2015-09-14 12:47:00

क्रूस में प्रदर्शित होता है ईश्वर का करुणावान प्रेम, कार्डिनल फिलोनी


बान्देल, सोमवार, 14 सितम्बर 2015 (सेदोक): पश्चिम बंगाल के बान्देल में ख्रीस्तायग के दौरान वाटिकन के वरिष्ठ कार्डिनल फेरनानदो फिलोनी ने ख्रीस्त के पवित्र क्रूस का मर्म समझाया।

वाटिकन स्थित सुसमाचार प्रचार परिषद के अध्यक्ष कार्डिनल फेरनानदो फिलोनी 13 से 15 सितम्बर तक भारत की यात्रा पर हैं। इससे पूर्व उन्होंने बंगला देश की यात्रा की थी।

कोलकाता महाधर्मप्रान्त के बान्देल स्थित मरियम को समर्पित महागिरजाघर में, पवित्र क्रूस के महापर्व के उपलक्ष्य में ख्रीस्तायग के दौरान प्रवचन करते हुए कार्डिनल महोदय ने कहा कि केवल ऐतिहासिक एवं ईशशास्त्रीय दृष्टि से ही ख्रीस्त के क्रूस पर विचार नहीं किया जाना चाहिये बल्कि इसके मानवीय पक्ष पर चिन्तन किया जाना चाहिये।

कार्डिनल फिलोनी ने कहा, "क्रूस लज्जा और कलंक के चिन्ह से प्रेम एवं महिमा का चिन्ह सिर्फ इसलिये बना कि प्रभु ख्रीस्त ने उसे धारण करना स्वीकार किया। वह यातनाओं और मृत्यु के प्रतीक से जीवन और कृपा का अस्त्र बन गया।" इसीलिये, उन्होंने कहा, "हमें भी कठिनाइयों, संकटों एवं उत्पीड़न के क्षणों में प्रभु ख्रीस्त का अनुसरण करते हुए धैर्यपूर्वक सबकुछ को ईश्वर की महिमा के लिये स्वीकार कर लेना चाहिये ताकि निरंकुश सत्ता और हिंसा में लिप्त रहने वालों का मनपरिवर्तन हो।" 

उन्होंने कहा, "ख्रीस्त का क्रूस क्षमा का पवित्र चिन्ह है, जिसकी अभिव्यक्ति प्रभु येसु ख्रीस्त ने क्रूस पर टंगे हुए, सन्त लूकस रचित सुसमाचार के अनुसार, इन शब्दों में कीः "हे पिता इन्हें क्षमा कर दे क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहे हैं।"

उन्होंने कहा कि इसीलिये गलातियों को प्रेषित पत्र में सन्त पौल लिखते हैं कि "ख्रीस्त के क्रूस में ही उनकी महिमा है"। इस प्रकार, कार्डिनल फिलोनी ने कहा, "प्रभु येसु का क्रूस हमारी महिमा का कारण है क्योंकि हमारा आनन्द, हमारी शांति और सान्तवना, हमारी आशा और आस्था, हमारी आधार शिला एवं विश्राम स्थल, हमारा दुर्ग एवं शरण स्थल, हमारा भोजन एवं चिकित्सा सबकुछ ख्रीस्त के क्रूस में निहित है।"

उन्होंने परामर्श दिया कि हम अपने भले कर्मों अथवा अपनी धर्मपरायणता पर गर्व न करें अपितु सन्त पौल के सदृश ही प्रभु ख्रीस्त के क्रूस पर गर्व करें।








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