2015-09-21 15:49:00

स्वप्न देखें एवं आशा बनाये रखें


हवाना, सोमवार, 21 सितम्बर 2015 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने क्यूबा की राजधानी हवाना स्थित फादर फेलिक्स वरेला सांस्कृतिक केंद्र में 20 सितम्बर को क्यूबा के युवाओं से मुलाकात कर उन्हें स्वप्न देखने एवं ख्रीस्त में आशा बनाये रखने का परामर्श दिया।

उन्होंने कहा,  ″एक अमरीकी लेखक ने कहा है कि लोगों की दो आँखें होती हैं एक जो मांस का तथा दूसरा शीशे का। मांस से बनी आँख से वह वास्तविकता को देखता है किन्तु शीशे की आँख से वह अपने स्वप्न को देखता है।″

उन्होंने कहा कि सभी को स्वप्न देख पाने की क्षमता होनी चाहिए तथा जो ऐसा नहीं कर सकता वह अपने आप में बंद है। कई बार हम भी बंद हो जाते तथा अपनी छोटी दुनिया में रहना पसंद करते हैं। जब धर्म एक अलग कोठरी बन जाती है तब धर्म ईश्वर की पूजा एवं उन पर विश्वास के अपने सच्चे उद्देश्य को खो देती है। जब सोच-विचार करने के मेरे अपने तरीके होते तथा दूसरों के अपने, तो मैं अपने आपको उसी अलग कोठरी में बंद कर लेता हूँ। हम उस बात पर पत्थर क्यों फेंकते हैं जो हमें एक-दूसरे से पृथक कर देता है। संत पापा ने आपसी झगड़े से बचने के लिए कहा कि हम समस्याओं को सुलझाने के लिए झगड़ा नहीं, वार्ता करें। उन्होंने कहा, ″मैं नहीं कहता कि आप अपने आप में बंद हो जाएँ। सुलह तभी संभव है जब आपके पास वार्ता करने की क्षमता हो और इस के द्वारा एक साथ काम किया जा सके। संत पापा ने कहा कि जब किसी कार्य को समाज के विभिन्न धर्मों एवं जाति के लोग एक साथ मिलकर करते हैं तो इसी में सामाजिक मित्रता का भाव है जो सार्वजनिक कल्याण की खोज करता है। सामाजिक वैमनस्य नष्ट करता है। शत्रुता परिवार, देश तथा दुनिया को नष्ट कर सकता है। जिसका सबसे बड़ा इंधन है युद्ध। संत पापा ने कहा कि आज हम देख रहे हैं कि युद्ध दुनिया को नष्ट कर रहा है क्योंकि वे साथ बैठकर बात नहीं कर पा रहे हैं। जहाँ विभाजन है वहाँ मृत्यु है आत्मा की मृत्यु क्योंकि एकजुट होने की क्षमता को हमने मार डाला है हमने सामाजिक मित्रता की भावना को मारा है। संत पापा ने अपील की कि हम आज सामाजिक मित्रता का भाव उत्पन्न करें।

संत पापा ने अपने संदेश के दूसरे बिन्दु आशा पर प्रकाश डालते हुए कहा, ″हम सुनते हैं कि युवा ही लोगों की आशाएँ हैं। किन्तु आशा क्या है? आशा अनावरण है योजना को साकार करने के लिए कष्ट उठाना जानता है बलिदान करना जानता है भविष्य के लिए दुःख उठाना जानता है. आशा फलदायक है यह जीवन प्रदान करता है। संत पापा ने कहा कि मैं ऐसे किसी युवा की कल्पना नहीं कर सकता जो बेपरवाह, स्वप्न हीन, विचार रहित अथवा किसी बड़ी चीज की आशा न करता हो।″  

आशा एक प्यास है, जीवन की परिपक्वता की लालसा तथा बड़ी चीजों को प्राप्त करने की अभिलाषा है। चीजें जो सच्चाई, अच्छाई, सुन्दर, न्याय तथा प्यार द्वारा हमारे हृदय को तृप्त करती हैं। संत पापा ने सचेत किया किन्तु इसमें खतरा भी है जब हम झूठे आनन्द की प्रतिज्ञा, क्षणिक एवं स्वार्थ भरे सुख एवं आत्मकेंद्रित जीवन को प्राप्त करने के प्रलोभन में पड़ते हैं जो अंततः हृदय को उदासी और कड़वाहट से भर देता है।

