2015-09-02 12:20:00

सृष्टि की देखभाल का अर्थ उस पर शासन करना कदापि नहीं


बुधवार, 02 सितम्बर 2015 (सेदोक): रोम स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर में, मंगलवार सन्ध्या, सृष्टि की देखभाल को समर्पित विश्व प्रार्थना दिवस के उपलक्ष्य में, सन्त पापा फ्राँसिस ने, शब्द समारोह का नेतृत्व किया।

शब्द समारोह के दौरान पवित्र धर्मग्रन्थ बाईबिल में निहित दानिएल के ग्रन्थ से पाठ किया गया जिसमें सम्पूर्ण सृष्टि का आह्वान किया जाता है कि वह प्रभु ईश्वर का गुणगान करे। उत्पत्ति ग्रन्थ एवं सन्त मत्ती रचित सुसमाचार के पाठ पढ़े गये तथा सन्त पापा फ्राँसिस के विश्व पत्र "लाओदातो सी" के कुछ अंशों का पाठ किया गया। अन्त में असीसी के सन्त फ्राँसिस द्वारा रची गई सूर्य स्तुति का भी पाठ किया गया।

शब्द समारोह के दौरान परमधर्मपीठीय प्रेरितिक आवास के प्रवचनकर्त्ता कैपुचीन मठवासी फादर रानियेरो कान्तालामेस्सा ने प्रवचन कर तीन प्रमुख विषयों पर चिन्तन कियाः प्रथम, उत्तपत्ति ग्रन्त में निहित पिता ईश्वर के शब्द "फलो फूलो और पृथ्वी को भर दो", द्वितीय "क्या हमें भावी पीढ़ी के लिये चिन्तित रहना चाहिये? और तृतीय, सन्त फ्राँसिस हमें क्या सिखा सकते हैं?  

फादर कान्तालामेस्सा ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि हालांकि सृष्टि की देखभाल का मिशन मानव के सिपुर्द किया गया है किन्तु इसका यह अर्थ नहीं है कि मनुष्य सृष्टि पर शासन करे। उन्होंने कहा, "सृष्टि की देखभाल करने का अर्थ जिस विश्व में हम जीवन यापन करते हैं उसपर शासन करना कदापि नहीं है अपितु उसकी इस क़दर देखरेख करना है जैसा कि प्रभु ईश्वर अपनी सृष्टि के प्रति उत्कंठित रहा करते हैं।"

उन्होंने कहा, "सुसमाचार में निहित प्रभु येसु के ये शब्द कि कल की परवाह मत करो; का अर्थ भविष्य के प्रति लापरवाह होना कदापि नहीं है। इन शब्दों से तात्पर्य यह है कि स्वयं अपने भविष्य के बारे में चिन्ता मत करो अपितु उन लोगों के भविष्य की चिन्ता करो जो तुम्हारे बाद आनेवाले हैं।"

सन्त फ्राँसिस द्वारा रची गई सूर्यस्तुति के सन्दर्भ में उन्होंने कहा, "असीसी के सन्त फ्राँसिस हमारे समक्ष इस बात का सजीव प्रमाण प्रस्तुत करते हैं कि ईश्वर में विश्वास, सृष्टि और पर्यावरण की देखभाल एवं सुरक्षा हेतु, अनुपम योगदान देता है।" 








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