2015-09-03 16:32:00

येसु से मुलाकात हेतु विनम्रता की आवश्यकता


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 3 सितम्बर 2015 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मार्था के प्रार्थनालय में संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार 3 सितम्बर के पावन ख्रीस्तयाग अर्पित किया उन्होंने प्रवचन में कहा कि दीनता एवं विनम्रता हमारे हृदय को येसु से मुलाकात हेतु खोल देती है।

कलीसिया के महान संत ग्रेगोरी महान के पर्व दिवस पर संत पापा ने प्रवचन में संत लूकस रचित सुसमाचार पर चिंतन किया जहाँ पेत्रुस रात भर मेहनत कर कुछ न पाने के बावजूद येसु के कथन पर विश्वास रखकर पुनः जाल डालता है जिसके कारण चमत्कारिक रूप से बहुत अधिक मछलियाँ फंस जाती है।

संत पापा ने कहा, ″विश्वास ईश्वर के साथ एक मुलाकात है।″ उन्होंने कहा कि प्रभु से मुलाकात करने के दो रास्ते हैं- पहला है, प्रेरित संत पेत्रुस का।

संत पापा ने कहा कि सुसमाचार में ऐसे ही लोगों के लिए आश्चर्यचकित शब्द का प्रयोग किया गया है। उस अनोखी बात ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया था और लोगों ने कहा कि वे अधिकार के साथ बोलते हैं। येसु ने एक दूसरे दल के लोगों से भी मुलाकात की जिन्हें येसु के कार्यों पर आश्चर्य नहीं हुआ वे थे संहिता के पंडित, वे बुद्धिमान थे। उन्होंने कहा कि वह जो बोलता है क्या वह सच है किन्तु हम उन चीजों में विश्वास नहीं करते।

संत पापा ने याद किया कि संत पेत्रुस ने येसु को ईश्वर का पुत्र घोषित किया जबकि धर्मगुरूओं एवं फ़रीसियों में आश्चर्य करने की क्षमता नहीं रह गयी थी। वे अपनी क्षमता एवं घमंड में बंद हो गये थे। संत पापा ने कहा कि पेत्रुस एक ओर तो येसु को मसीह घोषित करता किन्तु अपने को पापी स्वीकार करता है।

फरीसियों का अभिमान इतना बड़ा था कि वह उन्हें सच्चाई को स्वीकार करने से रोक देता था। संत पापा न विश्वासियों को सचेत करते हुए कहा कि अपने आपको पापी स्वीकार कर पाने की क्षमता का अभाव हमें येसु ख्रीस्त की सच्ची घोषणा करने से रोक देता है। यही फर्क है नाकेदार जो अपने को पापी कहता तथा अहंकारी फ़रीसी जो अपनी बड़ाई करता है।

संत पापा ने कहा, ″अपने को पापी स्वीकार कर पाने की क्षमता हमारे लिए येसु ख्रीस्त के साथ सच्चे मुलाकात के आश्चर्य को खोल देता है।″ उन्होंने कहा कि हमारे पल्लियों, समाजों तथा समर्पित लोगों के बीच भी कितने लोग येसु को प्रभु कह सकते हैं शायद बहुत लोग किन्तु ईमानदारी पूर्वक कितने लोग अपने को पापी स्वीकार कर सकते हैं। संत पापा ने कहा कि येसु से सच्चे मुलाकात हेतु दोहरी स्वीकृति की आवश्यकता है, आप ईश्वर के पुत्र है तथा मैं पापी हूँ।

संत पापा ने कहा कि पेत्रुस येसु से मुलाकात के आश्चर्य को भूल कर उनको अस्वीकार किया था किन्तु जब उनकी नजर एक दूसरे से मिली तो उसने अपनी विनम्रता के करण अपने को पापी स्वीकार किया।

संत पापा ने ईश्वर से प्रार्थना की कि वह हमें उनसे मुलाकात करने एवं विनम्र बनने की कृपा प्रदान करे। 








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