2015-07-30 11:37:00

लोगों के राष्ट्रपति कलाम के चले जाने पर भारत के काथलिक शोकाकुल


नई दिल्ली, गुरुवार, 30 जुलाई सन् 2015 (सीएनए): भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे कलाम के निधन पर राष्ट्र के काथलिक धर्मानुयायियों ने प्रार्थनाओं में एकजुट होकर दिवंगत आत्मा के प्रति भावभीनी श्रद्धान्जलि अर्पित की। 2002 से 2007 तक भारत के राष्ट्रपति पद पर सेवारत एपीजे कलाम, धार्मिक एवं सांस्कृतिक विभाजनों तथा मतभदों के परे, सभी लोगों के प्रिय राष्ट्रपति थे।  

27 जुलाई को मेघालय के शिलोंग में विश्वविद्यालयीन छात्रों के समक्ष व्याख्यान करते समय हृदयाघात से डॉ. एपीजे कलाम का निधन हो गया था। वे 84 वर्ष के थे। 

बेल्लारी के काथलिक धर्माध्यक्ष हेनरी डिसूज़ा ने 28 जुलाई को सीएनए समाचार से कहा, "सभी काथलिक युवा तथा सम्पूर्ण काथलिक समुदाय भारत के महान सपूत के निधन पर देश के साथ एकात्मता दर्शाते हुए शोकाकुल हैं। उन्होंने कहा, "डॉ.कलाम, एक राजनेता, एक वैज्ञानिक, एक दूरदर्शी तथा एक महान प्रेरक थे।"   

उन्होंने कहा, "भारत रत्न डॉ.एपीजे कलाम के गुज़रने पर सम्पूर्ण देश ग़मगीन है क्योंकि उन्होंने हर वर्ग के लोगों के प्रति स्वतः को समर्पित कर दिया था।"   

धर्माध्यक्ष डिसूज़ा ने कहा, "बच्चे और युवा सभी उनके प्रति आकर्षित रहा करते थे। उनका लक्ष्य युवा मन को प्रज्वलित करना था, उन्होंने उनकी कल्पना को सचेत किया।" धर्माध्यक्ष ने कहा, "उनका दोस्ताना व्यवहार तथा अनुकूल जीवन शैली सबके लिये एक समृद्ध धरोहर बनी रहेगी, ईश्वर दिवंगत आत्मा को चिरशांति प्रदान करें!" 

इस बीच, पुणे के धर्माध्यक्ष थॉमस डाबरे ने भी डॉ.कलाम के प्रति श्रद्धान्जलि अर्पित करते हुए सीएनए समाचार से कहा कि कई अवसरों पर उन्होंने डॉ. कलाम से मुलाकातें की थी। इन अवसरों पर उन्होंने समाज में शांति एवं प्रगति पर विचार व्यक्त किये थे।

धर्माध्यक्ष डाबरे ने बताया कि विभिन्न धर्मों के बीच शांति, एकता एवं मैत्री को बढ़ावा देने के लिये सूरत तथा पुणे के काथलिकों ने एक संस्था का गठन किया है जिसके संरक्षक डॉ.एपीजे कलाम थे। विशेष रूप से, उन्होंने कहा, सूरत में आयोजित सम्मेलन में विभिन्न धर्मों द्वारा शांति एवं विकास हेतु एक घोषणा पर हस्ताक्षर किये गये थे जिसका नेतृत्व स्वयं डॉ. कलाम ने किया था। 








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