2015-09-10 16:19:00

व्यक्ति जो क्षमा नहीं कर सकता वह ख्रीस्तीय धर्मानुयायी नहीं


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 10 सितम्बर 2015 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मार्था के प्रार्थनालय में बृहस्पतिवार 10 सितम्बर को पावन ख्रीस्तयाग अर्पित हुए प्रवचन में संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि येसु दयालु है, जो क्षमा नहीं करता वह ख्रीस्तीय धर्मानुयायी नहीं है।

संत पापा ने प्रवचन में युद्ध हेतु हथियारों का उत्पादन करने वाले लोगों की निंदा की तथा ख्रीस्तीय समुदायों में तनावों से सावधान कराया। उन्होंने पुरोहितों से अपील की कि वे दयालु बनें।

उन्होंने कहा, ″येसु शांति के राजकुमार हैं वे हमें शांति प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक दिन हम समाचारों में युद्ध के कारण कितनी अधिक कड़वाहट, विनाश, घृणा और शत्रुता देखते हैं। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि सरी ओर हम कितने लोगों को देखते हैं जो हथियार उत्पादन में कड़ी मेहनत करते हैं जो कितने निर्दोषों का खून बहाता है। युद्ध नष्ट करता और हमें गिराता है।

संत पापा ने शांति स्थापित करने का उपाय बतलाते हुए कहा कि क्षमाशीलता के द्वारा युद्ध पर विजय पाया जा सकता है। उन्होंने कहा, ″जो क्षमा नहीं कर सकता है वह ख्रीस्तीय धर्मानुयायी नहीं है।

संत पापा ने ख्रीस्तीय समुदाय की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए कहा कि युद्ध न केवल दुनिया के अन्य लोगों के द्वारा हो रहा है किन्तु ख्रीस्तीय समुदाय में भी आपसी तनाव है। उन्होंने कहा कि अपने बीच शांति बनाये रखें जिसकी कुँजी है क्षमाशीलता। जिस प्रकार प्रभु ने हमें क्षमा प्रदान की है हम भी एक दूसरे को क्षमा करें।

यदि हम क्षमा करना नहीं जानते हैं तो हम ख्रीस्तीय नहीं हैं। हम एक भले व्यक्ति हो सकते हैं किन्तु यदि आप क्षमा नहीं कर सकते हैं तो मन की शांति प्राप्त नहीं कर सकते हैं।

संत पापा ने कहा कि कितने ऐसे लोग हैं जो परिवार की भलाई के लिए अन्याय और कष्ट सहते हैं किन्तु वे धर्मी हैं।

उन्होंने ऐसे लोगों को सचेत किया कि जो अपनी भाषा एवं विचारों द्वारा युद्ध को बढ़ावा देते हैं क्योंकि भाषा में युद्ध करने जैसी विनाशकारी शक्ति होती है। अतः शांति हेतु दूसरा महत्वपूर्ण शब्द है दया जो दूसरों को समझता तथा उन्हें सज़ा नहीं देता है। संत पापा ने पुरोहितों से आग्रह किया कि वे पाप स्वीकार संस्कार के दौरान दया का भाव रखें क्योंकि पिता करुणावान हैं वे हमेशा क्षमा करते हैं तथा हमारे साथ शांति स्थापित करते हैं। संत पौलुस की शिक्षा का हवाला देते हुए संत पापा ने कहा कि ख्रीस्तीय धर्मानुयायी कोमलता, दयालुता, विनम्रता एवं सौम्यता धारण करें। इन्हीं गुणों द्वारा येसु ने शांति तथा मेल- मिलाप स्थापित किया।








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