2015-06-21 14:30:00

हमारी बेवफाई से येसु का सत्य घटता नहीं


ट्यूरिन, रविवार, 21 जून 2015 (वीआर सेदोक)꞉ संत पापा फ्राँसिस अपनी दो दिवसीय यात्रा पर  रविवार 21 जून को इटली के ट्यूरिन शहर पहुँचे जहाँ उन्होंने ख्रीस्त के पवित्र कफ़न का दर्शन कर उसे श्रद्धांजलि दी तथा विक्टोरिया प्रांगण में समारोही ख्रीस्तयाग अर्पित किया।

संत पापा ने स्तोत्र ग्रंथ के भजन कार के शब्दों में ईश्वर की स्तुति की तथा उनके पावन नाम की महिमा एवं प्यार में जीने हेतु कृपा की याचना की। उन्होंने ईश्वर के प्यार को विश्वसनीय, रचनात्मक, स्थायी और सुरक्षित कहा।

उन्होंने कहा, ″स्तोत्र ग्रंथ हमें प्रभु को धन्यवाद देने का निमंत्रण दे रहा है क्योंकि उनका प्रेम सदा बना रहता है।″ संत पापा ने कहा कि वही सच्चा प्यार है वह कभी निराश होने नहीं देता तथा असफल नहीं होता है। येसु ने पिता के इसी प्यार को धारण किया जो हमारे लिए साक्ष्य हैं। वे हमें प्रेम करने, हमारी कमज़ोरियों का बोझ उठाने और हमें क्षमा करने से कभी नहीं थकते तथा शिष्यों को की गयी प्रतिज्ञा के अनुसार वे हमें जीवन की यात्रा में आगे ले चलते हैं। ″मैं संसार के अंत तक सदा तुम्हारे साथ हूँ।″ (मती.28꞉20) प्रेम के कारण वे मानव बनें, मरे और फिर जी उठे तथा प्रेम के कारण ही वे दुःख और सुख हर समय हमारे साथ रहते हैं, बिना किसी शर्त और सीमा के हमेशा प्यार करते हैं। हम यों कह सकते हैं कि येसु की सत्य-प्रतिज्ञता हमारी बेवफाई पर भी कम नहीं होती। संत पौलुस हमें याद दिलाते हैं कि यदि हम अविश्वासी हैं तो भी वे विश्वासी बनी बने रहते हैं क्योंकि वे अपने आप का तिरस्कार नहीं कर सकते।″ येसु उस समय भी विश्वस्त बने रहते हैं जब हम ग़लती करते तथा क्षमा की आशा करते हैं क्योंकि वे करुणावान पिता के चेहरे हैं।

संत पापा ने ईश्वर के प्रेम में पुनः निर्माण करने की क्षमता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह सब कुछ को नवीकृत कर देता है। उन्होंने कहा कि अपनी सीमाओं एवं कमजोरियों को पहचानना वह द्वार है जो येसु की क्षमाशीलता के भंडार को खोल देता है। उनका प्रेम हमें नवीन बनाता तथा पुनः सृष्ट करता है। जब हम सच्चाई के लिए अपने आपको खोलते तथा अपनी ग़लतियों एवं पापों को स्वीकार करते हैं तो हमें मुक्ति प्राप्त होती है तब हम यह अनुभव करते हैं कि येसु निरोगों को  नहीं रोगियों को चंगा करने तथा धर्मियों को नहीं किन्तु पापियों को बचाने आये थे। (मती.9꞉12-13)

हम यह अनुभव करते हैं कि येसु कितने धैर्यवान एवं कोमल हैं तथा सभी लोगों को बचाने की उनकी अभिलाषा कितनी तीव्र है। ईश्वर के प्रेम से हम परिवर्तित होते तथा नये बन गये हैं और जिसका चिन्ह है कि हम दुश्मनी एवं ईर्ष्या के फटे पुराने कपड़े उतार कर शुद्धता, नम्रता, दया, सेवा और शांति रूपी ईश्वर की संतान के योग्य कपड़े पहन लेते हैं। इस संसार की आत्मा हमेशा नयी चीजों की तलाश करती है किन्तु येसु की सत्यता ही असली नवीनता हेतु समर्थ है जो हमें नया बना देता है।

संत पापा ने कहा कि ईश्वर का प्रेम उसी तरह स्थायी तथा सुरक्षित है जिस प्रकार चट्टान प्रचंड लहरों से सुरक्षा प्रदान करती है। सुसमाचार पाठ में येसु आँधी को शांत कर, इसका उत्तम उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। कई बार हम येसु की उपस्थिति का एहसास भी नहीं कर पाते जब कि वे सदा हमारी बगल में मदद के लिए तैयार रहते हैं।

संत पापा ने अपने आप की जाँच करने का निमंत्रण देते हुए कहा कि क्या हम ईश्वर के प्रेम रूपी चट्टान पर स्थिर हैं? संत पापा ने सचेत करते हुए कहा कि ईश्वर के महान प्रेम को भूल जाने खतरा हम में बना रहता है। संत पापा ने कहा कि हम ख्रीस्तीय भविष्य की चिंता एवं सुरक्षा की खोज में भय से शक्तिहीन हो जाते हैं। इस धरती में कई संतों एवं भले लोगों ने ईश्वर के प्रेम को दुनिया में फैलाया। उनके पद्चिन्हों पर चलकर हम भी सुसमाचार के आनन्द का अनुभव कठिनाई में पड़े लोगों एवं परिवारों के साथ सहानुभूति रखकर कर सकते हैं विशेषकर, आर्थिक संकट की मार झेल रहे लोगों के साथ।

संत पापा ने कलीसिया के दायित्व को उजागर करते हुए कहा कि माता कलीसिया का दायित्व है कि वह परिवारों की देखभाल करे ताकि वे अपने वैवाहिक जीवन, बच्चों की शिक्षा-दीक्षा, वयोवृद्ध की सेवा तथा युवा पीढ़ी में विश्वास के हस्तांतरण के कार्यों को पूरा कर सकें।

संत पापा ने अपने दैनिक जीवन में घमंड एवं बुरे समाचारों से बचने हेतु चौकस रहने की सलाह दी तथा कहा कि इसके लिए पवित्र आत्मा हमारी मदद करते हैं। वे हमें चट्टान रूपी प्रेम को पहचानने में सहायता करते हैं जो हमें छोटे बड़े सभी कष्टों में स्थिर एवं मजबूत बनाता है तथा कठिनाईयों में बंद न होकर भविष्य को आशा के साथ देखते हुए जीवन को साहस के साथ जीने की शक्ति प्रदान करता है।

संत पापा ने कहा कि हमारे जीवन रूपी समुद्र में बुराई की शक्तियों तथा निराशा के भय को येसु दूर कर दे। शांति एवं स्वतंत्रता की खोज में युद्ध और अत्याचार से भाग रहे लोगों को ख्रीस्त की शांति प्राप्त हो।








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