2015-08-03 11:31:00

येसु ने अनश्वर भोजन की खोज करने की सलाह दी


वाटिकन सिटी, सोमवार, 3 अगस्त 2015 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में संत पापा फ्राँसिस ने रविवार 2 अगस्त को भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया देवदूत प्रार्थना का पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, ″अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,

इस रविवार का सुसमाचार पाठ संत योहन रचित सुसमाचार के छठे अध्याय से लिया गया है। रोटियों के चमत्कार के बाद लोग येसु को ढूँढ रह थे तथा उन्होंने उन्हें कफरनाहुम में पाया। उन्हें उत्साह पूर्वक ढूंढने के कारण को समझते हुए येसु ने स्पष्ट शब्दों में कहा, ″तुम चमत्कार देखने के कारण मुझे नहीं खोजते, बल्कि इसलिए कि तुम रोटियाँ खाकर तृप्त हो गये हो।″(यो.6:26)

संत पापा ने कहा, ″वास्तव में, ये लोग रोटी पाने की चाह से येसु का अनुसरण कर रहे थे, वही भौतिक भोजन जिसने पहले दिन उनकी भूख मिटायी थी। उन्होंने यह एहसास नहीं किया था कि जो रोटी बहुतों के लिए तोड़ी गयी थी वह स्वयं येसु का प्रेम था। उन्होंने देने वाले की अपेक्षा रोटी को अधिक महत्व दिया था। इस आध्यात्मिक अंधापन के आगे येसु ने तत्काल आवश्यक भौतिक चीजों की पूर्ति से बढ़कर उन चीजों की भी खोज हेतु जोर दिया जो वास्तव में आवश्यक है।″ संत पापा ने कहा कि येसु ने लोगों को निमंत्रण दिया कि वे उस परिप्रेक्ष्य के लिए खुले हों जो खाने, पहनने, जीवन की सफलता, रोजगार आदि की दैनिक आवश्यकताओं तक ही सीमित नहीं है। येसु ने अनश्वर भोजन की खोज करने की सलाह देते हुए कहा, ″नश्वर भोजन के लिए नहीं बल्कि उस भोजन के लिए परिश्रम करो, जो अनन्त जीवन तक बना रहता है और जिसे मानव पुत्र तुम्हें देगा क्योंकि पिता परमेश्वर ने मानव पुत्र को यह अधिकार दिया है।″ (यो.6:27)

संत पापा ने कहा कि इन शब्दों के साथ वे हमें समझाना चाहते हैं कि शारीरिक भूख के साथ व्यक्ति को एक दूसरी भूख भी है जो कि अधिक महत्वपूर्ण है और जो साधारण भोजन से तृप्त नहीं होती। यह है जीवन की भूख, अनन्त जीवन की भूख जिसको अनन्त जीवन की रोटी के रूप में सिर्फ येसु ही तृप्त कर सकते हैं। (पद.35) चिंता, जीवन के दैनिक भोजन की खोज तथा वह सब कुछ जो जीवन को अधिक उन्नत बनाता है उनसे येसु हमें दूर नहीं करते किन्तु इस बात से सचेत करना चाहते हैं कि ये चीजें हमारी आत्मा के लिए घातक हो सकती है। येसु हमें इस पृथ्वी पर हमारे अस्तित्व के असल अर्थ की याद दिलाते हैं और वह है अनन्त जीवन। मानव इतिहास को अपने आशा और आनन्द के साथ अनन्त जीवन की क्षितिज पर दिखाई देनी चाहिए।

संत पापा ने कहा कि मानव अस्तित्व के सच्चे अर्थ के रूप में येसु जीवन की रोटी बनकर स्वर्ग से उतरे। वे किस तरह मानव जाति के अस्तित्व के अर्थ हैं? वे खुद कहते हैं, ″जीवन की रोटी मैं हूँ। जो मेरे पास आता है उसे कभी भूख नहीं लगेगी और जो मुझ में विश्वास करता है उसे कभी प्यास नहीं लगेगी।″(पद 35) संत पापा ने कहा कि यही पवित्र युखरिस्त संस्कार का हवाला है सबसे महान वरदान जो हमारे शरीर और आत्मा दोनों को तृप्त करता है। यह हमें जीवन की रोटी येसु में एक साथ बुलाता तथा हम सभी का स्वागत करता है तथा जीवन के टेढ़े-मेढ़े रास्ते पर हमें अर्थ और आशा प्रदान करता है। जीवन की इस रोटी को हमें प्रदान किया गया है जिससे हमारी आध्यात्मिक भूख मिट सके तथा हम अपने भाइयों के बीच सुसमाचार का प्रचार कर सकें। अन्यों के बीच भाईचारे का साक्ष्य प्रस्तुत कर, हम ख्रीस्त तथा उनके प्रेम को लोगों के बीच प्रस्तुत करते हैं।

संत पापा ने कहा कि हमारे दैनिक जीवन में ईश्वर की उपस्थिति की अति आवश्यकता है उन दिनों में जब हम काम तथा चिंता से घिरे होते हैं एवं उन दिनों में भी जब हम छुट्टियों में होते तथा आराम करते हैं ऐसे समय में प्रभु हमसे आग्रह करते हैं कि हम यह न भूलें कि यद्यपि भौतिक आहार के लिए चिंता करना उचित है तथापि ईश्वर पर विश्वास में सुदृढ़ होना उससे भी बढ़कर है। वे जीवन की रोटी हैं जो सच्चाई, न्याय तथा सांत्वना की चाह को पूरी करते हैं।

धन्य कुवाँरी मरियम हमें ‘सच्ची रोटी’ येसु को पाने एवं उनका अनुसरण करने में मदद करे जो अनश्वर हैं तथा अनन्त जीवन तक बने रहते हैं। इतना कहकर संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

देवदूत प्रार्थना समाप्त करने के पश्चात् उन्होंने देश-विदेश से एकत्र सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों को अभिवादन किया।

संत पापा ने मेल-मिलाप संस्कार में भाग लेने हेतु प्रोत्साहन देते हुए कहा, ″आज हम असीसी की क्षमा की याद करते हैं। करुणा के संस्कार तथा युखरिस्त संस्कार में भाग लेने के द्वारा प्रभु के पास वापस आने का, यह एक बड़ा निमंत्रण है।″ संत पापा ने कहा कि कुछ लोग मेल मिलाप संस्कार में आने से डरते हैं यह भूलते हुए कि वे कोई कठोर न्यायधीश से नहीं किन्तु असीम दयालु पिता से मिलने जा रहे हैं। यह सच है कि मेल-मिलाप की धर्मविधि में भाग लेते समय हम लज्जा का अनुभव करते हैं। ऐसा सभी के साथ होता है किन्तु हमें स्मरण रखना चाहिए कि यह शर्म एक कृपा है जो हमें सदा सब कुछ माफ कर देने वाले पिता द्वारा आलिंगन किये जाने हेतु तैयार करता है।

अंत में उन्होंने सभी को शुभ रविवार की मंगल कामनाएँ अर्पित की।








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