2015-06-29 15:34:00

आशा के संदेशवाहक तथा जीवन के प्रचारक बनें


वाटिकन सिटी, सोमवार, 29 जून 2015 (वीआर सेदोक)꞉ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में रविवार 28 जून को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा,

″अति प्रिय भाइयो एवं बहनो,

सुप्रभात,

आज का सुसमाचार पाठ सभागृह के शतपति की बारह वर्षीय पुत्री के जी उठने की घटना को प्रस्तुत करता है जिसमें उन्होंने येसु के पाँव पड़कर अनुनय-विनय की, ''मेरी बेटी मरने पर है। आईए और उस पर हाथ रखिए, जिससे वह अच्छी हो जाये और जीवित रह सके।'' (मार.5꞉23) संत पापा ने कहा कि इस प्रार्थना में, जीवन तथा पुत्री के प्रति प्रत्येक पिता की चिंता परिलक्षित होती है। इस घटना में उस व्यक्ति का येसु पर विश्वास भी दिखाई पड़ता है। जब उन्हें लड़की की मृत्यु का समाचार मिला तब येसु ने कहा, ''डरिए नहीं। बस, विश्वास कीजिए।'' (पद.36) येसु के इन शब्दों द्वारा साहस का संचार होता है। संत पापा ने कहा कि ये ही वे वाक्य हैं जिन्हें येसु हमसे बार-बार दोहराते हैं। ''डरिए नहीं। बस, विश्वास कीजिए।'' उन्होंने भीतर जा कर लोगों से कहा, ''यह कोलाहल, यह विलाप क्यों? लड़की मरी नहीं, सो रही है।''  ″इस पर वे उनकी हँसी उड़ाते रहे। ईसा ने सब को बाहर कर दिया और वह लड़की के माता-पिता और अपने साथियों के साथ उस जगह आये, जहाँ लड़की पड़ी हुई थी। लड़की का हाथ पकड़ कर उस से कहा, 'तालिथा कुम''। इसका अर्थ है- ओ लड़की! मैं तुम से कहता हूँ, उठो।″ बाईबिल हमें बतलाता है कि लड़की उसी क्षण उठ खड़ी हुई तथा चलने फिरने लगी। संत पापा ने कहा कि यहाँ हम शारीरिक मृत्यु के ऊपर येसु के सामर्थ्य को देखते हैं जिनके लिए मृत्यु एक निद्रा के समान थी जिसे वे जगा सकते हैं।

आज के सुसमाचार पाठ में दो घटनाओं को एक साथ प्रस्तुत किया गया है जिसके प्रथम भाग को हमने सुन लिया है जबकि दूसरी घटना में सुसमाचार लेखक बारह वर्षों से रक्त स्राव की बीमारी से पीड़ित महिला के चंगा किये जाने की घटना का वर्णन करते हैं। संत पापा ने कहा कि इस बीमारी के कारण उस समाज की संस्कृति के अनुसार वह महिला अशुद्ध थी और उसे लोगों के सम्पर्क से अलग रहना था। इस प्रकार, वह समाज की दृष्टि में मृतप्राय थी फिर भी यह गुमनाम महिला मन में यह सोचकर येसु का अनुसरण करती है कि यदि मैं उनके कपड़े का पल्लू भर छू पाऊँ तो चंगी हो जाऊँगी। (पद 28) और ऐसा ही हुआ, मुक्त होने की आवश्यकता उसे हिम्मत दिया एवं विश्वास की तेजस्विता ने प्रभु की चंगाई प्रदान की। संत पापा ने कहा, ″जो विश्वास करते हैं वे येसु का स्पर्श करते हैं तथा उस कृपा को प्राप्त करते हैं जो मुक्ति प्रदान करती है। यह हमारे आध्यात्मिक जीवन को बचाती तथा कई समस्याओं का समाधान प्रदान करती है। येसु इसका एहसास करते हैं तथा लोगों की भीड़ में उस महिला के चेहरे को खोजते हैं। वह डरती काँपती सामने आती है तथा येसु उससे कहते हैं, ″बेटी तुम्हारे विश्वास ने तुम्हें चंगा किया।″ (पद.34) स्वर्गीय पिता येसु के द्वारा बोलते हैं। बेटी तुम मेरे द्वारा बहिष्कृत नहीं हो, तुम मेरी बेटी हो। जब-जब येसु हमारे पास आते हैं और हम विश्वास के साथ उनके पास जाते हैं तब-तब हम यही सुनते हैं, ″बेटे, तुम मेरे पुत्र हो अथवा बेटी, तुम मेरी पुत्री हो, तुम चंगे हो गये हो। वे कहते हैं मैं सभी को चंगा करता हूँ।″

