2015-09-06 08:19:00

प्रेरक मोतीः सन्त एलियोथेरियुस (पाँचवी शताब्दी)


वाटिकन सिटी, 06 सितम्बर सन् 2015:

एलियोथेरियुस एक धर्मनिष्ठ पुरुष थे। वे सादगी एवं परोपकार की भावना से परिपूर्ण थे। इटली के स्पोलेत्तो के निकटवर्ती सन्त मारकुस को समर्पित मठ के वे अध्यक्ष नियुक्त किये गये थे। अपनी चंगाई प्रार्थनाओं एवं चमत्कारों के लिये वे अपने लोगों में लोकप्रिय हो गये थे। किंवदन्ती है कि एक बार उनके मठ में एक बालक आया जो अपदूतग्रस्त था तथा जिसपर शैतान की शक्ति हावी थी। मठाध्यक्ष एलियोथेरियुस ने उसे आशीष दी तथा शिक्षा दीक्षा के लिये मठ में ही रख लिया। एक दिन लोगों के समक्ष एलियोथेरियुस ने कह दिया, "चूँकि यह बालक ईश सेवकों में से एक है शैतान उसे पकड़ने का दुस्साहस अब नहीं करेगा।" इन शब्दों में उनका मिथ्याभिमान झलक उठा तथा एक बार फिर शैतान की शक्ति से बालक ग्रस्त हो गया। तब एलियोथेरियुस ने अपने घमण्ड पर पश्चाताप कर पापस्वीकार किया, कई दिनों तक उपवास किया तथा अपने मठवासी भिक्षुओं के साथ मिलकर तब तक प्रार्थना करते रहे जब तक बच्चा पूर्णतः अपदूतों से मुक्त नहीं हो गया।

पाँचवी शताब्दी के मठाध्यक्ष एलियोथेरियुस के विषय यह भी कहा जाता है कि एक बार सन्त  ग्रेगोरी महान, अपनी शारीरिक कमज़ोरियों के कारण, पास्का की पूर्व उपवास नहीं कर सके तब उन्होंने एलियोथेरियुस को बुला भेजा और उनके साथ रोम स्थित सन्त अन्द्रेयस को समर्पित गिरजाघर गये। एलियोथेरियुस ने यहाँ सम्पूर्ण भक्त समुदाय के साथ मिलकर सन्त पापा ग्रेगोरी के स्वास्थ्यलाभ हेतु प्रार्थनाएँ अर्पित की। एलियोथेरियुस की प्रार्थना इतनी सच्ची थी कि गिरजाघर से बाहर निकलकर सन्त पापा ग्रेगोरी स्वस्थ हो गये तथा उन्होंने पास्का से पूर्व उपवास किया। एलियोथेरियुस के विषय में यह भी कहा जाता है कि उन्होंने एक मृत व्यक्ति को भी जिलाया था। सन् 585 ई. में, रोम स्थित सन्त अन्द्रेयस मठ में, मठाध्यक्ष एलियोथेरियुस का निधन हो गया था। उनका पर्व 06 सितम्बर को मनाया जाता है।      

चिन्तनः "ईश्वर! जो तेरी शरण जाते हैं, वे सब आनन्द मनायें; जो तेरे नाम के प्रेमी हैं, वे आनन्द के गीत गायेंगे। प्रभु! तू ही धर्मी को आशीर्वाद देता है, तू अपनी कृपा की ढाल से उसकी रक्षा करता है" (स्तोत्र ग्रन्थ 5:12-13)।  








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