2015-07-27 16:44:00

दादा-दादी को परिवार में उनकी बहुमूल्य उपस्थिति के लिए धन्यवाद


वाटिकन सिटी, सोमवार, 27 जुलाई 2015 (वीआर सेदोक): वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर प्राँगण में संत पापा फ्राँसिस ने रविवार 26 जुलाई को भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा,

″अति प्रिये भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात,

इस रविवार का सुसमाचार पाठ सुसमाचार लेखक संत योहन द्वारा वर्णित रोटियों के चमत्कार के महान चिन्ह को प्रस्तुत करता है।(यो.6:1-15) येसु गलीलिया झील के तट पर थे तथा बीमारों को चंगा करने के कारण एक बड़ी भीड़ से घिरे थे।(पद.2) ईश्वर की करुणा से वे शारीरिक एवं आत्मिक सभी प्रकार की बीमारियों से चंगाई प्रदान कर रहे थे।″ संत पापा ने कहा किन्तु येसु न केवल चंगाई दाता हैं किन्तु वे एक गुरु भी हैं। वे एक पर्वत पर चढ़े, जहाँ गुरु का एक खास मनोभाव धारण कर, स्वर्गीय पिता द्वारा सृष्ट प्राकृतिक आसन पर शिक्षा देने लगे। इस परिस्थिति में येसु को मालूम था कि वे क्या करने वाले हैं किन्तु अपने शिष्यों की परीक्षा लेने के ख्याल से उन्होंने कहा, हम इन्हें खिलाने के लिए कहाँ से रोटियाँ खरीदें। बारहों में से एक फिलिप ने तुरन्त हिसाब कर कहा, ″दो सौ दीनार की रोटियाँ भी इतनी नहीं होंगी कि हर एक को थोड़ी-थोड़ी मिल सके।″

संत पापा ने कहा, ″चेले बाजार की भाषा में बातें कर रहे थे किन्तु येसु ने खरीदने के तर्क को बांटने की भावना में बदल दिया। उनके शिष्यों में से एक सिमोन पेत्रुस के भाई अन्द्रेयस ने कहा, ″यहाँ एक लड़के के पास जौ की पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ हैं पर यह इतने लोगों के लिए क्या है? (पद.9)″ किन्तु येसु ने उसी रोटी और मछली का धीरज से इंतजार किया। उन्होंने अपने शिष्यों को आदेश दिया कि वे लोगों को बैठा दें।″ ईसा ने रोटी ले ली, धन्यवाद की प्रार्थना पढ़ी और बैठे हुए लोगों में उन्हें इच्छा भर बटवाया।″ (पद.11)

संत पापा ने कहा कि ये चिन्ह अंतिम बयारी का पूर्वाभास था जिसमें येसु ने रोटी का एक गहरा एवं सच्चा अर्थ प्रकट किया। येसु स्वयं ईश्वर की रोटी हैं। उनके साथ संयुक्त होकर हम उनके जीवन को अपने जीवन में स्वीकार करते हैं एवं हम स्वर्गीय पिता की संतान तथा एक-दूसरे के भाई-बहन बनते हैं। जब हम परम प्रसाद ग्रहण करते हैं तो वास्तव में, हमारी मुलाकात पुनर्जीवित ख्रीस्त के साथ होती है। युखरिस्त में सहभागी होने का अर्थ है येसु के मनोभाव को धारण करना, निःशुल्क बांटने का मनोभाव जिसके तहत यद्यपि हम ग़रीब हैं तथापि हम कुछ न कुछ जरूर दे सकते हैं।

संत पापा ने परम प्रसाद ग्रहण करने के दूसरे अर्थ को बतलाते हुए कहा कि परम प्रसाद ग्रहण करने का अर्थ है ख्रीस्त से कृपा प्राप्त करना। यह कृपा हमें अपनी चीजों को अन्यों को बांटने का बल प्रोत्साहन देता है।

भीड़ रोटियों के चमत्कार तक ही सीमित रह गयी किन्तु येसु द्वारा प्रदान की गयी कृपा भूखे व्यक्ति के लिए अनन्त जीवन है। येसु न केवल भौतिक भूख मिटाते हैं किन्तु उससे बढ़कर जीवन की सार्थकता की भूख, ईश्वर को पाने की भूख को भी तृप्त करते हैं।

संत पापा ने कहा, ″कई लोगों को दुःख, अकेलापन, ग़रीबी तथा कठिनाई में पड़े देखकर हम क्या करते हैं? ″उन्होंने कहा कि शिकायतें किसी चीज़ का समाधान नहीं करती हैं किन्तु सुसमाचार में वर्णित उस लड़के की तरह हम अपने में से कुछ उनके लिए अवश्य बांट सकते हैं। हमारे पास अवश्य ही कुछ समय, क्षमता एवं निपुणता है। संत पापा ने प्रश्न किया कि पाँच रोटी और दो मछली जैसी देने योग्य चीजें किसके पास नहीं हैं?

