2015-08-17 11:51:00

भोपालः मध्यप्रदेश के धर्माध्यक्षों ने किया ख्रीस्तीय-विरोधी हिंसा का खण्डन


भोपाल, सोमवार, 17 अगस्त 2015 (ऊका समाचार): मध्यप्रदेश के काथलिक धर्माध्यक्षों ने राज्य में ख्रीस्तीय विरोधी हिंसा का खण्डन करते हुए लोगों से आग्रह किया है कि वे इस प्रकार की हिंसा से बचाव के लिये वैधानिक सुरक्षा लें।

मध्यप्रदेश में हिन्दू दलों द्वारा समर्थित भारतीय जनता पार्टी सत्ता में हैं जिसके कार्यकाल में ख्रीस्तीयों के विरुद्ध हिंसा की कई घटनाएँ हुई हैं।

13 अगस्त को भोपाल में अपनी दो दिवसीय बैठक के बाद एक वकतव्य जारी कर काथलिक धर्माध्यक्षों ने राज्य में धार्मिक चरमपंथ एवं धर्मान्ध शक्तियों से बचने का आह्वान किया।

कलीसियाई नेताओं ने कहा, "साढ़े सात करोड़ की आबादी वाले मध्यप्रदेश में काथलिक केवल एक प्रतिशत हैं किन्तु विगत कुछ समय से काथलिक धर्मानुयायियों पर तथा उनकी संस्थाओं पर हुए क्रमबद्ध आक्रमणों के कारण वे भय और आतंक के माहौल में जी रहे हैं।"

हिन्दु चरमपंथी ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों पर धर्मान्तरण के झूठे आरोप लगाकर उन्हें निशाना बनाते रहे हैं। ग़ौरतलब है कि मध्यप्रदेश में सरकार से अनुमति लिये बग़ैर धर्मपरिवर्तन करना वर्जित है, इसके लिये एक वर्ष कारावास एवं अर्थदण्ड का भी प्रावधान है।

13 अगस्त को सम्पन्न उक्त बैठक के दौरान एक प्रस्ताव पारित कर मध्यप्रदेश के काथलिक धर्माध्यक्षों ने कहा, "यह अफसोस की बात है कि ईसाइयों पर बिना किसी वजह कथित धर्मान्तरण का आरोप लगाकर निरन्तर हमले किये जाते रहे हैं।"

धर्माध्यक्षों ने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि इस वर्ष के पहले 06 महीनों में राज्य में कम से कम 20 ईसाई विरोधी हमले तथा पुलिस उत्पीड़न के मामले हुए हैं। उन्होंने कहा, "हमलों की वजह, ख्रीस्तीयों के विरुद्ध हिंसा को रोकने हेतु राजनैतिक संकल्प की कमी है।"

उन्होंने स्मरण दिलाया कि भारत एक धर्मनिर्पेक्ष देश है जो अपने चयन के अनुसार विश्वास, धर्मपालन एवं अभिव्यक्ति की अनुमति प्रदान करता है।








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