2015-08-28 13:47:00

समकालीन समाज की सबसे बड़ी चुनौती


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 28 अगस्त 2015 (सीएनए): ″समकालीन समाज की सबसे बड़ी चुनौती है ईश्वर की खोज″, यह बात ससम्मान सेवानिवृत संत पापा बेनेडिक्ट सोलवें ने कही।

संत पापा बेनेडिक्ट सोलहवें के विद्यार्थियों में से एक फादर स्तेफन हॉन ने इसी विषयवस्तु पर राटसिंगर के विद्यार्थियों की एक वार्षिक संगोष्ठी का आयोजन किया है।

राटसिंगर स्कूलेरक्रेइस नामक संगोष्ठी का आयोजन 28 से 30 सितम्बर तक किया गया है। यह दल सन् 1978 ई. से ही ईशशास्त्र एवं कलीसिया के जीवन विषयों पर सभा करती आ रहा है।

फादर स्तेफन हॉन ने काथलिक न्यूज़ एजेंसी से कहा, ″संत पापा बेनेडिक्ट सोलहवें ने ईशशास्त्र की पढ़ाई के अपने आरम्भिक दिनों से ही इस बात को प्रकाश में लाया था कि व्यक्ति में विश्वास का विकास उसकी विचारधारा पर निर्भर करता है।″  

उन्होंने कहा कि संत पापा ने इस विचारधारा को बनाए रखा कि इतिहास के केंद्र में जीवित ईश्वर हैं जिन्होंने अपने आपको येसु ख्रीस्त में प्रकट किया तथा जिसका विस्तार विश्वास द्वारा हुआ।

फादर हॉर्न साल्वातोर धर्मसमाज के पुरोहित हैं तथा उन्होंने रेगेन्सबर्ग विश्वविद्यालय में सन् 1971 से 1977 ई. तक अध्ययन किया था जहाँ संत पापा बेनेडिक्ट सोलहें धर्मतत्वविज्ञान के प्राध्यापक थे।

इस वार्षिक संगोष्ठी की शुरूआत सन् 1977 ई. में हुई थी जब राटसिंगर म्यूनिक के महाधर्माध्यक्ष नियुक्त हुए थे तथा विश्वास और धर्म सिद्धांत के लिए बनी परमधर्मपीठीय परिषद के अध्यक्ष बनने के बाद भी इसे जारी रखा।

सेवानिवृत संत पापा बेनेडिक्ट अपने पूर्व विद्यार्थियों की इस वार्षिक सभा में सक्रिय भाग लेते रहे हैं तथा विषय वस्तुओं का भी चयन करते रहे हैं।

फादर हॉर्न ने कहा कि राटसिंगर का सदा यही विचार रहा है कि सच्चाई की खोज मात्र मानसिक कार्यों से नहीं हो सकती किन्तु यह व्यक्ति के जीवन से की जा सकती है अतः ईश शास्त्रियों को ख्रीस्त के रास्ते पर चलने वाले सभी नव दीक्षार्थियों के करीब रहना चाहिए जिससे कि उनके साथ बात-चीत द्वारा उनका विश्वास मज़बूत हो सके।








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