कोट्टार, शनिवार, 8 अगस्त 2015 (ऊका समाचर): तमिल नाडु के कलीसियाई नेता राज्य में शराब की बिक्री पर प्रतिबन्ध लगाने के अभियान में जुट गये हैं। उनका कहना है कि शराब से सैकड़ों परिवारों पर दुष्प्रभाव पड़ा है तथा यह लोगों में आत्महत्याओं का कारण बनी है।
कोट्टार के काथलिक धर्माध्यक्ष पीटर रेमेजियुस ने कहा, "समय आ गया है कि सरकार इस गम्भीर स्थिति को परखे तथा शराब पर प्रतिबन्ध लागू करे जो हज़ारों लोगों की जान ले रही है।"
उन्होंने कहा कि यदि सरकार सचमुच में निर्धन लोगों का कल्याण चाहती है तो उसे राज्य में शराब पर पूरी पाबन्दी लगा देनी चाहिये क्योंकि शराब लोगों को अमानवीय तथा समाज को अस्थिर बना देती है।
धर्माध्यक्ष रेमिजियुस का अनुमान है कि "तटीय लोगों में 56 प्रतिशत शराबी हैं जिनकी लत उनके परिवारों को अस्थिर कर रही है।" कोट्टार धर्मप्रान्त की कुल आबादी लगभग 900,000 है जिनमें 30 प्रतिशत काथलिक धर्मानुयायी हैं।
संघीय सरकार के आंकड़ों के अनुसार, तमिलनाडु राज्य में, वर्ष 2013 के दौरान 16,927 आत्महत्याएं दर्ज की गई थीं। इस विषय पर शोध करनेवाली आत्महत्या रोकथाम समूह की लक्ष्मी विजयकुमार स्नेहा के अनुसार इसमें से 30 से 35 प्रतिशत आत्महत्याएँ शराब से संबंधित हैं।
धर्माध्यक्ष रेमिजियुस ने स्वीकार किया कि उनका अभियान एक कठिन लड़ाई है इसलिये कि राज्य में शराब की बिक्री आसमान छू रही है। इसके अतिरिक्त, स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, राज्य के कुल राजस्व का 20 प्रतिशत शुल्क शराब से आता है। विश्लेषकों का कहना है कि किसी भी सरकार के लिये शराब पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाना बहुत मुश्किल काम है।
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