2015-07-28 16:28:00

धार्मिक परिधान के कारण प्रवेश परीक्षा से बाहर


तिरुवनंतपुरम, मंगलवार, 28 जुलाई 2015 (ऊकान): केरल में सि. सेबा को धार्मिक परिधान के साथ ऑल इंडिया प्री-मेडिकल टेस्ट हेतु प्रवेश परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दिए जाने पर, धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में धर्म मानने की स्वतंत्रता के अधिकार पर पुनः विवाद छिड़ गया है।

भारतीय धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष कार्डिनल बेसलियोस क्लेमिस ने कहा, ″इस दुर्भाग्य पूर्ण घटना पर कलीसिया विवाद खड़ा करना नहीं चाहती है।″ उन्होंने कहा किन्तु सवाल ये उठता है कि यह अधिकारियों द्वारा धार्मिक प्रतीकों पर निशाना है अथवा परीक्षाओं में कदाचार का अभ्यास।

विदित हो कि केरल के तिरुअनंतपुरम में शनिवार को हुए ऑल इंडिया प्री-मेडिकल टेस्ट में एक ईसाई महिला को बैठने की अनुमति नहीं मिली, वजह ये थी कि उन्होंने अपना भेल हटाने से मना कर दिया था। ये घटना तिरुअनंतपुरम में जवाहर सेंट्रल स्कूल में हुई।

केरल के तिरुअनंतपुरम स्थित परीक्षा केंद्र के अधिकारियों ने कहा कि सि. सेबा को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार अनुमति नहीं दी गई।

सिं सेबा ने ऊका समाचार से कहा, ″मैं अपने भेल एवं क्रूस को हटाने से मना की क्योंकि ये मेरे धर्मसंघीय परिधान के हिस्से हैं। मैंने अपने अधिकारिणीयों से भी सलाह लिया और उन्होंने भी मेरा समर्थन किया है। इस प्रकार मैंने यह अवसर गवाँ दिया।″

उन्होंने कहा कि एक टोपी की तरह भेल को नहीं हटाया जा सकता क्योंकि इसका गहरा अर्थ है जिसे दूसरे नहीं समझ सकते।

कार्डिनल बेसलियोस क्लेमिस ने कहा कि इस मुद्दे को न केवल पुरोहित, धर्मसमाजियों एवं कलीसिया में सीमित रखा जाए किन्तु पूरे समाज में विचार किया जाए क्योंकि यह लोगों की आस्था से जुड़ा है।








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