संत पापा ने कहा कि चंगाई एवं पुनरूत्थान की इन दोनों घटनाओं का एक ही केंद्रविन्दु है, ‘विश्वास’। संदेश स्पष्ट है तथा एक सवाल द्वारा प्रस्तुत किया जा सकता है कि क्या हम विश्वास करते हैं कि येसु हमें चंगा कर सकते हैं, क्या हमें मृत्यु से पुनर्जीवित कर सकते हैं? सम्पूर्ण सुसमाचार विश्वास के आलोक में लिखा गया है कि येसु जी उठे हैं उन्होंने मृत्यु पर विजय प्राप्त की है और इस विजय द्वारा ही हम भी पुनर्जीवित किये जायेंगे। यह विश्वास प्रथम ख्रीस्तीयों के लिए सुरक्षित था किन्तु उन लोगों के लिए वह धूमिल तथा संदेहास्पद हो सकता है जो पुनरूत्थान को प्रभु के पुनरागमन के रूप में समझते हैं। इस रविवार का ईश वचन हमें पुनरुत्थान की निश्चितता में जीने का निमंत्रण दे रहा है। संत पापा ने कहा कि येसु प्रभु हैं, येसु में बुराई एवं मृत्यु पर सामर्थ्य है। वे हमें पिता के घर ले जाना चाहते हैं जहाँ जीवन का साम्राज्य है। येसु ने जो जीवन दिया है उसमें हम सभी एक साथ होंगे वे जो सड़कों में रहते हैं वे भी पिता के घर में होंगे।

ख्रीस्त का पुनरूत्थान इतिहास में नवीनीकरण एवं आशा की शुरूआत के रूप में कार्य करता है। जो कोई निराश है तथा मृत्यु से परेशान है यदि वह येसु पर भरोसा रखते हैं तो उसमें प्रेम का संचार होगा। एक नये जीवन की शुरूआत होगी। संत पापा ने कहा कि परिवर्तन ही जीवन में ऊपर उठने तथा पुनर्जीवित होने का रास्ता है। विश्वास, जीवन में वह ताकत है जो मानव को पूर्णता प्रदान करता है तथा जो ख्रीस्त में विश्वास करते हैं वे इस शक्ति को पहचानते हैं क्योंकि यह हर परिस्थिति में जीवन को प्रोत्साहन देता है।

संत पापा ने माता मरिया की मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना की कि उनकी मध्यस्थता द्वारा हमें दृढ़ विश्वास तथा साहस की कृपा मिले जिससे कि हम आशा के संदेश वाहक तथा भाइयों के बीच जीवन के प्रचारक बनें।

इतना कहकर संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।

देवदूत प्रार्थना के उपरांत उन्होंने भक्त समुदाय का अभिवादन किया। तत्पश्चात् संत पापा ने पर्यावरण के समर्थकों को प्रोत्साहन दिया। उन्होंने, ″एक पृथ्वी, एक मानव परिवार″ के प्रदर्शन- कारियों का अभिवादन कर सभी धर्मों एवं संगठनों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने का प्रोत्साहन दिया।

अंत में उन्होंने सभी को शुभ रविवार की मंगलकामनाएँ अर्पित की।

 

 








All the contents on this site are copyrighted ©.