फ़ैसलाबाद, बुधवार, 19 अगस्त 2015 (एशियान्यूज़): पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में फ़ैसलाबाद केन्द्रीय जेल ने ख्रीस्तीय क़ैदियों के लिये रविवारीय ख्रीस्तयाग को स्थगित करने का फ़ैसला लिया है।
इस मुद्दे पर ख्रीस्तीय वकील एवं "पीस फॉर नेशन इन्टरनेशनल" मानवाधिकार संगठन के निर्देशक ङशमत बरकत ने एशियान्यूज़ से बातचीत की।
वकील बरकत का कहना है कि "ख्रीस्तीय क़ैदियों को अपने धार्मिक विश्वास की अभिव्यक्ति न करने देना उनकी धार्मिक स्वतंत्रता को कुण्ठित करना है जो पाकिस्तान के संविधान के 20 वें अनुच्छेद का उल्लंघन है।"
20 वें अनुच्छेद के अनुसार पाकिस्तान के हर नागरिक को अपने धर्म के पालन और प्रचार की अनुमति है तथा प्रत्येक धार्मिक समुदाय एवं पंथ को अपनी धार्मिक संस्थाओं की स्थापना एवं रख-रखाव का अधिकार है।
फ़ैसलाबाद कारावास के अधिकारियों ने सुरक्षा चिन्ताओं का हवाला देकर ख्रीस्तीयों के लिये रविवारीय ख्रीस्तयाग समारोहों को स्थगित करना उचित बताया है। उनका यह भी कहना है कि धार्मिक समारोहों के जरिये क़ैदियों में मादक पदार्थों की तस्करी भी चलती है। हालांकि फ़ैसलाबाद के सत्र न्यायाधीश ने जेल के अधिकारियों की इस दलील का बहिष्कार कर दिया है।
कई मानवाधिकार संगठन वकील बरकत को समर्थन दे रहे हैं। उनकी शिकायत है कि अल्पसंख्यकों के अधिकारों का अतिक्रमण होता रहा है तथा शिकायत करने पर भी उन्हें कोई जवाब नहीं मिलता है।
काथलिक पुरोहित फादर ख़ालिद रशीद ने एशियान्यूज़ से कहाः "बारम्बार धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन होता है तथा धर्म पर आधारित भेदभाव नागरिकों को उनके मानवाधिकारों से वंचित करता है।"
उन्होंने कहा, "धार्मिक स्वतंत्रता के अभाव का परिणाम व्यक्तियों की सामाजिक, आर्थिक एवं आवासीय स्थितियों में स्पष्ट देखा जा सकता है जो हिंसा को प्रश्रय देती हैं।
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