2015-08-31 12:36:00

मध्यपूर्व के ख्रीस्तीयों एवं आप्रवासियों के लिये सन्त पापा की अपील


वाटिकन सिटी, सोमवार, 31 अगस्त 2015 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने, रोम स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में देवदूत प्रार्थना के अवसर पर मध्यपूर्व के प्रताड़ित ख्रीस्तीयों तथा विदेशों में शांति एवं सुरक्षापूर्ण अस्तित्व की खोज में अपने घरों से पलायन करने को मजबूर आप्रवासियों के लिये अपीलें जारी की।

शनिवार को लेबनान के हारिस्सा में सम्पन्न, शहीद सिरियाई काथलिक धर्माध्यक्ष, फ्लावियानुस मिखाएल माल्के की धन्य घोषणा का स्मरण कर सन्त पापा फ्राँसिस ने आशा व्यक्त की कि यह समारोह, मध्यपूर्व के देशों तथा विश्व के अन्य क्षेत्रों में ख्रीस्तीय धर्म के ख़ातिर प्रताड़ित किये जा रहे लोगों के लिये, आशा और साहस का स्रोत बने।

ग़ौरतलब है कि सन् 1915 ई. में, तुर्कियों द्वारा आरमेनियाई और अस्सिरियाई लोगों के नरसंहार के दौरान, धर्माध्यक्ष फ्लावियानुस को क़ैद कर लिया गया था और बाद में उनका सिर धड़ से अलग कर उन्हें मार डाला गया था।

सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा, "ख्रीस्तीयों के भयावह उत्पीड़न के सन्दर्भ में फ्लाविनियुस लोगों के अधिकारों के अथक समर्थक रहे थे तथा कठिनाइयों के बावजूद उन्हें उनके ख्रीस्तीय विश्वास में मज़बूत करते रहे थे।"

सन्त पापा ने कहा, "आरम्भिक सदियों की तुलना में, आज, शहीदों की संख्या कहीं अधिक है। मेरी मंगलयाचना है कि यह धन्य घोषणा विधि निर्माताओं एवं सरकारी नेताओं को, सर्वत्र, धार्मिक स्वतंत्रता की बहाली के लिये नवीन वेग एवं प्रेरणा प्रदान करे तथा अन्तरराष्ट्रीय समुदाय हिंसा और दुर्व्यवहार को रोकने के लिये ठोस कार्रवाई करे।"

इसी प्रकार युद्ध अथवा निर्धनता की वजह से अपने घरों का पलायन कर विदेशों में शरण मांगने के लिये बाध्य लोगों के पक्ष में सन्त पापा ने कहा, "दुर्भाग्यवश, हाल के दिनों में, अनेक आप्रवासियों ने अपनी जानें गँवाई हैं। इन सबके लिये मैं प्रार्थना करता तथा कार्डिनल क्रिस्टोफ शोर्नबोर्न एवं ऑस्ट्रिया की कलीसिया के साथ मिलकर, चार बच्चों सहित उन 71 आप्रविसयों के लिये प्रार्थना की अपील करता हूँ जिन्होंने, इस सप्ताह विएन्ना-बुडापेस्ट राजमार्ग पर एक ट्रक में अपनी जानें गँवा दी थीं। इन सबको हम ईश्वर के सिपुर्द करते तथा ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि सम्पूर्ण मानव जाति को ठेस पहुँचानेवाले इन अपराधों के अन्त हेतु सभी लोग मिलकर कार्य करें।"                

अपने देशों में युद्ध, असुरक्षा, अस्थायित्व, राजनैतिक उथल-पुथल तथा निर्धनता के कारण हज़ारों आप्रवासियों एवं शरणार्थियों ने इस वर्ष के आरम्भ से अब तक यूरोपीय देशों का रुख किया है। इस दुर्गम यात्रा के दौरान प्रायः वे मानव तस्करों एवं अपराध जगत के शिकार बन जाते हैं तथा बहुत से आधे रास्ते में ही अपने प्राणों से हाथ धो बैठते हैं।

इस ख़तरनाक पृष्ठभूमि में 14 सितम्बर को यूरोप के अन्तरिम एवं गृहमंत्रियों की विशेष बैठक भी बुलाई गई है।








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