2015-08-15 15:21:00

हमारा अंतिम लक्ष्य है पिता का घर


वाटिकन सिटी, शनिवार, 15 अगस्त 2015 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 15 अगस्त को माता मरियम के स्वर्गोत्थान महापर्व के अवसर पर भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया।

देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, ″आज कलीसिया एक बहुत महत्वपूर्ण त्यौहार मनाती है जो धन्य कुँवारी मरियम को समर्पित है वह है, माता मरिया के स्वर्गोत्थान का महापर्व। अपने जीवन के अंत में ख्रीस्त की माता मरियम, ईश्वर की पूर्ण एकता तथा अनन्त जीवन की महिमा में शरीर एवं आत्मा के साथ स्वर्ग उठा ली गयीं।

अपने संदेश में संत पापा ने संत लूकस रचित सुसमाचार पाठ पर चिंतन किया जहाँ माता मरियम पवित्र आत्मा द्वारा येसु को गर्भ में धारण करने का संदेश प्राप्त करने के पश्चात् अपनी कुटुम्बनी एलिजबेथ की सेवा करने के लिए पहाड़ी प्रदेश चल पड़ीं। वहाँ उनसे मुलाकात कर उन्होंने खुशी से ईश्वर की स्तुति की।

संत पापा ने कहा कि सुसमाचार में मरियम की महानता एवं उनके परम आनन्द को प्रस्तुत किया गया है जो विश्वास पर आधारित है। विश्वास ही माता मरियम के जीवन का केंद्र बिन्दु है। हिंसा, अभिमान, धन का घमंड आदि के बीच भी माता मरियम ने यह विश्वास किया तथा घोषित किया कि ईश्वर अपने विनम्र एवं ग़रीब बच्चों को कभी नहीं त्यागते किन्तु करूणा एवं सहानुभूति के साथ उनकी मदद करते हैं तथा घमंडियों को तितर-वितर करते एवं उन्हें नीचा दिखाते है।

संत पापा ने कहा कि माता मरियम द्वारा ईश्वर ने जो महान कार्य किया है वह हमें बहुत अधिक प्रभावित करता है, हमारी जीवन यात्रा का स्मरण दिलाता है और हम अपने अंतिम लक्ष्य, पिता के घर की याद करते हैं। हमारा जीवन माता मरिया के स्वर्गोत्थान के प्रकाश में देखा जाना चाहिए न कि लक्ष्य विहीन। संत पापा ने कहा कि यह एक तीर्थयात्रा है अपनी सभी निश्चितताओं, कष्टों तथा अंतिम लक्ष्य के साथ। वह लक्ष्य है पिता का घर जो बड़े प्रेम से हमारा इंतजार कर रहे हैं।

संत पापा ने इस यात्रा में माता मरियम को सांत्वना और निश्चित आशा का प्रतीक कहा। कलीसिया के सदस्य के रूप में, हम भी माता मरियम की महिमा के सहभागी होने के लिए बुलाये गये हैं।

देवदूत प्रार्थना के उपरांत संत पापा ने उतरी चीन के तियनजन शहर में हुए बम धमाकों के शिकार लोगों के प्रति सहानुभूति व्यक्त की तथा उन्हें प्रार्थना का आश्वासन दिया।  








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