संत पापा ने कहा कि आपके जीवन को कौन सी बात आकार प्रदान करती है? आपके जीवन की गहराई में क्या है आपकी आशाएँ एवं आकांक्षाएँ किस बात में हैं। क्या आप उनसे भी बड़ी चीज की आशा रखते हैं? उन्होंने कहा कि आप अवश्य ही बड़ी चीजों की अभिलाषा करते हैं किन्तु अपनी अनेक समस्याओं के कारण उसे दफना देना चाहते हैं। मैं आपकी परिस्थिति समझता हूँ किन्तु यह नहीं चाहता कि आप निराशा के शिकार बनें जो इच्छा और बुद्धि को पंगु कर देता है। इस भावना का परिणाम यह होता है कि हम वास्तविकता से भागकर व्यर्थ की काल्पनिक सुख की खोज करने लगते हैं अथवा एकाकी पन को अपनाते, न्याय, सच्चाई तथा हमारे आस-पास एवं हमारे अंदर से आती मानवता की आवाज के प्रति हम बहरे हो जाते हैं।

ऐसे समय में हमें क्या करना चाहिए?

उन्होंने कहा कि आशा एक ऐसा रास्ता है जो स्मृति एवं विवेक से बना है। यह एक ऐसा रास्ता नहीं है जिसे हम सुख पाने के लिए अपनाते हैं किन्तु इसका एक लक्ष्य है जो व्यवहारिक है तथा हमारे रास्ते को आलोकित करती है। आशा स्मृति द्वारा पोषित होती है यह न केवल भविष्य किन्तु भूत एवं वर्तमान को भी देखती है। जीवन में आगे बढ़ने के लिए हमें किस ओर बढ़ना है उसकी सही जानकारी हमें होनी चाहिए, साथ ही, हमें यह भी जानना चाहिए कि हमारा उद्गम कहाँ है। व्यक्ति जो अपनी बीती यादों को मिटा देना चाहता है वह अपनी पहचान एवं भविष्य को खोने की जोखिम उठाता है। अतः हमें याद रखना चाहिए कि हम कौन हैं हमारी आध्यात्मिक तथा नैतिक धरोहर क्या है? यही अनुभव तथा अंतर्दृष्टि क्यूबा के महान फादर फेलिक्स वारेला को प्राप्त थी। हमें आत्म परीक्षण की आवश्यकता है जिसके द्वारा हम वास्तविकता के प्रति खुले होकर बिना भय एवं पूर्वाग्रह के उसका अवलोकन कर सकते हैं।

आशा की विशेषता बतलाते हुए संत पापा ने कहा कि आशा एक ऐसा रास्ता है जिसे अन्यों के साथ मिलकर अपनाया जाता है। अकेला व्यक्ति आशा उत्पन्न नहीं कर सकता किन्तु दूसरों के साथ करीबी एवं उनसे मुलाकात में वह आशा में बढ़ता है। यह मुलाकात एवं वार्ता की संस्कृति हेतु प्रेरित करती है। इसके लिए युवाओं की आवश्यकता है जो एक दूसरे को जानने तथा प्यार करने की तमन्ना रखते हैं ताकि देश के निर्माण में एक साथ आगे बढ़ सकें।

आशा समन्वय का रास्ता है। मुलाकात की संस्कृति स्वाभाविक रूप से एकजुटता की ओर अग्रसर करती है। बिना एकजुटता के देश का कोई भविष्य नहीं है।

जीवन का रास्ता ऊंची आशा द्वारा आलोकित होता है वह आशा जो ख्रीस्त में विश्वास द्वारा उत्पन्न होता है। उन्होंने अपने को हमारा मित्र बनाया। वे न केवल हम से मुलाकात करते किन्तु हमारे साथ चलते हैं। ईश्वर के पुत्र ने हमारी यात्रा में हमारा साथ देने के लिए मानव रूप धारण किया। उनकी उपस्थिति, मित्रता एवं प्यार में विश्वास हमारी सभी आशाओं तथा सपनों को आलोकित करती है। उनके साथ हम सच्चाई की परख कर सकते हैं दूसरों से मुलाकात एवं उनकी सेवा करते तथा एकजुटता के रास्ते पर आगे बढ़ते हैं।

संत पापा ने क्यूबा के सभी युवाओं को सम्बोधित कर कहा, क्यूबा के प्रिय युवाओ, यदि स्वयं ईश्वर ने हमारे इतिहास में प्रवेश किया है तथा येसु के रूप में शरीर धारण किया है। हमारे पापों और कमजोरियों को अपने ऊपर लिया है तो हमें डरने की आवश्यकता नहीं है हम भविष्य से न घबरायें क्योंकि ईश्वर हमारे साथ हैं, वे हम पर विश्वास करते हैं तथा आशा रखते हैं। ख्रीस्त में विश्वास आपका पथ प्रदर्शन करे।








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