2015-07-13 12:14:00

दक्षिण अमरीका में सन्त पापा फ्राँसिस की यात्रा सम्पन्न


वाटिकन सिटी, सोमवार, 13 जुलाई 2015 (सेदोक): सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा फ्राँसिस दक्षिण अमरीका के एक्वाडोर, बोलिविया तथा पारागुए में अपनी आठ दिवसीय प्रेरितिक यात्रा सम्पन्न कर पुनः रोम लौट jरहे हैं। रविवार 12 जुलाई की सन्ध्या पारागुए के आसुसियोन अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से सन्त पापा रोम के लिये रवाना हुए थे तथा लगभग 13 घण्टों की विमान यात्रा के बाद, सोमवार को, स्थानीय समयानुसार दोपहर के पौने दो बजे रोम लौट रहे हैं। इटली से बाहर सन्त पापा फ्राँसिस की नवीं विदेश यात्रा थी।

अपनी विदेश यात्राओं के लगभग हर पग पर सन्त पापा फ्राँसिस वार्ताओं, एकता एवं समाज निर्धनों के एकीकरण की अपील लिये रहते हैं। अपने प्रभाषणों एवं लिखित कृतियों में सन्त पापा फ्राँसिस "फेंक देनेवाली संस्कृति" का खण्डन करते रहे हैं।   

एक्वाडोर, बोलिविया तथा पारागुए दक्षिण अमरीका के इन तीनों ही राष्ट्रों की अधिकांश जनता काथलिक धर्मानुयायी है तथा इन तीनों देशों का इतिहास संघर्ष एवं तानाशाही का रहा है। इस समय ये राजनैतिक अनिश्चित्तता से गुज़र रहे हैं तथा अपने देशों में समानता, पर्यावरण की सुरक्षा तथा भ्रष्टाचार जैसी गम्भीर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।   

सन्त पापा फ्राँसिस ने इन देशों के राष्ट्रपतियों से मुलाकात कर केवल कूटनैतिक दायित्व ही पूरा नहीं किया अपितु, उन्हें अपने विश्व पत्र "गाओदेयुम एवानजेली" अर्थात् सुसमाचारी आनन्द तथा पर्यावरण की सुरक्षा पर "लाओदातो सी" की प्रतियाँ अर्पित कर, अपने-अपने देशों में सामाजिक एकीकरण, न्याय और शांति की स्थापना का अनुरोध किया। साथ ही ऐसी नवीन आर्थिक संरचनाओं के निर्माण का आग्रह किया जिसमें राष्ट्र और समाज के प्रत्येक व्यक्ति की भागीदारी रहे तथा प्रत्येक को उसका लाभ मिल सके।      

राष्ट्रपतियों से औपचारिक मुलाकात के अतिरिक्त एक्वाडोर में देशज वयोवृद्धों के एक आश्रम की भेंट कर, बोलिविया के कुख्यात पालमासोला कारावास में ईश्वरीय क्षमा और करुणा के अर्थ को समझाकर तथा पारागुए में महिला बन्दीगृह एवं बनादो नोर्ते नामक बाढ़प्रवण झुग्गी झोपड़ी के लोगों से मुलाकात कर, सन्त पापा फ्राँसिस ने, निर्धनों, क़ैदियों, रोगियों, वयोवृद्धों एवं समाज से बहिष्कृत लोगों की व्यथा के प्रति विश्व के नेताओं और सम्पूर्ण अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के अन्तः करण को जगाने का प्रयास किया है।

सन्त पापा द्वारा की गई न्याय एवं समानता की अपील, निर्धनों एवं ज़रूरतमन्दों के प्रति उनकी एकात्मता तथा भ्रष्टाचार को मिटाने हेतु विश्व के नेताओं का आह्वान सर्वत्र प्रतिध्वनित हुआ है देखना यह है कि कौन इसे कार्यरूप देने के लिये तैयार है? इतना तो निश्चित्त रूप से कहा जा सकता है कि जन साधारण इस अनोखी पहल में सन्त पापा फ्राँसिस के साथ है। वाटिकन के प्रेस निर्देशक एवं वाटिकन प्रवक्ता फादर फेदरीको लोमबारदी से जब सन्त पापा की दक्षिण अमरीकी यात्रा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सन्त पापा फ्राँसिस के प्रति साधारण लोगों का स्नेह, उनका हर्षोल्लास एवं यात्रा के हर पड़ाव पर विशाल जनसमुदाय की भागीदारी वास्तव में विस्मयकारी रही।  








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