नई दिल्ली, शनिवार, 15 अगस्त 2015 (पीटीआई): भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अतीत के इतिहास से प्रेरणा ग्रहण करने का देशवासियों से आग्रह कर कहा है कि जो लोग अतीत के आदर्शों को भुला देते हैं वे भविष्य के महत्वपूर्ण अंशों को खो देते हैं।
69 वें भारतीय स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या नई दिल्ली से अपना पारम्परिक सन्देश जारी कर राष्ट्रपति महोदय ने राष्ट्रवासियों एवं विश्व भर के भारतवासियों का हार्दिक अभिनंदन किया।
उन्होंने उन असाधारण पुरुषों एवं महिलाओं का स्मरण किया जिन्होंने हमारे संविधान के सिद्धांतों में, सभ्यतागत दूरदर्शिता से उत्पन्न भारत के गर्व, स्वाभिमान एवं आत्मसम्मान का समावेश किया तथा हमें पुनर्जागरण की प्रेरणा देकर स्वतंत्रता दिलवाई। उन्होंने कहा कि उस पीढ़ी की दूरदर्शिता तथा परिपक्वता ने हमारे आदर्शों को रोष और भावनाओं के दबाव के अधीन विचलित होने होने से बचाया।
भारत को स्वतंत्रता दिलवाले वाली उस असाधारण पीढ़ी के प्रति सच्ची श्रद्धान्जलि अर्पित कर उन्होंने कहा "अच्छी से अच्छी विरासत के संरक्षण के लिए लगातार देखभाल जरूरी होती है, और यह हम सबका दायित्व है।
राष्ट्रपति ने कहा, "जो देश अपने अतीत के आदर्शवाद को भुला देता है वह अपने भविष्य से कुछ महत्त्वपूर्ण खो बैठता है। हमारे शिक्षण संस्थानों की संख्या में बढ़ोतरी होती जा रही है किन्तु गुणवत्ता में ह्रास आया है। गुरु शिष्य परंपरा के मूल में निहित स्नेह, समर्पण तथा प्रतिबद्धता का परित्याग हम भूल गये हैं।"
उन्होंने कहा कि राष्ट्र के अखण्ड विकास तथा भावी निर्माण के लिये इन मूल्यों को पोषित करना नितान्त आवश्यक है।
भारत की विविधता पर ध्यान आकर्षित कराते हुए राष्ट्रपति ने सबके सम्मान का आग्रह करते हुए कहा, "हमारा लोकतंत्र रचनात्मक है क्योंकि यह बहुलवादी है,परंतु इस विविधता का पोषण सहिष्णुता और धैर्य के साथ किया जाना चाहिए।
इस बात पर उन्होंने खेद व्यक्त किया कि कुछेक "स्वार्थी तत्व सदियों पुरानी इस धर्मनिरपेक्षता को नष्ट करने के प्रयास में सामाजिक सौहार्द को चोट पहुंचाते हैं।
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