2015-08-05 12:07:00

वाटिकन सिटीः येसु के प्रति उदार रहें, वेदीसेवकों को सन्त पापा का परामर्श


वाटिकन सिटी, बुधवार, 5 अगस्त 2015 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने वेदी सेवकों को परामर्श दिया है कि वे येसु के प्रति उदार रहें क्योंकि ऐसा कर ही वे अन्यों की सहायता हेतु समर्थ बन सकेंगे।

मंगलवार को रोम स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में विश्व के विभिन्न देशों से एकत्र लगभग 12,000 युवा वेदी सेवकों को सन्त पापा फ्राँसिस ने अपना सन्देश दिया। एक माह के उपरान्त यह सन्त पापा का पहला सार्वजनिक कार्यक्रम था।

वेदी सेवकों के अन्तरराष्ट्रीय संगठन के तत्वाधान में जर्मनी, ऑस्ट्रिया, फ्राँस, पुर्तगाल, स्विटज़रलैण्ड, हंगरी, सर्बिया तथा इटली से ही नहीं अपितु भारत और फिलीपिन्स से भी वेदी सेवक 03 से 06 अगस्त तक अपने वार्षिक सम्मेलन के लिये रोम में एकत्र हुए हैं। मंगलवार को सन्त पापा फ्राँसिस ने वेदी सेवकों के साथ सान्ध्य वन्दना का पाठ किया। इससे पूर्व उन्होंने उन्हें इस प्रकार सम्बोधित किया.........  

सन्त पापा ने वेदी सेवकों से कहा कि वे येसु के लिये सदैव प्रस्तुत रहें क्योंकि येसु कोई दूरस्थ वस्तु या व्यक्ति नहीं अपितु यूखारिस्तीय संस्कार तथा अन्य संस्कारों में हमारे बहुत क़रीब हैं।

उन्होंने कहा, "आप उन येसु के साक्षात्कार की प्रतीक्षा नहीं करते जो किसी अगम्य और ऊँचे सिंहासन पर विराजमान है अपितु यूखारिस्त की रोटी और अँगूरी में उनका साक्षात्कार करते हैं। येसु के वचन चौखटों को नहीं हिलाते बल्कि हृदय के तारों को झंकृत कर देते हैं।"

सन्त पापा फ्राँसिस ने इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि ख्रीस्त के निकट जाने तथा यूखारिस्त में उन्हें पहचानने से हम अन्यों के प्रति उदार बनते हैं, अन्यों के साथ जीवन की तीर्थयात्रा में संलग्न होते तथा कठिन से कठिन लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु सक्षम बनते हैं।

उन्होंने कहा, "यह स्वीकार करना कि हम छोटे एवं कमज़ोर हैं वास्तव में यथार्थ आनन्द का स्रोत है, सब समय इस बात का एहसास होना कि येसु के संग रहकर हम सम्बल प्राप्त करते तथा उनका साथ पाकर जीवन की महान यात्रा की चुनौतियों का सामना करने के लिये तैयार हो जाते हैं।"  

प्रभु ईश्वर एवं उनके प्रेम में विश्वास को सुदृढ़ करने का अनुरोध कर सन्त पापा ने वेदी सेवकों से कहा कि विश्वास व्यक्ति को अपने आप से ऊपर उठने की शक्ति देता तथा उसके अकेलेपन को समाप्त कर देता है। उन्होंने कहा कि वेदी सेवक निरन्तर वेदी के निकट रहने के कारण प्रार्थना करने तथा ईश वचन को सुनने के अवसर पाते और साथ ही यूखारिस्त में निहित येसु अर्थात् जीवन की रोटी से पोषित होते हैं।

बाईबिल धर्मग्रन्थ में निहित नबी इसायाह के उस पाठ पर चिन्तन कर जिसमें इसायाह प्रभु की महिमा के दर्शन पाता है सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा, "नबी इसायाह यह जानकर आश्यचर्यचकित था कि हमारे निकट आने का पहला कदम ईश्वर उठाते हैं। यह मत भूलिये कि हमारे जीवन में भी  ईश्वर सदैव पहल करते हैं। वे हमारे निकट आते हैं। इसायाह ने इस तथ्य का अवलोकन किया कि ईश्वर के कार्य मनुष्य की भूलों और उसकी अपूर्णताओं के कारण रुक नहीं गये थे अपितु ईश्वर के कार्य ही मनुष्य को रूपान्तरित करते तथा उसे पूर्णतः नया कर देते हैं।" 

सन्त पापा ने कहा, "यदि हम ईश्वर कार्यों का विरोध नहीं करेंगे तो वे अपने करुणामय प्रेम की लौ से हमारे अधरों का स्पर्श करेंगे जैसा कि उन्होंने नबी इसायाह के साथ किया था और यह हमें उनके स्वागत को सक्षम बनायेगा ताकि हम ईश्वर के प्रेम को अपने भाइयों तक ले जा सकें।" 

 








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