2015-07-09 12:55:00

ला पाज़ः बोलिविया में सन्त पापा फ्राँसिस का स्वागत


ला पाज़, गुरुवारर, 09 जुलाई 2015 (सेदोक): एक्वाडोर में अपनी तीन दिवसीय यात्रा सम्पन्न कर सन्त पापा फ्राँसिस ने बुधवार को एक्वाडोर के लोगों से विदा ली तथा क्वीटो के मारीस्काल हवाई अड्डे से बोलिविया के ला पाज़ के लिये प्रस्थान किया। बोलिविया की 82 प्रतिशत जनता काथलिक धर्मानुयायी है।  

लगभग सवा तीन घण्टों की हवाई यात्रा के उपरान्त सन्त पापा ला पाज़ के एल आल्तो अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पधारे। एक्वाडोर से बोलिविया तक की हवाई यात्रा के दौरान सन्त पापा ने कोका पत्तियों, बाबून के फूल तथा सौंफ से बनी चाय का सेवन किया। दक्षिण अमरीकी देशों में पर्वतीय ऊँचाई के कारण बीमार होने से बचने के लिये प्रायः इस प्रकार के मिश्रण का सेवन किया जाता है। वस्तुतः, कोका, कोकेन का मुख्य संघटक है किन्तु बोलिविया के लोग इसके रोगहर गुणों के कारण सदियों से कोका की पत्तियों को चबाते आये हैं या इससे बनी चाय का सेवन करते रहें हैं।

विमान के परिचारी ने बताया कि सन्त पापा ने "ट्रायमेट" नामक मिश्रण का सेवन किया जो विमान पर सवार पत्रकारों को भी अर्पित किया गया था। बोलिविया के आदिवासी लोग तथा ख़ुद राष्ट्रपति एवो मोरालेस कोका के सेवन को समर्थन देते हैं तथा इसे एक पवित्र पौधा मानते हैं।

ला पाज़ का अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, समुद्रतल से लगभग 4,000 मीटर की ऊँचाई पर बना है इसीलिये इसे "एल आल्तो" अर्थात् "ऊँचा वाला" नाम से पुकारा जाता है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या को टालने के उद्देश्य से ऊँचाई पर बसे ला पाज़ शहर में सन्त पापा की यात्रा केवल चार घण्टों तक ही सीमित रखी गई थी जिसके उपरान्त बोलिविया के सान्ता क्रूज़ के लिये उन्होंने प्रस्थान किया।

"एल आल्तो" हवाई अड्डे पर लगभग 36 बोलिवियाई आदिवासियों के पारम्परिक परिधान धारण किये बच्चों ने स्नेहवश सन्त पापा का स्वागत किया। स्वागत समारोह में लगभग 4,000 प्रशंसक उपस्थित थे।  

देश में कलीसिया के परमाध्यक्ष सन्त पापा फ्राँसिस का स्वागत करते हुए "एल आल्तो" हवाई अड्डे पर राष्ट्रपति एवो मोरालेस ने अभिवादन पत्र पढ़ा। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार भी सन्त पापा की तरह ही निर्धनों के हित के लिये काम करती रही है। उनके शब्दों में: "जो निर्धनों के साथ विश्वासघात करता है, वह सन्त पापा फ्राँसिस के साथ विश्वासघात करता है।" 

राष्ट्रपति मोरालेस स्वयं आयमारा जनजाति के आदिवासी हैं तथा बोलिविया  के लगभग 36 आदिवासी दलों का नेतृत्व करने के बाद सत्ता में आये हैं। किन्तु, राष्ट्रपति द्वारा, व्यापक रूप काथलिक देश बोलिविया को, संविधान में, धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किये जाने तथा उनकी अन्य याजकवर्ग विरोधी पहलों ने बोलिविया की काथलिक कलीसिया में असन्तोष उत्पन्न किया है। बोलिविया के घने जंगलों में निवास करते आये आदिवासी भी, उनकी पारम्परिक भूमि पर, राष्ट्रपति की तेल एवं प्राकृतिक गैस निष्कर्षण योजना से नाराज़ हैं। बोलिविया की काथलिक कलीसिया इन देशज लोगों की उत्कंठाओं को आवाज़ देने का प्रयास करती रही है।    








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