2015-06-29 12:13:00

प्रथम प्रेरितों का जीवन प्रार्थना, विश्वास एवं साक्ष्य की पुकार


वाटिकन सिटी, सोमवार, 29 जून 2015 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा है कि कलीसिया के प्रथम प्रेरितों का जीवन आज के ख्रीस्तीय धर्मानुयायियों के लिये प्रार्थना, विश्वास एवं साक्ष्य हेतु एक शक्तिशाली पुकार है। 

सोमवार, 29 जून को काथलिक कलीसिया के प्रथम प्रेरित सन्त पेत्रुस एवं सन्त पौलुस के महापर्व पर सन्त पापा फ्राँसिस ने सन्त पेत्रुस महागिरजाघर में पवित्र ख्रीस्तयाग अर्पित कर प्रवचन किया। इस अवसर पर उन्होंने इस वर्ष के दौरान नियुक्त महाधर्माध्यक्षों को अम्बरिकाएँ भी प्रदान की जो सार्वभौमिक कलीसिया तथा कलीसिया के परमाध्यक्ष के साथ उनके सम्बन्ध का प्रतीक है।

सन्त पापा ने कहा कि प्रथम प्रेरित एवं आरम्भिक कलीसियाई समुदाय प्रार्थना हेतु एक शक्तिशाली पुकार है। उन्होंने कहाः "पेत्रुस और पौलुस का समुदाय हमें सिखाता है कि प्रार्थनारत कलीसिया अपने पाँव पर टिकी, शक्तिशाली एवं निरन्तर आगे बढ़नेवाली कलीसिया है। वस्तुतः, जो ख्रीस्तीय प्रार्थना करता है वह सुरक्षा, देखभाल तथा पोषण प्राप्त करता  तथा कभी भी अकेला नहीं रहता है।"

उन्होंने कहा कि कोई भी ख्रीस्तीय समुदाय प्रार्थना के बग़ैर टिक नहीं सकता क्योंकि प्रार्थना ही कठिन घड़ियों को पार करने का सम्बल प्रदान करती है तथा भय और अविश्वास के क्षणों में आशा की किरण दिखाती है जैसे उत्पीड़न के काल में पेत्रुस और पौलुस के साथ हुआ था।

ईश्वर में विश्वास को सुदृढ़ करने का आग्रह कर सन्त पापा ने कहा, "इतिहास के अन्तराल में  कितनी ही शक्तियों ने कलीसिया के विनाश का प्रयास किया किन्तु विश्वास के कारण कलीसिया सजीव, फलप्रद और सुदृढ़ बनी रही ताकि सुसमाचार का प्रचार कर सके, जैसा कि सन्त पौल लिखते हैं: "प्रभु ने मेरी सहायता की और मुझे बल प्रदान किया, जिससे मैं सुसमाचार का प्रचार कर सकूँ और सभी राष्ट्र उसे सुन सकें। मैं सिंह के मुँह से बच निकला। प्रभु मुझे दुष्टों के हर फन्दे से छुड़ायेगा। वह मुझे सुरक्षित रखेगा और अपने स्वर्गराज्य तक पहुँचा देगा। उसी को अनन्त काल तक महिमा! आमेन!     

सन्त पापा ने कहा, "सबकुछ चला जाता है किन्तु ईश्वर अटल रहते हैं। वस्तुतः, राज्य, जातियाँ, संस्कृतियाँ, देश, विचारधाराएँ और सत्ताएँ विलुप्त हो गई हैं किन्तु ख्रीस्त द्वारा स्थापित कलीसिया अनेक तूफ़ानों एवं हमारे अनेक पापों के बावजूद अपनी जगह पर बनी हुई है इसलिये जो ख्रीस्त में जीता है वह सन्त पेत्रुस एवं सन्त पौलुस के आदर्शों पर चल जीवन की पवित्रता द्वारा कलीसिया की रक्षा करता है।

कलीसिया के प्रथम प्रेरित सन्त पेत्रुस एवं सन्त पौलुस के सदृश साक्ष्य का आह्वान कर सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा, "जो ख्रीस्तीय साक्ष्य नहीं प्रदान करता वह बाँझ है; वह उस मृत व्यक्ति के समान है जो स्वतः को जीवित समझता है; एक सूखे वृक्ष के समान जो फल नहीं देता तथा उस खाली कुएँ के समान जो पानी नहीं देता।"

सन्त पापा ने कहा, "अपनी सन्तानों के साहसिक, ठोस एवं विनम्र साक्ष्य के कारण ही कलीसिया सभी बुराइयों पर विजयी हो सकी है तथा विश्वासपूर्वक जगत के समक्ष कह सकी हैः "आप ख्रीस्त हैं जीवन्त ईश्वर के पुत्र"।   

नये महाधर्माध्यक्षों से सन्त पापा ने कहा, "कलीसिया चाहती है कि आप प्रार्थना के पुरुष, प्रार्थना के गुरु बनें; ताकि आप आपके सिपुर्द किये गये लोगों को यह शिक्षा दे सकें कि हर प्रकार के बन्दीकरण से मुक्ति केवल ईश्वर से मिल सकती है, कि ईश्वर उपयुक्त समय पर, हर प्रकार की दासता तथा सांसारिकता की असंख्य बेड़ियों से हमारी रक्षा हेतु अपने दूत को भेजते हैं।"       

सन्त पापा ने याचना की कि उन कठिन क्षणों में महाधर्माध्यक्ष अपने लोगों के लिये उदारता के सन्देशवाहक सिद्ध हों। 








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