2015-09-08 13:02:00

विवाह शून्यन प्रक्रिया सम्बन्धी सन्त पापा की प्रेरणा से रचित दो "मोतू प्रोप्रियो" प्रकाशित


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 8 सितम्बर 2015 (सेदोक): वाटिकन ने मंगलवार, 08 सितम्बर को सन्त  पापा फ्राँसिस की प्रेरणा से रचित दो "मोतू प्रोप्रियो" यानि स्वप्रेरणा से रचित प्रेरितिक पत्रों की प्रकाशना कर दी।

मंगलवार को प्रकाशित सन्त पापा के दोनों "मोतू प्रोप्रियो" प्रेरितिक पत्र "मीतिस यूदेक्स दोमिनुस येसुज़" अर्थात् प्रभु येसु विनीत न्यायकर्त्ता तथा "मीतिस एत मिज़ेरीकोर्स येसुज़" अर्थात् येसु, विनीत एवं दयावान, विवाह शून्यन की प्रक्रिया के सुधार से सम्बन्धित हैं।

दोनों दस्तावेज़ों में कलीसियाई विधान संहिता तथा पूर्वी रीति की कलीसियाओं के कलीसियाई विधान में निहित विवाह शून्यन सम्बन्धी कानून संहिता का सुधार निहित है।

परमधर्मपीठीय प्रेस कार्यालय ने घोषणा की कि विगत वर्ष 27 अगस्त, सन् 2014 को सन्त पापा फ्राँसिस ने विवाह शून्यन सम्बन्धी कानून में सुधार हेतु धर्मतत्व वैज्ञानिकों के एक विशिष्ट आयोग की स्थापना की थी। इन्हीं धर्मतत्व वैज्ञानिकों के प्रस्तावों के आधार पर सन्त पापा ने उक्त "मोतू प्रोप्रियो" की रचना की है।      

पत्रकारों के समक्ष सन्त पापा के नवीन "मोतू प्रोप्रियो" दस्तावेज़ों की प्रस्तावना कर परमधर्मपीठीय रोमी प्रेरितिक अदालत के मान्यवर पियो वीतो पिन्टो ने इस बात को स्पष्ट किया कि उक्त दस्तावेज़ों में निहित सुधारों का अर्थ विवाह संस्कार के अविलेयता कदापि नहीं है जो पहले की तरह ही बरकरार रहेगी।

उन्होंने कहा कि सन्त पापा के इन दस्तावेज़ों में विवाह शून्यन सम्बन्धी कलीसियाई कानून में निहित विवाह संस्कार की अविलेयता को रद्द नहीं किया गया है अपितु विवाह शून्यन की प्रक्रिया को छोटा बनाया गया है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने कहा कि इसमें स्थानीय धर्मप्रान्त के धर्माध्यक्षों की केन्द्रभूत भूमिका को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है।

     








All the contents on this site are copyrighted ©.