2015-07-21 12:35:00

न्यू यॉर्कः वयोवृद्धों के मानवाधिकार पर परमधर्मपीठ की घोषणा


न्यू यॉर्क, मंगलवार, 21 जुलाई 2015 (सेदोक): न्यू यॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र संघ के मुख्यालय में वयोवृद्धों पर आयोजित सामान्य विचार-विमर्श के छठवें सत्र में परमधर्मपीठ के पर्यवेक्षक तथा वाटिकन के प्रतिनिधि महाधर्माध्यक्ष बेरनादीतो आऊज़ा ने भाग लेकर वयोवृद्धों के अधिकारों को सुनिश्चित्त करने का आग्रह किया।

16 जुलाई के सत्र में, महाधर्माध्यक्ष आऊज़ा ने कहा कि परमधर्मपीठ "वयोवृद्धों के मानवाधिकारों की सुरक्षा तथा उनकी अन्तर्निष्ठ प्रतिष्ठा के प्रति समर्पित है तथा आयु पर आधारित हर प्रकार के भेदभाव के उन्मूलन को समर्थन देती है।"  

उन्होंने कहा कि ऐसे समय में, जब वृद्ध लोगों को उनकी नियति पर छोड़ दिया जा रहा है तथा उन्हें समाज पर बोझ समझा जाने लगा है, इस विषय पर विचार-विमर्श उपयुक्त एवं प्रासंगिक है।  जैसा कि सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है, "बुज़ुर्गों का एक तरफ फेंक दिया जाना वास्तव में क्रूर है..... कोई इस पर कुछ बोलने को तैयार नहीं है किन्तु यह हो रहा है।"

उन्होंने इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि पश्चिमी देशों में वृद्धों की संख्या नित्य बढ़ रही है तथा बच्चों की पीढ़ी कम होती जा रही है। प्रकाशित आँकड़ों के अनुसार 70 करोड़ लोग यानि विश्व की जनसंख्या का दस प्रतिशत 60 वर्ष की आयु पार कर चुका है और 2050 तक यह संख्या दुगुनी होने का अनुमान है।

महाधर्माध्यक्ष आऊज़ा ने कहा कि जैसे-जैसे आयु सीमा बढ़ती जायेगी वैसे-वैसे बुज़र्गों के प्रति  स्वीकृति, उनकी सराहना तथा समाज में उनके एकीकरण को प्रोत्साहन देना महत्वपूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि सरकारों को ऐसी नीतियों का निर्माण करना चाहिये जिनके तहत वयोवृद्ध परिवार में ही रहकर सम्मानपूर्वक जीवन यापन कर सकें तथा उन्हें हर प्रकार की सामाजिक सुरक्षा मिल सके।

इस सन्दर्भ में, महाधर्माध्यक्ष ने कहा, "हमें ऐसी नीतियों एवं शिक्षा निकाय को प्रोत्साहन देना होगा जो, आज सर्वत्र व्याप्त, "फेंक देनेवाली संस्कृति" तथा उत्पादकता की दृष्टि से मानव प्राणियों का मूल्यांकन करनेवाले प्रचलन के विकल्प का प्रस्ताव करे। उन्होंने इस बात पर खेद व्यक्त किया प्रायः वयोवृद्ध लोग स्वतः को बेकार एवं अकेला महसूस करते हैं क्योंकि उन्होंने समाज में अपना स्थान खो दिया है।       








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