2015-09-02 12:02:00

प्रेरक मोतीः स्वीडन की सन्त इन्ग्रिड (13 वीं शताब्दी)


वाटिकन सिटी, 02 सितम्बर 2015:

स्वीडन के स्कैनिनजे नगर में, इन्ग्रिड का जन्म हुआ था। बाल्यकाल से ही उनका मन धर्म एवं आस्था में लीन रहा जिन्हें आगे चलकर दोमिनिकन धर्मसमाजी पुरोहित पीटर दाच्या के आध्यात्मिक मार्गदर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इन्ग्रिड स्वीडन की पहली दोमिनिकन धर्मबहन बनीं जिन्होंने सन् 1281 ई. में देश में सर्वप्रथम दोमिनिकन धर्मसंघ की स्थापना की जो बाद में स्कैनिनजे में सन्त मार्टिन धर्मसंघ नाम से प्रसिद्ध हो गया। सन् 1282 ई. में धर्मी महिला इन्ग्रिड का निधन हो गया। बताया जाता है कि मरने के वक्त उनके ओर-छोर पवित्रता की ज्योति प्रकाशमान थी।

इन्ग्रिड की मध्यस्थता से कई चमत्कार सम्पन्न हुए तथा कई लोगों ने चंगाई प्राप्त की जिसके चलते स्वीडन में उनकी भक्ति प्रचलित हो चली। सन् 1405 ई. में इन्ग्रिड की सन्त प्रकरण प्रक्रिया शुरु की गई थी तथा स्वीडन के काथलिक धर्माध्यक्षों ने कॉन्सटान्स की परिषद के समक्ष उनका प्रकरण प्रस्तुत किया था। सन् 1416 ई. से 1417 ई. तक जाँच पड़ताल चली किन्तु निर्णय अधूरे ही रहे। सन् 1497 ई. में इन्ग्रिड की सन्त प्रकरण प्रक्रिया पुनः आरम्भ की गई तथा सन् 1507 ई. में उनके पवित्र अवशेषों को स्कैनिनजे के दोमिनिकन मठ में सुरक्षित रखा गया। स्वीडन के लोगों में सन्त इन्ग्रिड एक लोकप्रिय सन्त बन गई थीं, उनके आदर में ख्रीस्तयाग प्रार्थनाओं एवं प्रशंसा गीतों की रचना की गई किन्तु आधिकारिक रूप से इन्ग्रिड को कभी सन्त घोषित नहीं किया गया। ख्रीस्तीय सुधारवादी आन्दोलन के समय उनकी भक्ति समाप्त हो गई तथा उनके द्वारा स्थापित दोमिनिकन धर्मसंघ एवं उनके पवित्र अवशेषों को नष्ट कर दिया गया। सन्त इन्ग्रिड का स्मृति दिवस स्वीडन में 02 सितम्बर को मनाया जाता है।

चिन्तनः "धर्मियों की आत्माएँ ईश्वर के हाथ में हैं। उन्हें कभी कोई कष्ट नहीं होगा। मूर्ख लोगों को लगा कि वे मर गये हैं। वे उनका संसार से उठ जाना घोर विपत्ति मानते थे। और यह समझते थे कि हमारे बीच से चले जाने के बाद उनका सर्वनाश हो गया है; किन्तु धर्मियों को शान्ति का निवास मिला है" (प्रज्ञा ग्रन्थ 3: 1-3)।








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