2015-09-07 15:33:00

पिता के साथ संबंध स्थापित करने हेतु येसु एक महान सेतु


वाटिकन सिटी, सोमवार, 7 सितम्बर 2015 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 6 सितम्बर को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा,

अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,

आज का सुसमाचार पाठ येसु द्वारा एक बहरे-गूँगे के चंगा किये जाने की घटना को प्रस्तुत करता है जो दर्शाता है कि येसु किस प्रकार ईश्वर तथा लोगों के बीच संबंध को पुनः स्थापित करते हैं। यह चमत्कारिक घटना ग़ैरयहूदियों के प्रांत देकापोलिस में घटी जिसके कारण बहरे-गूँगे व्यक्ति के येसु द्वारा चंगा किये जाने की घटना एक अविश्वासी की विश्वास की ओर यात्रा का प्रतीक बन गई।″  

संत पापा ने कहा कि वास्तव में उसका बहरापन सुनने की असमर्थता को प्रकट करता है जो न केवल मनुष्यों के शब्दों को किन्तु ईश्वर की वाणी को भी सुनने में असमर्थ था। संत पौलुस हमें स्मरण दिलाते हैं कि ″सुनने से विश्वास उत्पन्न होता है।″(रोम. 10:17)

इस घटना में सबसे पहले येसु ने व्यक्ति को भीड़ से अलग एकान्त में ले लिया तथा घटना का प्रचार करने से मना किया। संत पापा ने कहा कि ख्रीस्त प्रदत्त ईश वचन को आत्मसात करने के लिए मौन की आवश्यकता है, तब यह हमें चंगाई प्रदान करता है, मेल-मिलाप कराता तथा संबंध को पुनः स्थापित करता है।

सुसमाचार लेखक संत मारकुस ने येसु के दो चिन्हों को उजागर किया है। घटना में येसु बहरे-गूँगे के कान और जीभ का स्पर्श करते हैं। यह स्पर्श उस व्यक्ति के संबंध में सुधार लाने के लिए था जो अपने आप में बंद हो चुका था। संत पापा ने कहा कि चमत्कार ईश्वर का वरदान है जिसको प्रदान करने की याचना येसु ने पिता से की जब उन्होंने आकाश की ओर आँखें उठा कर आह भरी और कहा, एफेता अर्थात् ‘खुल जा’। उसी क्षण उसके कान खुल गये तथा उसकी जीभ का बंधन खुल गया जिससे वह अच्छी तरह बोलने लगा। (पद.35)

संत पापा ने कहा कि इस घटना से हमें यह शिक्षा मिलती है कि ईश्वर अपने आप में बंद नहीं हैं किन्तु अपना द्वार खोलकर मानव जाति से संबंध स्थापित करते हैं। अपनी महान करुणा के कारण वे अनंत अंतर की खाई को पार कर हमारे पास आते हैं। इस संबंध को प्राप्त करने के लिए ईश्वर ने मानव का रूप धारण किया। संहिता एवं नबियों द्वारा वे सिर्फ बातें नहीं करते किन्तु पुत्र जो शब्द था और जिन्होंने शरीर धारण किया उनके द्वारा वे लोगों के बीच अपने को प्रस्तुत करते हैं। येसु एक महान ‘सेतु निर्माता’ हैं जो खुद के माध्यम से पिता के साथ पूर्ण संबंध स्थापित करते हैं। किन्तु सुसमाचार हमें बतलाते है कि हम अपने आप में बहुधा सिमटे हुए तथा बंद रहते हैं तथा कई दुर्गम द्वीपों का निर्माण करते हैं। कई बार बहुत ही आधारभूत संबंध में दरार आ जाती है जिसके कारण आदान-प्रदान करना मुश्किल हो जाता है, दम्पति, परिवार, गाँव तथा पल्ली में दरार होने के कारण एक दूसरे से अलग होकर बंद हो जाते हैं। संत पापा ने कहा कि यह ईश्वर की ओर से नहीं है किन्तु हमारा पाप है।

ख्रीस्तीय जीवन की शुरूआत बपतिस्मा से होती है जो एक चमत्कार है। इस संस्कार को ग्रहण करते हुए हम ने भी येसु के शब्द ‘एफेता’ अथार्त ‘खुल जा’ सुना। उस चमत्कार से हम स्वार्थ रूपी बहरे एवं गूँगेपन के पाप से मुक्त किये गये तथा कलीसिया के बृहद परिवार में शामिल किये गये। अब हम ईश्वर की वाणी को सुन सकते हैं तथा उनके वचनों को उन लोगों को भी सुना सकते हैं जिन्होंने अब तक उसे नहीं सुना है या उसे भूल चुके हैं अथवा कंटीली झाड़ी रूपी दुनिया की चिंताओं में दफना दिया है।

संत पापा ने माता मरिया से प्रार्थना करने की अपील करते हुए कहा, ″हम धन्य कुँवारी मरियम से प्रार्थना करें, सुनने एवं आनन्दपूर्ण साक्ष्य देने वाली माता हमें विश्वास की घोषणा करने तथा राह पर मिलने वाले लोगों से, प्रभु के महान कार्यों की चर्चा करने में मदद करे।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना समाप्त करने के पश्चात् संत पापा ने देश विदेश से एकत्र सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया।

अंत में, संत पापा ने प्रार्थना का आग्रह करते हुए सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की। 








All the contents on this site are copyrighted ©.