2015-08-13 15:11:00

सेमिनरी में जीवन के पहलुओं को उत्तरदायित्व एवं जागरूकता की भावना से जीयें


पूर्वी तिमोर, बृहस्पतिवार, 13 अगस्त 2015 (वीआर सेदोक): पूर्वी तिमोर के दिली स्थित काथलिक गुरुकुल की पाँच सौ वीं जयन्ती पर संत पापा फ्राँसिस के प्रतिनिधि वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन ने 13 अगस्त को समारोही पावन ख्रीस्तयाग अर्पित किया।

उन्होंने प्रवचन में स्तोत्र से वाक्य को दोहराते हुए कहा, ″अपने प्रेम के कारण मुझे जीवन प्रदान कर और मैं तेरी इच्छा पूरी करूँगा।″

उन्होंने कहा, ″सुसमाचार प्रचार करने के पूर्व हम इसी प्रार्थना को दोहराते हैं जो पुरोहित के रूप में हमारी बुलाहट के अर्थ को महत्व प्रदान करता है। जी हाँ, यह ईश्वर का ही प्रेम है कि उन्होंने हमें चुना तथा जिस तरह नबी येरेमियस ने लिखा है ‘माँ के गर्भ में गढ़ने से पहले मैंने तुम्हें जान लिया, जन्म से पहले ही मैंने तुमको चुन लिया तथा राष्ट्रों का नबी नियुक्त किया।″

कार्डिनल परोलिन ने कहा कि सेमिनरी जीवन में ही यह आपके हृदय में स्पष्ट हो जाना चाहिए कि प्रभु ही जो आपको बुला रहे हैं, उन्होंने ही आपको चुना है, उन्होंने आपका हाथ पकड़ लिया है तथा आप उनकी दाख बारी में काम करने जा रहे हैं।

उन्होंने इक्वाडोर में पुरोहितों को दिये गये संत पापा फ्राँसिस के संदेश का स्मरण दिलाते हुए कहा  कि वे प्रत्येक दिन इस दृढ़ विश्वास को नवीकृत करें कि सब कुछ ईश्वर का दान है तथा हम उन्हीं के द्वारा चुने गये हैं जिसके लिए हम योग्य नहीं थे।

 कार्डिनल ने प्रवचन में संत पापा की ओर से सभी गुरूकुल छात्रों से कहा कि वे ‘प्रत्येक दिन’ सेमिनरी में अपने जीवन के सभी पहलुओं को उत्तरदायित्व की भावना से प्रेरित होकर एवं चौकस रहते हुए जियें।

उन्होंने प्रश्न किया, ″आपको प्रत्येक दिन क्या करने को कहा जाता है?″ 

उन्होंने कहा कि गुरूकुल में उन्हें समर्पण एवं उदारता की शिक्षा दी जाती है। उन्होंने कहा कि उस सवाल का उत्तर समिनरी द्वारा जो प्रशिक्षण दिया जाता है उसके हरपल समर्पित रहने से दिया जा सकता है। मानवीय स्तर पर, हमें सामाजिक गुणों का विकास करना चाहिए तथा आध्यात्मिक स्तर पर ईश्वर के साथ संबंध बढ़ाना है।

संत पापा के विशेष प्रतिनिधि ने कहा कि प्रशिक्षण का उद्देश्य है हृदय परिवर्तन। हमें प्रत्येक दिन अपने हृदय को शुद्ध करना है जिससे हम ईश्वर को प्यार कर सकें एवं निःसंकोच लोगों की सेवा कर सकें।

कार्डिनल ने पुरोहितों के प्रशिक्षण के दूसरे उद्देश्य के बारे में बतलाते हुए कहा कि यह प्रभु का शिष्य बनना है जो अपने गुरु के साथ गहरे संबंध की मांग करता है।

कार्डिनल परोलिन ने गुरूकुल छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि समिनरी में प्रत्येक दिन महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रभु ने आपको जन्म से पहले ही चुन लिया है तथा एक योग्य हथियार के रूप में आपका अभिषेक कर उन असंख्य लोगों के पास भेजा है जो आपका इंतजार कर रहे हैं।








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