2015-07-07 16:47:00

सच्चे प्रेम का चिन्ह सेवा


ग्याक्वील, मंगलवार, 7 जुलाई 2015 (वीआर सेदोक)꞉ ″परिवार एक घरेलू कलीसिया है जहाँ हम प्रेम करना, दूसरों की सेवा करना, लालची नहीं किन्तु कृतज्ञ होना तथा जब कभी कोई गलती हो जाती है तो उसके लिए माफी मांगना सीखते हैं।″ यह बात संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार 6 जुलाई को इक्वाडोर में अपनी प्रेरितिक यात्रा के दौरान वहाँ के एक प्रमुख शहर ग्याक्वील में पावन ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कही।

प्रवचन में उन्होंने काना के विवाह भोज की घटना पर चिंतन किया जहाँ माता मरियम विवाह भोज में दाखरस घट जाने पर उनकी आवश्यकता के प्रति अपनी सहानुभूति प्रदर्शित करती तथा अपने पुत्र येसु से उनकी आवश्यकता में मदद करने हेतु आग्रह करती है।

संत पापा ने दाखरस को आनन्द, प्रेम एवं प्रचुरता का प्रतीक कहा तथा ग़ौर किया कि कई युवाओं, वयोवृद्धों तथा एकाकी व्यक्तियों के पास इसका अभाव है।

संत पापा ने कहा कि ‘उनके पास दाखरस नहीं रह गयी है’ कहकर येसु से अर्जी करने की इस घटना में माता मरियम की ममतामय सहानुभूति प्रदर्शित होती है।

संत पापा ने कहा कि काना का विवाह भोज सभी पीढ़ियों, सभी परिवारों एवं सभी लोगों के द्वारा दोहराया जाता है। हमारा प्रयास हमेशा यही रहता है कि हमें किस तरह आनन्द तथा प्यार मिले। संत पापा ने इसके लिए माता मरियम को अपने परिवार में स्थान देने तथा उनके साथ स्वर्ग रूपी काना की यात्रा करने की सलाह दी।

संत पापा ने माता मरिया के गुणों पर ध्यान आकर्षित कराते हुए कहा कि उन्होंने विवाह भोज में जरूरत को पहचाना। वह अपने में बंद नहीं थी और न ही अपनी छोटी दुनिया की चिंता की। उनका प्रेम उन्हें अपने आप से बाहर जाने हेतु प्रेरित किया। इस प्रकार वे देख पायीं कि उन लोगों के पास दाखरस घट चुका था।

संत पापा ने कहा, ″दाखरस आनन्द, प्रेम एवं प्रचुरता का प्रतीक है किन्तु कितने युवा एवं अन्य लोग भी यह अनुभव करते हैं कि उनके परिवारों में इसका अभाव है। कितनी महिलाएँ, उदासी, अकेलापन तथा प्यार में विश्वासघात के कारण भटकते हुए जीवन व्यतीत करते हैं। कितने वयोवृद्ध परिवार की खुशियों में बहिष्कृत महसूस करते हैं तथा हर दिन थोड़ा सा प्रेम पाने की आस लगाये रहते हैं। दाखरस की कमी बेरोजगारी, बीमारी तथा कठिन परिस्थितियों से भी हो सकती है। ऐसी परिस्थितियों में माता मरिया उस सासु माँ के समान नहीं है जो खामियाँ और कमज़ोरियाँ ही निकालती किन्तु परिस्थिति के प्रति सचेत रहती एवं सहानुभूति व्यक्त करती है। माता मरिया किसी अन्य व्यक्ति के पास नहीं जाती किन्तु अपने पुत्र येसु पर दृढ़ भरोसे के साथ उन्हें यह बात बतलाती है जिसका उत्तर बिलकुल निराशाजनक था।

प्रार्थना हमें हमारी चिंताओं एवं परेशानियों से बाहर निकालता है तथा इसके स्थान पर दूसरों के प्रति सहानुभूति से भर देता है। परिवार एक स्कूल है जहाँ हमें प्रार्थना स्मरण दिलाता है कि हम अकेले नहीं हैं हम सभी अन्य सदस्यों के साथ एक हैं तथा हमारे करीब हमारे पड़ोसी भी है। हमारा पड़ोसी हमारे जीवन का हिस्सा है तथा उसे हमारी मदद की जरूरत है।

माता मरिया का यह कथन, ″वे तुम्हें जो आदेश देते हैं उसे पूरा करो,″ का अर्थ है येसु के प्रति उदार बनने हेतु माता मरिया का निमंत्रण। सेवा सच्चे प्यार का चिन्ह है और इसे हम परिवार में ही सीखते हैं जहाँ हम प्रेम के कारण एक-दूसरे की सेवा करते हैं। परिवार में कोई बहिष्कृत नहीं होता तथा हम कृतज्ञता, क्षमाशीलता, लालच का दमन आदि कई अच्छे गुणों को सीख सकते हैं। शिष्टाचार के ये छोटे चिन्ह हमें दूसरों के साथ बांटने एवं उनका सम्मान करने की संस्कृति में बढ़ने हेतु मदद करते हैं।

संत पापा ने परिवार की विशेषता बतलाते हुए कहा कि यह सबसे निकट वाला अस्पताल, युवाओं के लिए प्रथम पाठशाला तथा वयोवृद्धों के लिए सर्वोत्तम गृह है। परिवार की बराबरी समाज की कोई अन्य संस्था नहीं कर सकती। अतः इसे मज़बूत बनाने हेतु सहयोग दिया जाना चाहिए।

परिवार एक ‘घरेलू कलीसिया’ है जहाँ जीवन के साथ ईश्वर की कोमलता एवं करूणा पर चिंतन किया जा सकता है। परिवार में हम माँ के दूध के साथ विश्वास ग्रहण करते हैं और माता-पिता के स्नेह में ईश्वर के प्रेम का अनुभव करते हैं।

परिवार में चमत्कार भी सम्पन्न होता है। हमारे बृहद परिवारों में जहाँ कुछ भी नहीं फेंका जाता किसी चीज को बेकार नहीं समझा जाता है और जहाँ सीमित चीजों से भी खुश रह सकते हैं। संत पापा ने परिवार की प्रेरिताई पर आगामी सिनॉर्ड के लिए प्रार्थना करने का आग्रह किया।

संत पापा ने प्रवचन में काना के विवाह भोज की ओर पुनः हमारा ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि ये सारी बातें इसलिए हुई क्योंकि उनके पास दाखरस घट गया था माता मरियम वहाँ उपस्थित थीं। वे सचेत थीं तथा उन्होंने समस्या को ईश्वर को अर्पित किया एवं समझदारी और हिम्मत से काम किया। संत पापा ने कहा कि हमारे लिए खुशी की बात है कि परिवारों में उत्तम चीजें आने वाली हैं। एक ऐसा समय आने वाला है जब हम प्रतिदिन प्रेम से रहेंगे, जब बच्चे घर आने में खुशी का अनुभव करेंगे तथा वयोवृद्ध हमारे जीवन के प्रत्येक दिन हमारी खुशी में शामिल होंगे। आनन्द रूपी सर्वोत्तम दाखरस उसी को प्राप्त होगा जो प्रेम पर ही सब कुछ दाँव पर लगा देता है।

संत पापा ने विश्वासियों से आग्रह किया कि वे माता मरिया की तरह येसु की वाणी सुनने के लिए अपना हृदय द्वार खोलें जो सेवा कराने नहीं किन्तु सेवा करने आये थे, विशेषकर, ऐसे लोगों के लिए जो देहातों में रहते तथा आशा रहित एवं प्रेम से वंचित हैं।

 








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