2015-09-15 13:12:00

24 वें विश्व रोगी दिवस के लिये सन्त पापा का सन्देश प्रकाशित


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 15 सितम्बर 2015 (सेदोक): सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया द्वारा घोषित विश्व रोगी दिवस के लिये सन्त पापा फ्राँसिस के सन्देश की प्रकाशना मंगलवार को कर दी गई। 

विश्व रोगी दिवस प्रतिवर्ष लूर्द की रानी मरियम के महापर्व के अवसर पर 11 फरवरी को मनाया जाता है। वर्ष 2016 में 24 वाँ विश्व रोगी दिवस मनाया जायेगा जिसके सन्देश का शीर्षक, सन्त योहन रचित सुसमाचार से लिया गया हैः "मरियम के सदृश स्वतः को करुणावान येसु के सिपुर्द करें, जो कुछे वे कहें करें।" 

सन्देश में सन्त पापा सन्त योहन रचित सुसमाचार में निहित काना के विवाह के विवरण पर चिन्तन का आग्रह करते हैं जहाँ येसु ने अपनी पहला चमत्कार सम्पादित किया था। रोगी के इस प्रश्न का उत्तर देते हुए कि क्यों मुझपर ही कहर बरसा? सन्त पापा लिखते हैः "ऐसी स्थिति में मानव व्यक्ति अपने अस्तित्व के संकट में प्रवेश करता तथा अपनी बीमार अवस्था का विरोध करता है, वह निराश और हताश हो जाता है और यह मानने लगता है कि सबकुछ ख़त्म हो गया है किन्तु यदि ईश्वर में उसका विश्वास सुदृढ़ है तो किसी भी कठिनाई को पार करने में सक्षम बनेगा।" उन्होंने लिखाः "ईश्वर में विश्वास उसकी सकारात्मक शक्ति को प्रकाशमान बनायेगा।"

सन्त पापा ने स्पष्ट किया कि विश्वास रोग अथवा दुःख को हरता नहीं किन्तु जीवन के गहनतम मूल्यों की खोज में मदद कर पीड़ा को सहने की शक्ति प्रदान करता है।             

सन्त पापा ने कहा कि सुसमाचार में निहित काना का विवाह कलीसिया की छवि को प्रस्तुत करता है जिसके केन्द्र प्रभु येसु ख्रीस्त हैं जो अपनी माता के आग्रह का बहिष्कार नहीं करते तथा साधारण जनता के आनन्द को संवर्धित करते हैं। उन्होंने कहा येसु ने रोगियों को चंगा किया एवं  भूखों का भोजन कराया तथा अपने सभी कार्यों में दया प्रदर्शित की, वह दया जो हमें जीवन में आगे बढ़ने के लिये प्रोत्साहित करती है। 

विश्व रोगी दिवस के सन्देश में सन्त पापा ने परिवार के हर वर्ग को सम्बोधित किया है तथा माता-पिता से आग्रह किया है वे अपनी सन्तानों की देख-भाल करें तथा सन्तानों से आग्रह किया है कि वे अपने माता पिता एवं वयोवृद्धों की, विशेष रूप से, जब वे बीमार हों, हर सम्भव मदद करें।  








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