2015-08-15 08:58:00

डिलीः वाटिकन, तिमोर-लेस्ते के बीच द्विपक्षीय समझौता सम्पन्न


डिली, शनिवार, 15 अगस्त 2015 (सेदोक): डिली में, परमधर्मपीठ तथा तिमोर-लेस्ते के बीच शुक्रवार को एक द्विपक्षीय समझौता सम्पन्न हुआ।

वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पिएत्रो पारोलीन तथा तिमोर-लेस्ते यानि पूर्वी तिमोर के प्रधानमंत्री रुई मारिया डे आराहुओ ने शुक्रवार, 14 अगस्त को परमधर्मपीठ तथा भूतपूर्व पुर्तगाली उपनिवेश पूर्वी तिमोर के बीच आपसी सहयोग को मज़बूत करने के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किये।

वाटिकन द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया कि तिमोर-लेस्ते गणतंत्र में ख्रीस्तीय धर्म के प्रचार की पाँचवी शताब्दी की पृष्ठभूमि में उक्त समझौता सम्पन्न हुआ। 

12 अगस्त को वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पियेत्रो पारोलीन सुसमाचार प्रचार की पाँचवी शताब्दी के उपलक्ष्य में आयोजित समारोहों में शरीक होने के लिये डिली पहुँचे थे।

वाटिकन तथा तिमोर-लेस्ते के बीच सम्पन्न द्विपक्षीय समझौते के विषय में उन्होंने कहा कि इस समझौते का उद्देश्य "न्याय, शांति और जनकल्याण की भावना में लोगों के अखण्ड विकास हेतु आपसी सहयोग को बढ़ावा देना है।"

कार्डिनल पारोलीन के अनुसार, उक्त समझौता दो मूलभूत सिद्धान्तों पर आधारित है – धार्मिक स्वतंत्रता के मामलों में अन्तरराष्ट्रीय कानून के मूल्यों एवं सिद्धान्तों के सम्मान पर तथा सार्वजनिक रूप से और स्वतंत्रतापूर्वक काथलिक धर्म के अनुपालन की गारंटी पर।

उन्होंने कहा, "समझौता काथलिक कलीसिया को, उसके सेवा मिशन के अनुकूल तथा देश के कानून एवं संवैधानिक नियमों का पालन करते हुए, समाज में अपनी गतिविधियों के संचालन के भी अवसर प्रदान करता है।"  

कार्डिनल महोदय ने बताया कि समझौते में काथलिक कलीसिया के कार्यों को स्पष्टतया परिभाषित किया गया है और बताया गया है कि कलीसिया किन-किन क्षेत्रों में स्वतंत्रतापूर्वक लोगों की सेवा कर सकती है। इन कार्यों में स्कूल एवं शिक्षण संस्थानों, अस्पतालों, चिकित्सालयों तथा अनाथ आश्रमों का संचालन करना, कल्याणकारी योजनाएँ चलाना तथा कारावासों में क़ैदियों को आध्यात्मिक समर्थन प्रदान करना शामिल हैं।

तिमोर-लेस्ते के प्रधानमंत्री रुई मारिया डे आराहुओ ने कहा कि उनकी सरकार देश में विकास एवं मानव उत्थान हेतु काथलिक कलीसिया के योगदान को अर्थपूर्ण मानती है तथा स्वीकार करती है कि विगत 500 वर्षों के दौरान तिमोर-लेस्ते के निर्माण में काथलिक कलीसिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

उन्होंने कहा, "काथलिक कलीसिया ने तिमोर-लेस्ते के लोगों को नैतिक एवं धार्मिक शिक्षा प्रदान की है तथा उपनिवेशवाद से स्वतंत्रता के कठिन काल में आध्यात्मिक एवं भौतिक सहायता अर्पित की है।"   








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