ये चीजें हमारे पास अवश्य हैं और यदि हम इन चीजों को प्रभु को समर्पित करते हैं तो प्रभु इसके द्वारा दुनिया में प्रेम, शांति, न्याय तथा सबसे बढ़कर आनन्द में वृद्धि करते हैं। आज दुनिया में आनन्द की कितनी आवश्यकता है। सद्भावना के छोटे चिन्ह को महान बनाने में ईश्वर सामर्थ्य हैं तथा वे हमें भी इस कृपा के सहभागी बनाते हैं।

हमारी प्रार्थना आम प्रतिबद्धता का समर्थन करे ताकि कोई भी उस रोटी से वंचित न हो जो स्वर्ग की रोटी है, अनन्त जीवन की रोटी तथा सम्मान पूर्ण जीवन के लिए आवश्यक तत्व जो कि बांटने एवं प्रेम की भावना को सुदृढ़ करता है। माता मरियम इसके लिए अपनी मातृ तुल्य स्नेह एवं मध्यस्थता द्वारा हमारा साथ दें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया। देवदूत प्रार्थना समाप्त करने के पश्चात उन्होंने देश-विदेश से एकत्र सभी तीर्थयात्रियों एवं पर्यटकों का अभिवादन किया।

संत पापा ने पोलैंड के क्राकॉव में आगामी विश्व युवा दिवस हेतु युवाओं के नामांकन का उद्घाटन करने हेतु प्रतीक चिन्ह स्वरूप इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर क्लिक किया। उन्होंने कहा, ″आज हम अगले वर्ष पोलैंड में होने वाले 31 वें विश्व युवा दिवस के लिए नामांकन का उद्घाटन करते हैं। इसमें मैं भी अपना नामांकन कराना चाहता हूँ जिसके लिए मैंने एक युवा और एक युवती को अपने अगल-बगल रखा है ताकि आप लोगों के सम्मुख मैं अपना नामांकन करा सकूँ।

करुणा को समर्पित वर्ष को मनाते हुए यह दिन युवाओं के लिए जयन्ती का अवसर होगा जिसकी विषयवस्तु हैं, ″धन्य हैं वे जो दया करते हैं उनपर दया की जाएगी।″ (मती.5:7) संत पापा ने विश्व भर के युवाओं को क्राकॉव आने का निमंत्रण देते हुए कहा, ″मैं विश्व के युवाओं को निमंत्रण देता हूँ कि वे क्राकॉव में होने वाली तीर्थयात्रा में भाग लें। कृपा के इस अवसर पर मैं भी वहाँ उपस्थित होऊँगा।

संत पापा ने सीरिया में फादर पाओलो डालोलियो के अपहरण की घटना का स्मरण करते हुए कहा कि कुछ ही दिनों बाद उसकी द्वितीय वर्षगाँठ मनायी जायेगी। उन्होंने उनके मुक्त किये जाने की हार्दिक अपील की। संत पापा ने स्थानीय एवं विश्व समुदाय से भी आग्रह किया कि वे अपने समर्पण को नवीकृत करें ताकि अपहृत लोगों को जल्द मुक्त किया जा सके। उनके प्रति सहानुभूति रखते हुए संत पापा ने माता मरिया से प्रार्थना की।

संत पापा ने संत अन्ना एवं ज्वाकिम के पर्व दिवस पर कहा, ″आज 26 जुलाई कलीसिया धन्य कुँवारी मरियम के माता-पिता एवं येसु की नाना-नानी संत ज्वाकिम एवं संत अन्ना का त्यौहार मनाती है। इस अवसर पर मैं सभी दादा-दादी को परिवार में तथा युवा पीढ़ी के साथ उनकी बहुमूल्य उपस्थिति के लिए धन्यवाद देता हूँ।″   

जो दादा दादी जीवित हैं अथवा स्वर्ग चले गयें हैं संत पापा ने ताली की गड़गड़ाहट के साथ उनका अभिवादन किया।

अंत में उन्होंने प्रार्थना का आग्रह करते हुए सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।








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