों के कारण प्रभावित परिवारों की याद कर कहा कि इस हिंसक आक्रमण का दुष्प्रभाव आज भी उन्हें झेलना पड़ रहा है। उनके चेहरे पर दुःख के गहरे निशान अब भी दिखाई पड़ते हैं किन्तु उनमें प्यार एवं स्मृति की शक्ति है। शहीद प्रियजनों के नाम स्मारक में अंकित हैं जिन्हें हम स्पर्श कर उनकी याद ताज़ी कर सकते हैं। दुःख और विलाप के मध्य हम यहाँ उन शहीदों के साहसिक भले कार्यों को स्पष्ट रूप से महसूस कर सकते हैं और उनसे बल प्राप्त करते हैं। कष्ट और पीड़ा की गहराई में उन्होंने उदारता एवं सेवा का महान साक्ष्य प्रस्तुत किया। उनमें से किसी ने अपनी जाति, देश, पड़ोसी, धर्म अथवा राजनीति की चिंता नहीं की। यह मात्र सौहार्द, तात्कालिक आवश्यकताओं की पूर्ति, भाईचारा आदि का परिणाम था इस प्रकार उनके बलिदान ने बहुतों की जान बचाई।

संत पापा ने कहा कि मृत्यु का यह स्थान आज जीवन का स्थान बन गया है जहाँ जीवन की रक्षा  की गयी थी जहाँ घृणा एवं विभाजन का अंत मेल-मिलाप तथा एकता द्वार किया जाकर विनाश एवं मृत्यु पर विजय गीत गायी गयी थी।

इस प्रकार यह महान आशा का स्थान बन गया है। संत पापा ने सभी प्रतिनिधियों के साथ एकजुटता दिखाते हुए कहा, ″मैं विश्वास करता हूँ कि हमारा एक साथ जमा होना इस समुदाय तथा दुनिया में मेल-मिलाप, शांति तथा न्याय की चाह का एक शक्तिशाली चिन्ह बन जाए। अपने हर विविधता एवं असहमति के बावजूद हम एक-दूसरे के साथ शांति की दुनिया में जी सकें।

कठोर एकरूपता स्थापित करने के लिए थोपे गये हर कदम का विरोध कर हम भाषा, संस्कृति तथा धर्मों की विविधता के बावजूद एकता बनाये रख सकते हैं तथा एकता के हर बाधा को दूर करने के लिए आवाज ऊंची कर सकते हैं। यहाँ हम आरोपित एकरूपता को ‘नहीं’ तथा विविधता को स्वीकार करने के लिए ‘हाँ’ कहने हेतु बुलाये गये हैं। यह तभी सम्भव है जब हम अपने हृदय से घृणा, प्रतिशोध और असंतोष की भावना को उखाड़ फेकेंगे। संत पापा ने सभी से आग्रह कि कुछ क्षण मौन रहकर ईश्वर से शांति हेतु समर्पण की कृपा के लिए प्रार्थना करें। हमारे घर, परिवार, स्कूल तथा समुदायों में शांति के लिए प्रार्थना करें तथा उन सभी के लिए जिन्होंने जीवन भर दुःख का अनुभव किया है। 








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